मोकामा से जनसुराज पार्टी के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी के समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या और जेडीयू के बाहुबली नेता अनंत सिंह की गिरफ़्तारी के बाद इस इलाक़े में चुनाव पर इसके असर की चर्चा गरम है.
हालाँकि मोकामा के लोग ऐसी हत्याओं और विवादों से अक्सर दो-चार होते रहे हैं. इसके बावजूद मोकामा में राजनीतिक रूप से बहुत कुछ बदलता नहीं है. साल 2005 से अनंत सिंह को मोकामा में कोई हरा नहीं पाया है. जबकि इस दौरान विवाद और हिंसा की कई घटनाएं हुई हैं
पिछले हफ़्ते गुरुवार को दुलारचंद यादव की हत्या हो गई थी. दुलारचंद भी बाढ़ के टाल इलाक़े के बाहुबली नेता थे, जिन पर हत्या के कई गंभीर मामले चल रहे थे.
दुलारचंद यादव की हत्या के बाद इलाक़े में तनाव था और अगड़े बनाम पिछड़े की चर्चा ज़ोर पकड़ने लगी थी.
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शनिवार देर रात पटना पुलिस ने बाढ़ शहर के बेढना गाँव से अनंत सिंह को उन्हीं के करगिल मार्केट से गिरफ़्तार कर लिया था.
अनंत सिंह इसी करगिल मार्केट की इमारत में रहते हैं. अनंत सिंह की जब गिरफ़्तारी हुई तो उनके समर्थक संदीप कुमार वहीं मौजूद थे.
संदीप ने बीबीसी हिन्दी से कहा, ''रात में 12:30 बजे पटना पुलिस आई थी और विधायक जी को अपने साथ ले गई. चुनाव को अगड़ा बनाम पिछड़ा करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन ऐसा होने नहीं जा रहा है. अनंत सिंह मोकामा में हर जाति के हीरो हैं. सूरजभान सिंह चाहे जितनी कोशिश कर लें, इससे कुछ भी हासिल नहीं होगा.''
वीणा देवी इलाक़े के बाहुबली नेता सूरजभान सिंह की पत्नी हैं और उन्हें ही राष्ट्रीय जनता दल ने मोकामा सीट से उम्मीदवार बनाया है. मोकामा से अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी विधायक हैं लेकिन इस बार ख़ुद अनंत सिंह चुनावी मैदान में हैं.
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Getty Images अनंत सिंह की गिरफ़्तारी के बाद मोकामा के चुनाव पर लोगों की ख़ास नज़र होगी (फ़ाइल फ़ोटो) अनंत सिंह बनाम सूरजभान सिंह अनंत सिंह के करगिल बाज़ार का कैंपस बहुत विशाल है, जहाँ दुकानें भी हैं और लोग रहते भी हैं. अनंत सिंह भी राजनीति में आने के बाद से यहीं रहते हैं.
जब हमलोग रविवार दोपहर में यहाँ पहुँचे तो अनंत सिंह के समर्थक बालकनी में आ गए. अनंत सिंह का दफ़्तर भी यहीं है और लोग छह नवंबर को होने वाले मतदान की ज़ोर शोर से तैयारी करते दिखे.
उनके समर्थकों में बहुत बेचैनी नहीं दिखी. इन्हें देखने के बाद ऐसा लग रहा था कि सब कुछ सामान्य है.
उनके दफ़्तर में काम कर रहे राजीव रंजन ने कहा, ''सूरजभान सिंह चाहे जितना हाथ पैर मार लें, इससे कुछ हासिल नहीं होगा.''
मोकामा भूमिहारों के दबदबे वाला इलाक़ा है. सूरजभान और अनंत दोनों इसी जाति से ताल्लुक रखते हैं.
जनसुराज से पीयूष प्रियदर्शी हैं, जो धानुक जाति से हैं. ऐसे में लड़ाई केवल भूमिहारों के वोट को लामबंद करने की नहीं है बल्कि ग़ैर यादव ओबीसी और दलित वोटों को हासिल करने की भी है.
बाढ़ के स्थानीय पत्रकार सत्यनारायण चतुर्वेदी कहते हैं, ''अनंत सिंह की गिरफ़्तारी के बाद भूमिहारों के ज़्यादातर वोट उन्हीं को मिलेंगे. सूरजभान सिंह आरजेडी से हैं, ऐसे में वह उम्मीद करते हैं कि यादवों का वोट उन्हें मिले."
"यादवों के लिए एक बड़ा सवाल यह भी हो सकता है कि क्या सूरजभान सिंह अनंत सिंह को हरा सकते हैं? ऐसे में पीयूष प्रियदर्शी एक विकल्प बनते हैं. उनके साथ धानुक मतदाता हैं, जिनकी तादाद अच्छी ख़ासी है. ज़्यादा अहम सवाल यह है कि पीयूष को इसका कितना फ़ायदा होगा?''
