पश्चिम बंगाल में वक़्फ़ (संशोधन) क़ानून को लेकर शनिवार को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए. इस बीच मध्य बंगाल इलाक़े के मुर्शिदाबाद ज़िले में स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई. इस हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई है.
राज्य सरकार के सूत्रों ने बीबीसी को बताया कि मृतकों की पहचान छात्र एजाज़ अहमद (17), हरगोविंद दास (65) और चंदन दास (35) के तौर पर हुई है.
पड़ोसियों ने बताया कि दास पिता और पुत्र बकरी व्यापारी थे और मामूली कमाई करते थे.
इस हिंसा में कई लोग घायल हुए हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के हवाले से बताया है कि हिंसा से जुड़े मामले में अब तक किया जा चुका है.
बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिएकरें

वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, "राजनीतिक फ़ायदे के लिए दंगे ना भड़काएं."
इस हिंसा के बाद एक तरफ़ सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने कुछ राजनीतिक दलों पर 'राजनीतिक फ़ायदे के लिए धर्म का दुरुपयोग करने' का आरोप लगाया है.
वहीं विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने टीएमसी पर 'अपने वोट बैंक को ख़ुश करने और लगभग 26,000 स्कूली शिक्षकों की नौकरी जाने के मामले से ध्यान हटाने के लिए हिंसा भड़काने' का .
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि राज्य में किया जाएगा.
कलकत्ता हाई कोर्ट ने शनिवार को राज्य में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तत्काल तैनाती का दिया था.
यह आदेश पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी की उस याचिका की सुनवाई के बाद आया, जिसमें उन्होंने ज़िले में केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग की थी.
समाचार एजेंसी एएनआई के , केंद्रीय गृह सचिव ने पश्चिम बंगाल के शीर्ष अधिकारियों से बात की है और हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है.
गृह सचिव ने कहा कि मुर्शिदाबाद में स्थानीय रूप से उपलब्ध लगभग 300 बीएसएफ़ कर्मियों के अलावा, राज्य सरकार के अनुरोध पर अतिरिक्त पांच कंपनियों को तैनात किया गया है.
वक़्फ़ संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ मुर्शिदाबाद के कई ब्लॉकों और कस्बों में विरोध प्रदर्शन हुए.
इस दौरान उत्तर बंगाल को दक्षिण बंगाल से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 12 पर सजुर मोड़ और धुलियान नगरपालिका के जाफ़राबाद शहर में हुई हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई.
ये दोनों जगहें बांग्लादेश की सीमा से लगे मुर्शिदाबाद के उत्तरी इलाक़े जंगीपुर उपखंड में हैं.
एक प्रमुख बंगाली अख़बार में काम करने वाले मुर्शिदाबाद के एक वरिष्ठ पत्रकार ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया, "17 साल के एजाज़ अहमद को शुक्रवार को सजुर मोड़ में गोली मारी गई थी और उन्हें ज़िला अस्पताल में भर्ती कराया गया. शनिवार शाम को उनकी मौत हो गई."
उन्होंने बताया, "शनिवार सुबह जाफ़राबाद में पिता और पुत्र के शव मिले. उनके शरीर पर निशान थे. इससे पता चलता है कि उनकी हत्या की गई है."
हालांकि, पुलिस ने अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं की है कि अहमद की हत्या किसने की है. वहीं दास परिवार के सदस्यों की मौत के बारे में कई विरोधाभासी ख़बरें चल रही हैं.
मिठाई बनाने वाले हेमंत दास जाफ़राबाद से सटे इलाक़े दिघरी में रहते हैं. उन्होंने दावा किया कि वो शनिवार को दास परिवार के घर गए हुए थे.
हेमंत दास ने पत्रकार को फ़ोन पर बताया कि उन्हें नहीं पता कि पिता और पुत्र को क्यों निशाना बनाया गया.
