भारत की पश्चिमी सीमा पर मौजूदा भू-राजनीतिक तनाव के कारण देश में पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आई है। इसका सीधा असर पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था पर पड़ा है, खासकर राजस्थान, गुजरात और पंजाब जैसे सीमावर्ती राज्यों पर। इस स्थिति को देखते हुए इंडियन हेरिटेज होटल्स एसोसिएशन (IHHA) ने केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय से पर्यटकों और आगंतुकों का विश्वास बहाल करने के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया है।
तनाव के कारण प्रभाव
केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को लिखे पत्र में IHHA के महासचिव गज सिंह अलसीसर ने कहा है कि विदेशी देशों द्वारा जारी यात्रा सलाह से न केवल अवकाश पर्यटन प्रभावित हो रहा है, बल्कि विवाह और बैठकें, प्रोत्साहन, सम्मेलन और प्रदर्शनी (MICE) जैसे आयोजन भी प्रभावित हो रहे हैं, जो घरेलू पर्यटन के प्रमुख स्तंभ हैं। सांस्कृतिक उत्सव, रेगिस्तान सफारी, मेले और लक्जरी ट्रेन यात्रा जैसे मौसमी आयोजन भी इससे प्रभावित हो रहे हैं।
'अतुल्य भारत' जैसे ब्रांडिंग अभियान बर्बाद हो सकते हैं' महासचिव ने यह भी कहा कि मौजूदा तनाव सीमित भी हो तो भी इसका असर कई हफ्तों और महीनों तक पर्यटन पर बना रह सकता है। कई बार स्थिति सामान्य होने में एक या दो साल लग सकते हैं, जिससे 'अतुल्य भारत' जैसे ब्रांडिंग अभियान और निवेश बर्बाद हो सकते हैं।
घरेलू और विदेशी हितधारकों से सक्रिय संपर्क IHHA ने केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय से घरेलू और विदेशी हितधारकों से सक्रिय संपर्क करने, सरकार और पर्यटन उद्योग के लोगों को शामिल करते हुए एक संयुक्त टास्क फोर्स बनाने, नकारात्मक छवि को दूर करने के लिए जनसंपर्क और मार्केटिंग योजनाओं को लागू करने और पर्यटन पर निर्भर व्यवसायों के लिए अस्थायी राहत योजनाएं शुरू करने का आग्रह किया है। यह पत्र राजस्थान की उपमुख्यमंत्री और पर्यटन मंत्री दीया कुमारी और राज्य के प्रमुख पर्यटन सचिव रवि जैन को भी भेजा गया है।
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