राजस्थान सरकार ने कोचिंग संस्थानों पर नकेल कसने के लिए लाए जा रहे राजस्थान कोचिंग संस्थान नियंत्रण एवं विनियमन विधेयक 2025 में महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं। सरकार ने प्रवर समिति की रिपोर्ट के आधार पर जुर्माने की राशि कम कर दी है, लेकिन नियमों को पहले से ज़्यादा सख्त कर दिया है। यह विधेयक 3-4 सितंबर को विधानसभा के मानसून सत्र में पारित हो सकता है। पहले के विधेयक में, पहली बार नियमों का उल्लंघन करने पर 2 लाख रुपये और दूसरी बार 5 लाख रुपये का जुर्माना था, जिसे घटाकर 50 हज़ार रुपये और 2 लाख रुपये कर दिया गया है।
केवल 100 या उससे अधिक छात्रों वाले कोचिंग संस्थान ही इस विधेयक के दायरे में
बार-बार उल्लंघन करने पर कोचिंग संस्थान का पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा और बकाया राशि वसूलने के लिए संपत्ति ज़ब्त की जा सकती है। नए प्रावधानों के अनुसार, केवल 100 या उससे अधिक छात्रों वाले कोचिंग संस्थान ही इस विधेयक के दायरे में आएंगे। 100 से कम छात्रों वाले संस्थानों को पंजीकरण और विधेयक की अन्य औपचारिकताओं से छूट दी जाएगी। हर शाखा को एक अलग कोचिंग संस्थान माना जाएगा और हर तीन साल में पंजीकरण का नवीनीकरण अनिवार्य होगा।
अब एकमुश्त फीस नहीं ले पाएंगे
विधेयक में छात्रों को राहत देने के लिए कई प्रावधान भी जोड़े गए हैं। कोचिंग संस्थान अब एकमुश्त फीस नहीं ले पाएंगे। फीस चार किश्तों में जमा करनी होगी। पढ़ाई बीच में छोड़ने पर दस दिन के अंदर फीस वापस करनी होगी। छात्रावास शुल्क का शेष भाग भी वापस करना अनिवार्य होगा। साथ ही, छात्रों को नोट्स और अध्ययन सामग्री निःशुल्क उपलब्ध करानी होगी।
निगरानी के लिए राजस्थान कोचिंग सेंटर प्राधिकरण का गठन
कोचिंग संस्थानों की निगरानी के लिए राजस्थान कोचिंग सेंटर प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी, जिसे सिविल कोर्ट जैसे अधिकार दिए जाएँगे। हर जिले में 24 घंटे खुला रहने वाला कॉल सेंटर और एक शिकायत निवारण समिति होगी। यह समिति यह भी सुनिश्चित करेगी कि सरकारी स्कूलों या कॉलेजों के शिक्षक किसी भी कोचिंग संस्थान में न पढ़ाएँ। विधेयक में छात्रों की सुरक्षा और परामर्श पर विशेष ज़ोर दिया गया है। संस्थानों को परामर्श सत्र आयोजित करने होंगे और छात्रावासों में सीसीटीवी कैमरे और अन्य सुरक्षा उपाय अनिवार्य होंगे।
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