उन्होंने कहा, "वो लोग (दास परिवार) बकरियों के छोटे-मोटे व्यापारी थे. मुझे नहीं पता कि उन पर हमला क्यों किया गया."
हेमंत ने बताया, "पहले पत्थरबाज़ी हुई, इसके बाद भीड़ के एक समूह ने उनके घर पर धावा बोला और लूटपाट शुरू कर दी. दास परिवार के विरोध करने पर भीड़ ने उन्हें मारा और आख़िरकार उनकी हत्या कर दी."

एक अन्य स्थानीय पत्रकार ने दावा किया कि पिता और पुत्र की हत्या 'दो समूहों के बीच झड़प' में हुई.
पुलिस हमलावरों की पहचान को लेकर 'चुप' है और उन्हें 'शरारती तत्व' बता रही है.
धुलियान शहर के एक बंगाली शिक्षक ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि शुक्रवार की नमाज़ के बाद विरोध प्रदर्शन काफ़ी हद तक शांतिपूर्ण रहा, क्योंकि वक़्फ़ विरोधी रैलियां राष्ट्रीय राजमार्ग पर डाक बंगला मोड़ की ओर बढ़ रही थीं.
उन्होंने बताया, "जब एक रैली हिंदू बहुल इलाक़े घोषपारा से गुज़र रही थी तब सबसे पहले एक छोटी झड़प हुई. दोनों पक्षों ने दावा किया कि दूसरे पक्ष ने उन पर पथराव शुरू किया."
"जैसे ही यह जानकारी हाईवे पर प्रदर्शनकारियों तक पहुंची तो हंगामा शुरू हो गया. और हिंदुओं और मुसलमानों दोनों की दुकानों में तोड़फोड़ की गई."
हालांकि, शाम तक पुलिस ने स्थिति पर नियंत्रण पा लिया.
दूसरी सभा, शुक्रवार को डाक बंगला मोड़ से लगभग सात किलोमीटर पूर्व सजुर मोड़ में हुई.
बंगाली शिक्षक ने बताया, "मैं वहां नहीं था, लेकिन हमने जो सुना वो ये कि पुलिस पर हमला हुआ और कई लोग घायल हो गए. संभवतः उसी समय उन्होंने गोलीबारी शुरू कर दी, जिससे छात्र गंभीर रूप से घायल हो गया."
पुलिस ने अब तक मौत के कारणों पर प्रतिक्रिया नहीं दी है.
इस हिंसा में कई वाहनों में आग लगा दी गई और संपत्तियों को भी नुक़सान पहुंचाया गया. वहीं रतनपुर में एक मंदिर और शिबमंदिर इलाक़े में एक मस्जिद को भी निशाना बनाया गया.
शिक्षक ने कहा, "जाफ़राबाद में हुई हिंसा दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि हिंदू और मुस्लिम हमेशा से शांतिपूर्ण तरीक़े से रहते आए हैं. यही कारण है कि दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों ने इस हंगामे के बीच मंदिर की रक्षा के लिए रतनपुर में एक शांति बैठक भी आयोजित की."
साल 2011 की जनगणना के मुताबिक़, मुर्शिदाबाद में 66 फ़ीसदी से अधिक मुस्लिम आबादी है और हाल के लगभग सभी चुनावों में तृणमूल कांग्रेस ने लगभग हर सीट जीती है.
मुर्शिदाबाद के सभी तीन सांसद राज्य की सत्ताधारी पार्टी के हैं, जबकि राज्य विधानसभा में मुर्शिदाबाद के 22 में से 20 सदस्य तृणमूल कांग्रेस के हैं.
ये हिंसक घटनाएं उत्तरी मुर्शिदाबाद इलाक़े में हुई हैं. इस इलाक़े के सभी विधायक तृणमूल कांग्रेस के हैं. इसके अलावा आठ में से सात नगरपालिकाओं और सभी 26 पंचायत समितियों में तृणमूल कांग्रेस का नियंत्रण है.
