भारतीय क्रिकेटर चेतेश्वर पुजारा ने क्रिकेट के सभी फ़ॉर्मेट से संन्यास लेने की घोषणा की है. 37 वर्षीय पुजारा ने यह जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर साझा की.
पुजारा ने लिखा, "भारतीय जर्सी पहनना, राष्ट्रगान गाना और हर बार मैदान पर उतरकर अपना सर्वश्रेष्ठ देना - इसे शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल है."
"लेकिन जैसा कहा जाता है, सभी अच्छी चीज़ों का अंत होता है और मैंने भारतीय क्रिकेट के सभी रूपों से संन्यास लेने का निर्णय लिया है."
2010 में भारतीय क्रिकेट टीम में डेब्यू करने वाले चेतेश्वर पुजारा ने 103 टेस्ट मैचों में 7195 रन बनाए, जिसमें 19 शतक और 35 अर्धशतक शामिल हैं. उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ स्कोर नाबाद 206 रन है.
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गुजरात के राजकोट में जन्मे शांत और सौम्य चेतेश्वर अरविंद पुजारा के व्यक्तित्व और खेल ने उनकी क्लासिक क्रिकेटर की छवि गढ़ी.
पिता और कोच अरविंद पुजारा रणजी ट्रॉफ़ी के पूर्व खिलाड़ी रहे हैं. शुरू से ही चेतेश्वर लंबी पारी और धीरज के लिए जाने जाते रहे हैं.
पुजारा ने अंडर-14 में तिहरा शतक इंग्लैंड के ख़िलाफ़ और अंडर-19 में दोहरा शतक जमाया था.
ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ अपने पहले टेस्ट में पुजारा ने पांचवें नंबर पर बल्लेबाज़ी की और चार रन बना पाए. दूसरी पारी में उन्हें कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने नंबर 3 पर बल्लेबाज़ी करने के लिए भेजा. बेंगलुरु की मुश्किल पिच पर युवा पुजारा ने 72 रन बना कर भारत को सीरीज़ जिताई.
हालाँकि अगले ही साल उन्हें घुटने का ऑपरेशन करवाना पड़ा. 2012 में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ शतक लगाकर पुजारा ने ज़बरदस्त वापसी की.
उसी साल इंग्लैंड के गेंदबाज़ों के सामने भारतीय बल्लेबाज़ों ने घुटने टेक दिये तो पुजारा ने उसी सीरीज़ में एक शतक और एक दोहरा शतक लगाया.
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2013 आते-आते नंबर-3 पर पुजारा का क़ब्ज़ा हो चुका था. ऑस्ट्रेलिया के साथ घरेलू सीरीज़ में 7 पारियों में 84 की औसत से 419 रन बनाए. दक्षिण अफ़्रीका के दौरे पर जोहानसबर्ग की मुश्किल पिच और हालात में 153 रन की पारी लाजवाब कही जा सकती है.
सामने डेल स्टेन, वेरॉन फिलेंडर, मॉर्नी मॉर्कल और जैक कैलिस जैसे गेंदबाज़ थे.
चेतेश्वर पुजारा का करियर बुलंदियों पर था. मगर 2014 में उन्हें दूसरे घुटने की सर्जरी करानी पड़ी. घुटने के दूसरे ऑपरेशन के बाद 2014 में ही वनडे करियर ख़त्म हो गया था.
पुजारा टेस्ट खिलाड़ी बन कर रह गए. बहरहाल राहुल द्रविड़ से मिली नंबर 3 की विरासत को चेतेश्वर पुजारा ने बख़ूबी आगे बढ़ाया. 103 टेस्ट में 43.60 की औसत से 7195 रन जिनमें 19 शतक और 35 अर्धशतक शामिल हैं जो उनके बेहतरीन सफ़र की कहानी बयान कर रहे हैं.
एक दिलचस्प बात है कि पुजारा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन विराट कोहली के दौर में आया. कोहली आक्रामक क्रिकेट खेलते रहे थे और टीम से भी धमाकेदार बल्लेबाज़ी की उम्मीद रखते थे. लगा कि टीम में पुजारा की जगह नहीं बचेगी. मगर 2016 से 2019 के बीच पुजारा के करियर का स्वर्णिम काल था. इस दौरान उन्होंने 11 शतक जमाए.
2018-19 में भारत ने ऑस्ट्रेलिया में 4 टेस्ट की सीरीज़ जीती. इस ऐतिहासिक जीत में पुजारा ने 1258 गेंदें खेली और 3 शतक लगाए थे. पुजारा मैन ऑफ़ द सीरीज़ भी रहे.
साल 2020 के बाद चेतेश्वर पुजारा की ख़राब फ़ॉर्म शुरू हुई और 2020 से 2023 के बीच वह सिर्फ़ एक शतक बना पाए. इस दौरान उनका औसत 30 से कम का रहा था.
पुजारा ने अपना आख़िरी टेस्ट मैच जून 2023 में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फ़ाइनल के रूप में खेला था.
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