राजस्थान के बूंदी जिले में रहने वाले एक कुम्हार को आयकर विभाग से नोटिस मिला है। हैरानी की बात यह है कि एक कुम्हार जिसकी सालाना आय 1 लाख रुपये है, उसे 13.55 करोड़ रुपये का नोटिस भेजा गया। आयकर विभाग की ओर से यह नोटिस दो बार भेजा गया, जो पिछले महीने व्यापारिक लेन-देन को लेकर भेजा गया था। लेकिन जब इस नोटिस को लेकर जांच शुरू हुई तो 900 किलोमीटर दूर करोड़ों का घोटाला सामने आया।
ईमेल से मिला करोड़ों का नोटिस
दरअसल, मामला बूंदी जिले के झालीजी का बराना गांव में बर्तन बेचने वाले विष्णु कुमार प्रजापत (32) से जुड़ा है। प्रजापत को पहला नोटिस 11 मार्च को ईमेल और स्पीड पोस्ट के जरिए मिला, जिसमें कहा गया कि उन्होंने वित्तीय वर्ष 2020-21 में 10.61 करोड़ रुपये से अधिक के लेन-देन के लिए कोई आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया। नोटिस में उन्हें 19 मार्च तक जवाब दाखिल करने को कहा गया था।
पुलिस और साइबर पुलिस दोनों ने ही प्रजापत की बात नहीं सुनी
प्रजापत का कहना है कि वह तुरंत स्थानीय थाने पहुंचे। वहां से उन्हें बूंदी के साइबर थाने भेजा गया, लेकिन वहां भी किसी ने उनकी शिकायत नहीं सुनी। इसके बाद प्रजापत ने एक 'चार्टर्ड अकाउंटेंट' की मदद ली, जिसने कुछ जांच की और पता चला कि प्रजापत के आधार, पैन और अन्य दस्तावेज विवरणों का दुरुपयोग मुंबई में एक एकल स्वामित्व वाली कंपनी के जीएसटी पंजीकरण के लिए किया गया था।
प्रजापत के पैन और आधार का दुरुपयोग
पुलिस के अनुसार, विष्णु कुमार के पैन कार्ड और आधार की जानकारी का कथित तौर पर मुंबई स्थित एक फर्म द्वारा दो व्यावसायिक लेन-देन में दुरुपयोग किया गया था। फर्म शायद इस लेनदेन को संबंधित विभाग के संज्ञान में लाने से बचना चाहती थी। यह भी पाया गया कि फर्म ने प्रजापत की जानकारी का उपयोग करके दो व्यावसायिक लेनदेन किए, जिनमें से एक 10.61 करोड़ रुपये का था और दूसरा 2.83 करोड़ रुपये का था।
यह जानकारी लेकर प्रजापत 23 मार्च को बूंदी के जिला पुलिस अधीक्षक के कार्यालय गए, जहां अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उमा शर्मा ने उनकी समस्या सुनी। उनकी शिकायत को जांच के लिए साइबर पुलिस थाने भेज दिया गया। इस बीच, 30 मार्च को आयकर विभाग से प्रजापत को एक और नोटिस मिला। इस बार नोटिस इसी वित्तीय वर्ष में 2.83 करोड़ रुपए के लेन-देन का था। स्नातक तक पढ़ाई कर चुके प्रजापत ने बताया, बुधवार को दो पुलिसकर्मी मेरे घर आए और मुझे भरोसा दिलाया कि मेरे साथ कोई अन्याय नहीं होगा। प्रजापत ने बताया कि उनका पुश्तैनी काम मिट्टी के बर्तन बेचना है, जिससे उन्हें हर साल करीब 95 हजार रुपए की कमाई होती है।
पुलिस ने जांच शुरू करने में देरी से किया इनकार
सहायक पुलिस उपनिरीक्षक मुखेन्द्रपाल सिंह ने बताया कि बुधवार रात गेंडोली थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया गया है और आगे की जांच जारी है। पुलिस अधिकारी ने मामले की जांच शुरू करने में देरी के आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि शिकायत कुछ दिन पहले ही मिली है और इसकी जांच में धोखाधड़ी और कर चोरी की बात सामने आई है। सिंह ने बताया कि प्रजापत ने पहले बूंदी में एक निजी कंपनी में दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम पाने के लिए अपने दस्तावेज जमा कराए थे और संभवत: वहीं से उनकी निजी जानकारी लीक हुई होगी।
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