मुर्शिदाबाद के वरिष्ठ पत्रकार ने कहा, "टीएमसी के इतने भारी बहुमत और नियंत्रण और बीजेपी की ग़ैर-मौजूदगी के बावजूद स्थिति कैसे नियंत्रण से बाहर हो गई? यह एक ऐसा सवाल है जिसे पूछा जाना चाहिए."
धुलियान के एक सामाजिक कार्यकर्ता ज़िम नवाज़ ने पुलिस पर निष्क्रियता का आरोप लगाया.
नवाज़ कुछ दिनों पहले तक तृणमूल कांग्रेस से जुड़े थे. वो सवाल करते हैं, "शुक्रवार रात तक सब कुछ शांत हो गया था और शनिवार सुबह फिर हिंसा भड़क गई. क्यों?"
उन्होंने कहा, "इसका जवाब यह है कि जब दुकानों में आग लगाई गई तो पुलिस ने कार्रवाई करने से इनकार कर दिया. मुझे बताया गया है कि स्थानीय अधिकारियों ने सूचना मिलने पर कार्रवाई करने से इनकार कर दिया."
मुस्लिम समुदाय पर अधिकतर केंद्रित बंगाली अख़बार 'अपोनज़ोन' के संपादक ज़ैदुल हक़ ने कहा कि राज्य में हाल के दिनों में हिंसा की इतनी बड़ी घटना नहीं हुई है.
ज़ैदुल हक़ ने कहा, "प्रशासन ने शांति बनाए रखने की अपील की थी और लोगों को उकसावे से दूर रहने को कहा गया था. हमारे पवित्र ग्रंथ भी दूसरे धर्मों के लोगों का सम्मान करने के लिए कहते हैं और फिर भी ऐसा हुआ. इसका बड़ा नतीजा हो सकता है."
जंगीपुर के सांसद ने क्या कहा?जंगीपुर के सांसद ख़लीलुर रहमान और जंगीपुर के विधायक ज़ाकिर हुसैन ने शनिवार रात फोन नहीं उठाया.
हालांकि, समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में टीएमसी सांसद ख़लीलुर रहमान ने हिंसा पर अफ़सोस जताया. उन्होंने कहा कि जो कुछ भी हुआ वह नहीं होना चाहिए था.
ख़लीलुर रहमान ने , "हमारे मुर्शिदाबाद ज़िले में हर एक संप्रदाय के लोग भाईचारे के साथ रहते थे, आज भी हैं और कल भी रहेंगे. लेकिन जो घटना हुई वो नहीं होनी चाहिए थी. इससे हम बहुत दुःखी हैं."
उन्होंने कहा, "यहां जो आंदोलन हुआ, उसका ना कोई नेता था, ना कोई बैनर या प्लेटफॉर्म था. बस कुछ बच्चों और किशोरों ने प्रदर्शन किया. वो प्रदर्शन कुछ देर के लिए ख़राब भी हुआ, पत्थरबाज़ी की घटना हुई. कुछ पुलिस अधिकारी घायल भी हुए. ये नहीं होना चाहिए था."
मतभेद की आशंकाएंपश्चिम बंगाल एकमात्र पूर्वी राज्य है, जहां तीसरी सबसे ज़्यादा लोकसभा सीटें (42) हैं.
यहां बीजेपी ना तो चुनाव जीतने में कामयाब रही है और ना ही बिहार की तरह कोई सहयोगी दल ढूंढ पाई है, जिससे उसे जीत मिल सके.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार हाई-वोल्टेज अभियानों और 2019 से पार्टी को लगातार 35-40 फ़ीसदी वोट हासिल होने के बाद भी बीजेपी राज्य में सरकार बनाने में कामयाब नहीं हो पाई है.
कई चुनावी विश्लेषकों ने संकेत दिया है कि 2019 की तरह बहुत ज़्यादा ध्रुवीकरण से बीजेपी पश्चिम बंगाल में जीत सकती है.
