अमेरिका में बीबीसी के सहयोगी सीबीएस के मुताबिक डेमोक्रेटिक कैंडिडेट ज़ोहरान ममदानी न्यूयॉर्क के मेयर बनने जा रहे हैं.
4 नवंबर को हुए चुनाव में उनकी जीत तय मानी जा रही है.
सीबीएस के मुताबिक, 34 साल के ममदानी 100 साल से भी अधिक समय में न्यूयॉर्क के सबसे युवा और पहले मुसलमान और दक्षिण एशियाई मूल के मेयर होंगे.
ममदानी की जीत तय होने के साथ ही उनके समर्थक खुशी से उछल गए और जश्न मानने लगे.
बीबीसी संवाददाता मैडलिन हलपर्ट के मुताबिक लोग ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रहे थे, "ज़ोहरान, ज़ोरहान, ज़ोहरान".
वहाँ मौजूद तकरीबन हर शख्स चिल्ला रहा था और लोग एक-दूसरे को बधाइयां दे रहे थे.
मेयर पद के लिए मुख्य मुक़ाबला ज़ोहरान ममदानी और एंड्रयू कुओमो के बीच था. ममदानी से डेमोक्रेट प्राइमरी में हारने के बाद कुओमो इंडिपेंडेंट उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे थे.
वहीं, रिपब्लिकन पार्टी की ओर से कर्टिस स्लिवा उम्मीदवार थे.
स्लिवा ने अपनी हार स्वीकर कर ली है और ममदानी को शुभकामनाएं दी हैं.
उन्होंने कहा, "अब हमारे पास निर्वाचित मेयर हैं. मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं. क्योंकि वह अच्छा करेंगे, तो हम सब अच्छा करेंगे."
कौन हैं ज़ोहरान ममदानी?
Reuters ज़ोहरान क्वामे ममदानी का जन्म साल 1991 में युगांडा की राजधानी कंपाला में हुआ था. ममदानी के पिता ने उन्हें एक क्रांतिकारी और घाना के पहले प्रधानमंत्री क्वामे एन्क्रूमाह के नाम पर मिडिल नेम क्वामे दिया था.
ममदानी मशहूर भारतीय-अमेरिकी फ़िल्म निर्देशक मीरा नायर और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के जाने-माने प्रोफे़सर महमूद ममदानी के बेटे हैं.
कंपाला में उन्होंने अपने शुरुआती दिन बिताए और फिर पांच साल की उम्र में दक्षिण अफ़्रीका आ गए.
ममदानी के भारतीय मूल के पिता महमूद ममदानी केपटाउन विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर थे. केपटाउन में ही 1848 में शुरू हुए दक्षिण अफ़्रीका के सबसे पुराने स्कूल सेंट जॉर्ज ग्रामर में उन्होंने शुरुआती पढ़ाई-लिखाई की.
सात साल की उम्र में वे न्यूयॉर्क आ गए. उन्होंने ब्रॉन्क्स हाई स्कूल ऑफ़ साइंस से पढ़ाई की.
साल 2014 में उन्होंने बोडन कॉलेज से 'बैचलर इन अफ़्रीकन स्टडीज़' में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की.
कुछ साल बाद 2018 में, ममदानी एक अमेरिकी नागरिक बन गए.
ममदानी का राजनीतिक सफ़र
EPA ज़ोहरान ममदानी ने सक्रिय राजनीति में क़दम रखने से पहले एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर काम किया.
राजनीति में आने से पहले ज़ोहरान ममदानी क्वींस, न्यूयॉर्क में बतौर फॉरक्लोज़र काउंसलर (घर ज़ब्ती मामलों में सलाहकार) काम करते थे. ममदानी कम आय वाले परिवारों की मदद करते थे जो आर्थिक तंगी के कारण अपने घर खोने की कगार पर थे.
इस काम के दौरान उन्होंने देखा कि जिन परिवारों की मदद वह कर रहे थे, उनकी दिक्कतें केवल आर्थिक नहीं बल्कि नीतिगत भी थीं. इसी अनुभव ने उन्हें सक्रिय राजनीति की ओर प्रेरित किया ताकि वह नीतियां बदल सकें जो आम लोगों को प्रभावित करती हैं.
