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पीरियड्स में छात्रा को स्कूल की सीढ़ियों पर बैठाकर परीक्षा दिलाने का पूरा मामला क्या है

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Special Arrangement / Getty Images आरोपों के मुताबिक़ कोयंबटूर में आठवीं क्लास की बच्ची को क्लासरूम के बाहर बैठकर परीक्षा देने के लिए मजबूर किया गया

तमिलनाडु में एक निजी स्कूल में आठवीं की छात्रा को माहवारी की वजह से क्लास के दरवाज़े के बाहर बैठकर परीक्षा देने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. ये घटना कोयंबटूर ज़िले के किनाथुकडावु की है.

इस घटना के संबंध में एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है और शुक्रवार को नेगामम पुलिस थाने ने इसकी जांच की है.

पोल्लाची की सहायक पुलिस अधीक्षक सृष्टि सिंह मामले की जांच कर रही हैं.

क्लासरूम के बाहर बैठकर परीक्षा देने वाली छात्रा के माता-पिता और रिश्तेदार भी पुलिस जांच में शामिल हुए और अपना पक्ष रखा.

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हालांकि पुलिस ने बताया है कि स्कूल प्रशासन या जिन लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है, उनमें से कोई भी पूछताछ के लिए सामने नहीं आया है.

सृष्टि सिंह ने बताया है कि मामले की जांच अभी पूरी नहीं हुई है.

माँ ने ख़ुद बच्ची का वीडियो बनाया image Getty Images बताया जा रहा है कि मामला सामने आने के दो दिन पहले भी बच्ची इन्हीं हालात में परीक्षा दे रही थी (सांकेतिक तस्वीर)

कोयंबटूर ज़िले के किनाथुकडावु के पास सेनगुट्टईपलायम इलाक़े के एक दिहाड़ी मज़दूर की बेटी निजी स्कूल में 8वीं कलास में पढ़ रही है.

छात्रा को 5 अप्रैल को पहला पीरियड आया था. आरोप है कि परीक्षा देने आई छात्रा को ज़बरन क्लास के बाहर रोक कर परीक्षा देने के लिए मजबूर किया गया.

छात्रा के पिता का कहना है, "मेरी बेटी अपनी परीक्षा देकर घर आई. उसने बताया कि रात में उसके पैरों में बहुत दर्द होता है. मेरी पत्नी ने यह सोचकर कि यह युवावस्था में होने वाला दर्द है, उसके पैर में तेल लगाया. उसके पीरियड्स को केवल 3 दिन ही हुए थे."

वो कहते हैं, "जब मेरी पत्नी ने इसके बारे में पूछा तो वह रो पड़ी और उसने बताया कि उसके पैरों में दर्द हो रहा है, क्योंकि वह तीन घंटे तक क्लास की सीढ़ियों पर बिना हिले-डुले बैठी रही."

स्कूल प्रशासन ने प्रिंसिपल को निलंबित करते हुए कहा है कि उन्होंने अभिभावकों के अनुरोध पर छात्रा को अकेले बैठाकर परीक्षा दिलवाई.

हालांकि, पोल्लाची की सहायक पुलिस अधीक्षक सृष्टि सिंह ने बीबीसी तमिल को बताया कि इस बात का स्पष्टीकरण मांगा गया है कि उन्होंने अलग क्लासरूम के बजाय छात्रा को क्लासरूम के बाहर क्यों बैठाया.

परीक्षा के दौरान स्कूल आई छात्रा की मां ने इसका वीडियो बना लिया. उनका यह वीडियो मीडिया और सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसके कारण इस घटना की कड़ी आलोचना हो रही है.

वीडियो में छात्रा स्कूल में क्लासरूम के बाहर सीढ़ियों पर अकेली बैठी परीक्षा दे रही है और जब उसकी मां उससे इसका कारण पूछ रही है, तो स्कूल के प्रिंसिपल और सहायक वहां पहुंचकर छात्रा की मां से बहस करते हैं कि वह बिना अनुमति के स्कूल में कैसे आईं और वीडियो कैसे बना लिया.

