पानी कितना कीमती है, यह जानना हो तो थार रेगिस्तान में बसे राजस्थान के बाड़मेर चले आइए, जहां लोग रातभर पानी की रखवाली करते हैं। जिले में भारत-पाकिस्तान सीमा के पास देरासर, रामसर, आभे का पार, सज्जन का पार, हिंदिया, गरडिया, रोहिड़ी, फागलिया, आडेल, सेतु समेत कई गांव ऐसे हैं, जहां पानी का पूरा हिसाब रखा जाता है।पड़ोसी या रिश्तेदार को जितना पानी दिया जाता है, उससे वापस ले लिया जाता है। ग्रामीण अपने पड़ोसी को पानी नहीं, देसी घी देने को तैयार रहते हैं। गर्मी की शुरुआत के साथ ही इलाके में गर्मी भी बढ़ने लगी है।
बारिश के पानी को किया जाता है संग्रहित
10 अप्रैल को यहां का तापमान 44.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से काफी अधिक था। पानी की कमी से जूझ रहे इन गांवों में मकान बनाने से पहले एक कुआं (स्थानीय भाषा में बेरिया) बनाया जाता है, जहां बारिश के पानी को संग्रहित किया जाता है और जिसकी मदद से सालभर पानी को बाहर निकालना होता है। जल जीवन मिशन के तहत पानी पहुंचाने का काम प्रदेश में तेजी से चल रहा है। पिछली कांग्रेस सरकार ने रेगिस्तानी इलाकों में पानी पहुंचाने के लिए कोई खास प्रयास नहीं किए।
बाड़मेर में जल जीवन मिशन के तहत काम चल रहा है, लेकिन इन गांवों के लोगों को योजना के बारे में जानकारी ही नहीं है। यहां के लोग कुएं के पानी से ही प्यास बुझाते हैं। इससे काम नहीं चलने पर महिलाओं को दूर-दूर से पानी लाना पड़ता है। ग्रामीण रतनाराम ने बताया कि उन्हें रात में कुएं की रखवाली भी करनी पड़ती है, ताकि कोई पानी चोरी न कर ले। ग्रामीणों ने बताया कि पड़ोसी घी मांगता है तो दे देते हैं, लेकिन पानी देने में दिक्कत होती है।
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