कूनो नेशनल पार्क के बाद अब गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य चीतों का नया आशियाना बनेगा। गांधी सागर में 20 अप्रैल को दो चीते (प्रभास और पावक) छोड़े जाएंगे। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की मौजूदगी में हुई समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने चीतों की इस पहली शिफ्टिंग को हरी झंडी दे दी है। इससे राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच चीता कॉरिडोर की योजना को पंख लगेंगे। माना जा रहा है कि गांधी सागर में चीतों की शिफ्टिंग के बाद रावतभाटा, मुकुंदरा, शेरगढ़, श्योपुर से लेकर रणथंभौर के जंगलों में चीते दौड़ते नजर आ सकेंगे। देश के अंदर चीतों की यह पहली शिफ्टिंग शनिवार रात से शुरू होगी, जो रविवार दोपहर 3 बजे खत्म होगी। प्रोजेक्ट चीता के तहत 18 फरवरी 2023 को साउथ अफ्रीका से 12 चीते लाए गए थे। इनमें पावक और प्रभास भी शामिल हैं। पावक की उम्र 5 और प्रभाष की उम्र साढ़े 5 साल है। भविष्य की जरूरतों को देखते हुए शुरुआत में चीता कॉरिडोर के साथ ही गांधी सागर में दो चीते बसाए जा रहे हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक इससे न सिर्फ देश में चीतों की आबादी बढ़ेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और पर्यटन के नए आयाम भी स्थापित होंगे।
कोटा से कूनो तक यह है कनेक्टिविटी
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व राजस्थान और मध्यप्रदेश से जुड़ा हुआ है। सेवानिवृत्त उप वन संरक्षक दौलत सिंह शक्तिवत के मुताबिक अगर चीते कूनो से चले तो वे श्योपुर, रणथंभौर, हाड़ौती के शेरगढ़, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व और रावतभाटा के जंगलों से होते हुए गांधी सागर पहुंच सकते हैं। अगर चीते गांधी सागर से चले तो वे रावतभाटा, मुकुंदरा, शेरगढ़, श्योपुर, रणथंभौर के जंगलों से होते हुए कूनो पहुंच सकते हैं।
मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच बनेगा 17 हजार किलोमीटर लंबा चीता कॉरिडोर
फिलहाल कुनो से गांधी सागर में चीतों को शिफ्ट किया जा रहा है। वहीं, कुनो नेशनल पार्क से भटककर प्रदेश में आने वाले चीतों के लिए मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच 17 हजार किलोमीटर लंबा चीता कॉरिडोर बनाने पर भी काम चल रहा है। राजस्थान में कॉरिडोर का क्षेत्रफल करीब 6500 किलोमीटर होगा।
इसमें संभाग के चारों जिले कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ के साथ सवाई माधोपुर, करौली और चित्तौड़गढ़ शामिल हैं। बैठक में अफसरों ने बताया कि गांधी सागर अभयारण्य राजस्थान की सीमा से सटा हुआ है, इसलिए अंतरराज्यीय चीता संरक्षण परिसर की स्थापना के लिए मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच सैद्धांतिक सहमति बन गई है। चीता सफारी शुरू करने की प्रक्रिया में भी तेजी लाई जाएगी।
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