राजस्थान में कई जिले ऐसे हैं, जहां पेयजल संकट है। स्थानीय स्रोतों से पानी की मांग पूरी नहीं हो पा रही है। ऐसे में राज्य सरकार की नजर बीसलपुर बांध पर है। ताकि लोगों की प्यास बुझा सके। इसके लिए सरकार नया इंटेक पंप हाउस बनाने जा रही है। हालांकि टोंक जिले के लोगों को अभी भी पेयजल किल्लत का सामना करना पड़ रहा है और वह भी तब जब जलदाय मंत्री इसी जिले से हैं।
राजमहल. आगामी 2051 तक राजधानी सहित अजमेर व बीसलपुर बांध की जलापूर्ति से जुड़े सैकड़ों गांवों व कस्बों की बढ़ती आबादी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने अभी से जलापूर्ति की योजना बनानी शुरू कर दी है। सरकार की 2024-25 की बजट घोषणा पर काम करते हुए बीसलपुर बांध के जलभराव वाले किनारों पर 122 करोड़ रुपए की लागत से नया इंटेक पंप हाउस बनाने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
उक्त टेंडर प्रक्रिया के तहत आगामी जून माह के बाद इंटेक पंप हाउस का निर्माण कार्य शुरू किया जाना है। बीसलपुर बांध परियोजना के अधिशासी अभियंता मनीष बंसल ने बताया कि उक्त इंटेक पंप हाउस के निर्माण के लिए बीसलदेव मंदिर और जलभराव के किनारे बने फिश लैंडिंग सेंटर के बीच जलभराव के किनारे को चिन्हित किया गया है। यह कार्य जून के बाद शुरू होने की संभावना है।
अन्य जिलों के भी जुड़ने की संभावना
वर्तमान में जयपुर और अजमेर जिलों के साथ ही इनसे जुड़े सैकड़ों गांवों और कस्बों को जलापूर्ति के लिए बीसलपुर बांध के पास वर्षों पहले बनाए गए इंटेक पंप हाउस की जल क्षमता करीब 1100 एमएलडी है। वहीं, नवनिर्मित इंटेक पंप हाउस की कुल क्षमता एक हजार एमएलडी होगी। नए पंप हाउस के निर्माण के बाद दोनों पंप हाउस से जलापूर्ति जारी रहेगी।
वहीं, नए पंप हाउस के निर्माण के बाद नागौर, ब्यावर आदि जिलों में जलापूर्ति की संभावना है। राज्य सरकार को प्रदेश के बड़े बांधों में शुमार बीसलपुर से कई अन्य जिलों की प्यास बुझाने की भी उम्मीद है। बीसलपुर बांध पर नया इंटेक पंप हाउस बनाने की स्वीकृति जारी हो गई है। इससे पेयजल संकट कम होगा।
जिला मुख्यालय खुद पानी के लिए तरस रहा है
गांवों की तो बात ही छोड़िए, जिला मुख्यालय पर ही दो दिन में एक बार जलापूर्ति हो रही है। जबकि बीसलपुर बांध नजदीक ही है। पेयजल संकट को लेकर न तो सरकार चिंतित है और न ही जलदाय विभाग। प्रदेश के अन्य जिलों में जलापूर्ति हो रही है। लेकिन जिला मुख्यालय की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जबकि पिछले दस सालों में शहर में कई नई टंकियां, पंप हाउस व अन्य निर्माण हो चुके हैं। सीवरेज लाइन के साथ ही पेयजल के लिए नया नेटवर्क बिछाया गया। फिर भी लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है।
फिल्टर प्लांटों की क्षमता बढ़ाई जाएगी
बढ़ती आबादी के साथ ही वर्तमान में मौजूद सूरजपुरा फिल्टर प्लांट व टोंक उनियारा देवली पेयजल परियोजना के लिए राजमहल में बनाए गए फिल्टर प्लांट की कार्य क्षमता भी बढ़ाई जाएगी। ताकि सैकड़ों गांवों व कस्बों में पर्याप्त मात्रा में पानी की आपूर्ति हो सके।
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