जब हुआ काफ़िले का आमना-सामनापुलिस के मुताबिक पिछले हफ़्ते गुरुवार को अनंत सिंह चुनाव प्रचार में तारतर गाँव गए हुए थे. दुलारचंद का पैतृक गाँव भी तारतर ही है. घोसवरी प्रखंड के प्रमुख इसी गाँव के हैं और उनके यहाँ ही अनंत सिंह आए थे. इसी गाँव से अनंत सिंह का काफ़िला निकला.
जनसुराज के प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी कहते हैं, ''बसावनचक गाँव से मेरा काफ़िला आ रहा था. मेरे साथ दुलारचंद यादव भी थे. यह मोकामा विधानसभा क्षेत्र के टाल का इलाक़ा है. दोनों का काफ़िला तारतर और बसावनचक गाँव के बीच में टकराया.''
अनंत सिंह की गिरफ़्तारी के बाद पटना के एसएसपी कार्तिकेय शर्मा ने रविवार को प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा था, ''दुलारचंद की हत्या जहाँ हुई, वहाँ अनंत सिंह मौजूद थे. अनंत सिंह इस मामले के मुख्य अभियुक्त हैं. उनके साथ नदावां गाँव के मणिकांत ठाकुर और रंजीत राम को भी गिरफ़्तार किया गया है."
"दुलारचंद की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक़ मौत दिल और फेफड़े में गहरी चोट के कारण हुई है. इसके अलावा पैर में गोली भी मारी गई थी.''
BBC अनंत सिंह का गाँव नदावां जब हम रविवार शाम घटनास्थल पर पहुँचे तो हिंसा के निशान सड़क पर मौजूद थे. टूटे शीशे और कहीं-कहीं ख़ून के निशान. हमलोगों के पहुँचने से पहले एक स्थानीय व्यक्ति वहां मौजूद था.
नाम ज़ाहिर नहीं करने की शर्त पर उन्होंने कहा, ''मतदान से चंद दिन पहले सारा कुछ हुआ. ज़ाहिर है कि यह महज संयोग नहीं है. अनंत सिंह और दुलारचंद के काफ़िले का आमने-सामने आना भी महज संयोग नहीं है. तारतर दुलारचंद का गाँव है. ऐसे में उन्हें पता होगा कि अनंत सिंह उस गाँव में हैं."
"दो बाहुबलियों के बीच पीयूष का चुनाव लड़ना बताता है कि वह किसी से डरते नहीं है. पीयूष पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं. भूमिहारों के बाद धानुकों की तादाद अच्छी ख़ासी है. धानुक उनके साथ हैं भी. लेकिन वह केवल धानुकों के दम पर चुनाव नहीं जीत सकते हैं.''
जो कभी साथ थे, ऐसे हुए दूरदुलारचंद राष्ट्रीय जनता दल में रहे हैं लेकिन इस बार पीयूष प्रियदर्शी का समर्थन कर रहे थे.
दुलारचंद के पोते नीरज यादव ने आरोप लगाया है कि अनंत सिंह के साथ रंजीत राम और मणिकांत ठाकुर की गिरफ़्तारी मामले को नया जातीय मोड़ देने के लिए की गई है.
नीरज आरोप लगाते हैं, "यह उलझाने के लिए किया गया है कि इसमें दलित भी शामिल थे. हमने जो एफ़आईआर दर्ज कराई है, उसमें अनंत सिंह के जिन पाँच सहयोगियों का नाम दिया था, उनमें से किसी को भी गिरफ़्तार नहीं किया गया है.''
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BBC दुलारचंद के पोते नीरज ने आरोप लगाया है कि मामले को उलझाया जा रहा है ऐसा नहीं है कि अनंत सिंह और दुलारचंद यादव में हमेशा से दुश्मनी थी. साल 2022 के उपचुनाव में अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी मोकामा से राष्ट्रीय जनता दल की उम्मीदवार थीं और दुलारचंद यादव ने उनका समर्थन किया था.
स्थानीय पत्रकार बताते हैं कि दोनों के बीच दूरियां साल 2024 के लोकसभा चुनाव में बढ़ने लगी थीं.
साल 2024 के लोकसभा चुनाव में मुंगेर से गैंगस्टर रहे अशोक महतो की पत्नी कुमारी अनिता को आरजेडी ने उम्मीदवार बनाया था. कुमारी अनिता के ख़िलाफ़ जेडीयू से ललन सिंह उम्मीदवार थे.