इसके बाद साल 2020 में उन्होंने पहला चुनाव लड़ा. उन्होंने न्यूयॉर्क असेंबली के 36वें डिस्ट्रिक्ट (एस्टोरिया, क्वींस) से डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा.
ज़ोहरान ममदानी पहली बार में ही जीत गए और न्यूयॉर्क स्टेट असेंबली में पहले दक्षिण एशियाई और पहले सोशलिस्ट प्रतिनिधि बने.
अब डेमोक्रेट ममदानी ने न्यूयॉर्क मेयर प्राइमरी में पूर्व गवर्नर को पीछे छोड़कर सभी को चौंका दिया है.
राज्य के पूर्व गवर्नर 67 वर्षीय कुओमो, यौन उत्पीड़न से जुड़े एक मामले में 2021 में पद से इस्तीफ़ा देने के बाद राजनीतिक वापसी का प्रयास कर रहे थे.
जीत के बाद ममदानी ने कहा, "आज रात हमने इतिहास लिखा है. जैसा कि नेल्सन मंडेला ने कहा था- 'जब तक यह पूरा नहीं हो जाता, यह हमेशा असंभव लगता है.' मेरे दोस्तों, हमने इसे कर दिखाया. मैं डेमोक्रेटिक उम्मीदवार के रूप में आपकी न्यूयॉर्क सिटी का मेयर बनूंगा."
मोदी और इसराइल की आलोचना
Reuters ज़ोहरान ममदानी अपने माता-पिता और पत्नी के साथ ज़ोहरान ममदानी इसराइल से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक की खुलकर आलोचना कर चुके हैं.
मई, 2025 में एक कार्यक्रम में उनसे एक सवाल पूछा गया कि अगर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मैडिसन स्क्वायर गार्डन में रैली करते हैं और फिर न्यूयॉर्क के मेयर के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करना चाहते हैं, तो क्या वह उसमें शामिल होंगे?
ममदानी ने 'नहीं' में जवाब देते हुए कहा था, "मेरे पिता और उनका परिवार गुजरात से है. नरेंद्र मोदी ने गुजरात में मुसलमानों के बड़े पैमाने पर क़त्लेआम को अंजाम देने में मदद की, इतनी बड़ी हिंसा हुई कि अब तो ऐसा लगता है जैसे गुजराती मुसलमान हैं ही नहीं. हमें मोदी को उसी नज़र से देखना चाहिए जैसे हम बिन्यामिन नेतन्याहू को देखते हैं. वह एक युद्ध अपराधी हैं."
इस बयान के बाद न्यूयॉर्क के कुछ इंडो-अमेरिकन और हिंदू, सिख समुदायों ने इसे विभाजनकारी और घृणास्पद बताया था. साथ ही इन लोगों ने ममदानी से माफ़ी की मांग की थी.
यहां ये बताना ज़रूरी है कि गुजरात दंगों के सभी आरोपों से सुप्रीम कोर्ट ने जून 2022 में नरेन्द्र मोदी को मुक्त कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश से गठित विशेष जाँच दल की उस रिपोर्ट को शीर्ष अदालत ने स्वीकार कर लिया जिसमें उन्हें दोषमुक्त बताया गया था.
ज़ोहरान ममदानी का फ़लस्तीन के समर्थन और इसराइल की आलोचना को लेकर डेमोक्रेटिक पार्टी के ज़्यादातर नेताओं से मतभेद रहा है.
एक अमेरिकी चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने इसराइल के यहूदी देश के रूप में अस्तित्व का विरोध किया था.
उन्होंने कहा, "मैं किसी ऐसे देश का समर्थन नहीं कर सकता जहां नागरिकता धर्म या किसी और आधार पर बांटी जाती हो. हर देश में समानता होनी चाहिए, यही मेरा विश्वास है."
ममदानी ने कथित तौर पर इसराइल के लिए उकसावे वाले काफ़ी विवादित 'ग्लोबलाइज़ द इंतिफ़ादा' नारे से दूरी नहीं बनाई. उन्होंने इसे फ़लस्तीनी लोगों की मानवाधिकारों की लड़ाई का प्रतीक बताया- वह इसे हिंसक नहीं, बल्कि समानता की आवाज़ मानते हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
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