बीजेपी का हिंदू वोट शेयर 2014 के 21 फ़ीसदी से बढ़कर 2019 में 57 फ़ीसदी हो गया और इसने 42 में से 18 सीटें जीतीं. बंगाल में यह भगवा पार्टी का अब तक का सबसे बढ़िया प्रदर्शन था.
सेंटर फॉर स्टडीज़ इन सोशल साइंसेज़ में राजनीति विज्ञान के प्रोफ़ेसर मैदुल इस्लाम ने कहा, "अगर राज्य प्रशासन ऐसी घटनाओं में शामिल अपराधियों के ख़िलाफ़ उनके राजनीतिक और सामुदायिक आधार को देखे बिना सख्त कार्रवाई नहीं करता है तो राज्य में इस तरह के छोटे पैमाने के सांप्रदायिक संघर्षों की आशंका है."
उन्होंने कहा, "अच्छी मुस्लिम आबादी वाले इलाक़ों में छोटे पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा ने हमेशा बीजेपी को चुनावी फ़ायदा पहुंचाया है. यह देखते हुए कि राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, पुलिस प्रशासन ऐसी हिंसा पर आसानी से कार्रवाई नहीं करता दिखता है."
पश्चिम बंगाल की अन्य छोटी विपक्षी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने लगातार देखा है कि अधिक ध्रुवीकरण चुनावी रूप से टीएमसी और बीजेपी दोनों की मदद करता है.
जाने-माने अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के प्रतीची इंस्टिट्यूट के नेशनल रिसर्च को-ऑर्डिनेटर और राजनीतिक विश्लेषक साबिर अहमद कहते हैं, "पिछले 10 सालों में बंगाल में सांप्रदायिक हिंसा और तनाव लगातार बढ़ा है. हालांकि, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) से हमारे पास कोई डेटा नहीं है."
उन्होंने कहा, "फिर भी हम आंकड़ों और सबूतों के आधार पर ये कह सकते हैं कि सांप्रदायिक हिंसा अब छोटे शहरों से गांवों तक काफ़ी बढ़ गई है. इसकी वजह से तेज़ी से ध्रुवीकरण हुआ है, जिसका फ़ायदा चुनावी तौर पर सत्ताधारी पार्टी और बीजेपी दोनों को होता दिख रहा है."
साबिर अहमद ने चेतावनी दी कि स्थिति और बिगड़ सकती है.
तृणमूल कांग्रेस के एक सूत्र ने कहा कि स्थिति और ख़राब ना हो, इसलिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 16 अप्रैल को मुस्लिम समुदाय के नेताओं से मिलने का फ़ैसला किया है.
सूत्र ने कहा, "वो सीधे क़ानून-व्यवस्था की स्थिति की निगरानी कर रही हैं और उन्होंने पुलिस प्रमुख सहित सभी शीर्ष अधिकारियों को शनिवार रात मुर्शिदाबाद भेज दिया है."
वहीं बीजेपी के सूत्रों ने दावा किया कि पार्टी अपने शीर्ष नेताओं को मुर्शिदाबाद भेजने और सोमवार से एक ज़ोरदार अभियान शुरू करने की योजना बना रही है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां कर सकते हैं. आप हमें , , , और पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
You may also like
IPL 2025: टॉप 3 मोमेंट्स LSG vs CSK मैच में जाने यहां
लखनऊ : लोकबंधु अस्पताल में लगी आग, 200 मरीज विभिन्न अस्पतालों में शिफ्ट
आईपीएल 2025 : धोनी-दुबे के धमाके से टूटी चेन्नई की हार की जंजीर, लखनऊ को पांच विकेट से हराया
अजीत कुमार की 'गुड बैड अग्ली' ने बॉक्स ऑफिस पर मचाई धूम
15 अप्रैल के दिन इन तीन राशियों को मिल सकते हैं आर्थिक लाभ के संकेत