अनंत सिंह ख़ुद ललन सिंह का समर्थन कर रहे थे और दुलारचंद यादव कुमारी अनिता का. स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि इसी चुनाव में दुलारचंद यादव और अनंत सिंह के बीच कड़वाहट काफ़ी बढ़ गई थी.
दुलारचंद यादव के पोते नीरज ने अपने दादा की हत्या का सीधा आरोप अनंत सिंह पर लगाया है. वहीं अनंत सिंह ने इस हत्या का आरोप सूरजभान सिंह पर लगाया है.
सूरजभान सिंह से अनंत सिंह के आरोप पर बीबीसी हिन्दी ने पूछा तो वह इस सवाल से भड़क गए और कहा कि 'इसका जवाब जनता देगी.'
वीणा देवी से भी हमने पूछा तो उन्होंने कहा कि जाकर अनंत सिंह से पूछिए, हमसे ये सवाल मत पूछिए.
अनंत के चुनाव का काम देख रहे संदीप कुमार ने नीरज के आरोप को ख़ारिज कर दिया और कहा कि पूरे मामले में उनका कोई हाथ नहीं है.
सूरजभान ने तोड़ा था सियासी दबदबाअनंत सिंह के साथ जिन दो लोगों को गिरफ़्तार किया गया है, वे नदावां गाँव के हैं. नदावां अनंत सिंह का पैतृक गांव है. हमें रंजीत राम की पत्नी गीता नदावां में अपने घर के बाहर रोती हुई दिखीं.
गीता ने बताया कि उन्हें रविवार सुबह पता चला कि उनके पति को गिरफ़्तार कर लिया गया है.
गीता कहती हैं, ''मेरे पति अनंत सिंह के लिए खाना बनाते थे. उनका यही गुनाह है. मुझे उम्मीद है कि विधायक जी हमारी मदद करेंगे.''
मणिकांत ठाकुर की पत्नी शोभा से भी हमारी मुलाक़ात हुई लेकिन हमने उनसे सवाल पूछा तो वह रोने लगीं.
शोभा ने कहा कि उनके पति अनंत सिंह के बाल और दाढ़ी काटते थे और उनका यही गुनाह है.
जब हमलोग नदावां में थे तभी भीड़ में शामिल एक व्यक्ति ने कहा, "अनंत सिंह को जेल में भी कोई सेवा करने के लिए चाहिए, इसीलिए दोनों को पुलिस साथ ले गई है.''
58 साल के अनंत सिंह और उनके परिवार का मोकामा विधानसभा क्षेत्र में पिछले 35 सालों से दबदबा है.
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BBC मणिकांत ठाकुर की पत्नी शोभा ने बताया कि उनके पति अनंत सिंह के बाल और दाढ़ी बनाते थे इस दबदबे को साल 2000 के बिहार विधानसभा चुनाव में सूरजभान सिंह ने अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह को मोकामा से हराकर तोड़ा था.
सूरजभान सिंह कभी दिलीप सिंह के साथ रहा करते थे लेकिन साल 2000 के बाद चीज़ें तेजी से बदलीं.
दिलीप सिंह राबड़ी देवी की सरकार में मंत्री भी रहे थे. दिलीप सिंह साल 1990 और 1995 में मोकामा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते थे.
इसके बाद साल 2005 से अनंत सिंह मोकामा से जीत रहे हैं. अनंत सिंह इस दौरान जेडीयू और आरजेडी में भी रहे. निर्दलीय भी चुनाव लड़े लेकिन कोई उन्हें हरा नहीं पाया.
2020 में अनंत सिंह आरजेडी के टिकट पर मोकामा से विधायक बने थे लेकिन आर्म्स एक्ट केस में उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था.
पुलिस के मुताबिक नदावां स्थित उनके गाँव से एके-47 राइफल, ग्रेनेड और विस्फोटक बरामद हुए थे. साल 2024 में अनंत सिंह इस मामले में रिहा हुए और इस साल के चुनाव में जेडीयू ने उन्हें अपना टिकट दिया.
आरजेडी ने सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी को उम्मीदवार बनाया है. सूरजभान सिंह चुनाव नहीं लड़ सकते हैं क्योंकि उन्हें साल 2008 के एक मर्डर केस में दोषी ठहराया गया था.
सूरजभान सिंह साल 2004 में बेगूसराय के बलिया से लोकसभा सांसद बने थे. इसके बाद उनकी पत्नी वीणा देवी 2014 में लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतीं.
साल 2019 में सूरजभान सिंह के छोटे भाई चंदन सिंह नवादा से एलजेपी के टिकट पर विधायक बने. 2024 में सूरजभान सिंह राष्ट्रीय जनता दल में आ गए.
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