सुप्रीम कोर्ट ने जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के संबंध में केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को नोटिस जारी किया है। सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि ने सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि न तो सोनम वांगचुक और न ही उनकी पत्नी को गिरफ्तारी आदेश या उसके आधार के बारे में सूचित किया गया है, जो संविधान के अनुच्छेद 22(5) का उल्लंघन करता है। याचिका में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान-चीन संबंधों का झूठा प्रचार गांधीवादी आंदोलन को बदनाम करने की साजिश है। गीतांजलि ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आठ माँगें भी रखीं और सोनम वांगचुक से व्यक्तिगत रूप से मिलने की अनुमति मांगी। मामले की सुनवाई अगले सोमवार को होगी।
"गांधीवादी आंदोलन को बदनाम करने की साजिश"
याचिका में कहा गया है, "वांगचुक की गिरफ्तारी लोकतांत्रिक असहमति और शांतिपूर्ण पर्यावरण आंदोलन को दबाने के लिए एक दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई है। सोनम वांगचुक और उनके सहयोगियों के खिलाफ एक झूठी और खतरनाक कहानी फैलाई जा रही है, जिसमें उनके गांधीवादी आंदोलन को पाकिस्तान और चीन से जोड़कर उसे बदनाम किया जा रहा है।"
पत्नी का कहना है कि उन्हें हिरासत आदेश की एक प्रति भी नहीं दी गई
वांगचुक की पत्नी ने तर्क दिया कि इस तरह की दुर्भावनापूर्ण अफवाहें लोकतांत्रिक असहमति को बदनाम करने की कोशिश हैं। दरअसल, वांगचुक ने हमेशा राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए काम किया है और भारतीय सेना की सहायता के लिए उच्च-ऊंचाई वाले आश्रयों जैसी नवीन तकनीकों का विकास किया है। यह गिरफ्तारी अवैध है; हिरासत आदेश की एक प्रति भी उपलब्ध नहीं कराई गई।
सुप्रीम कोर्ट में की गई ये माँगें
सोनम वांगचुक को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका जारी करके तुरंत सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश किया जाना चाहिए।
पत्नी को अपने पति से फोन पर और व्यक्तिगत रूप से मिलने की अनुमति दी जानी चाहिए।
सोनम वांगचुक को तुरंत उनकी दवाइयाँ, कपड़े, भोजन और आवश्यक वस्तुएँ उपलब्ध कराई जाएँ।
गिरफ्तारी आदेश और सभी संबंधित दस्तावेज़ सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए जाएँ।
गिरफ्तारी को अवैध और असंवैधानिक घोषित किया जाए।
सोनम वांगचुक की तत्काल रिहाई का आदेश दिया जाए।
उनकी तुरंत चिकित्सा जाँच की जाए और रिपोर्ट न्यायालय को सौंपी जाए।
हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (HIAL) और उसके छात्रों व सदस्यों का उत्पीड़न बंद किया जाए।
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