घटना के बारे में बीबीसी तमिल से बात करते हुए छात्रा के पिता ने कहा, "मेरी सबसे छोटी बेटी का 5 अप्रैल को पीरियड शुरू हुआ. वह 7 तारीख़ को परीक्षा देने गई थी. उस दिन उन्होंने उसे क्लासरूम के बाहर सीढ़ियों पर अकेले बैठाकर परीक्षा दिलवाई. हमें इसके बारे में उस रात ही पता चल गया था."

उसके बाद जब यह छात्रा बुधवार को भी इसी तरह परीक्षा दे रही थी तो उसकी मां ने इसकी पुष्टि के लिए स्कूल पहुंचकर इस घटना का वीडियो बना लिया.

उन्होंने कहा कि वे भी उसी स्कूल में पढ़े हैं और वहां काम करने वाले कुछ शिक्षक और कर्मचारी सामाजिक आधार पर छात्रों के साथ भेदभाव करते हैं.

इस घटना पर हंगामा मचने के बाद, 10 अप्रैल की सुबह कोयंबटूर पहुंचे तमिलनाडु के ऊर्जा मंत्री सेंथिल बालाजी से पत्रकारों ने सवाल किया कि क्या कोयंबटूर के निजी स्कूलों में इस तरह के उल्लंघन अक्सर होते हैं?

जवाब में उन्होंने कहा कि पुलिस मामले की जांच कर रही है.

महावीर जयंती के सरकारी अवकाश की वजह से गुरुवार को स्कूल बंद था. फिर शुक्रवार सुबह पोल्लाची की सहायक पुलिस अधीक्षक सृष्टि सिंह के नेतृत्व में पुलिस स्कूल गई और घटना की जांच की.

बीबीसी तमिल ने स्कूल प्रशासक कल्पना देवी से संपर्क करने की कोशिश की. हालांकि इस घटना पर उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है.

क्या इसके पीछे जातीय भेदभाव था? image Getty Images पीड़ित छात्रा के पिता ने स्कूल के कुछ लोगों पर भेदभाव का आरोप लगाया है (सांकेतिक तस्वीर)

इस संदर्भ में जनता विमुक्ति पेरामुना के कोयंबटूर ज़िला अध्यक्ष थंबू के नेतृत्व में कुछ लोगों ने पोल्लाची उप-कलेक्टर को एक शिकायत सौंपी है.

इसमें उन्होंने कहा है, "क्योंकि वह अरुंधति समुदाय की छात्रा है, इसलिए उसके साथ भेदभाव के इरादे से उसे बाहर बैठाकर परीक्षा लिखवाई गई."

इस शिकायत में मांग की गई है कि "घटना में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जानी चाहिए."

पुलिस ने बताया कि जब स्कूल की जांच की गई तो स्कूल प्रशासन ने बताया कि छात्रा को क्लासरूम के बाहर परीक्षा देने की अनुमति केवल इसलिए दी गई थी क्योंकि छात्रा के माता-पिता ने ऐसा अनुरोध किया था.

उन्होंने यह भी दावा किया कि स्कूल के शिक्षकों ने कहा है कि उन्होंने कभी किसी अन्य छात्र को इस तरह लिखने के लिए नहीं कहा.

बीबीसी तमिल से बात करते हुए पोल्लाची की सहायक पुलिस अधीक्षक सृष्टि सिंह ने कहा, "छात्रा की मां ने सबसे पहले क्लास टीचर से फोन पर संपर्क किया और उन्हें बताया कि उनकी बेटी को पहली बार पीरियड्स शुरू हुआ है. इसलिए उन्होंने पूछा कि क्या वो अलग से परीक्षा दे सकती है?"

फिर क्लास टीचर ने छात्रा की मां को स्कूल के प्रिंसिपल से संपर्क करने को कहा.

सृष्टि सिंह ने कहा, "स्कूल प्रिंसिपल का कहना है कि उन्होंने उसे अलग से परीक्षा देने को कहा, क्योंकि छात्रा की मां 7 तारीख़ को ख़ुद उनके पास आई थीं और उन्होंने ऐसा करने को कहा था."

सृष्टि सिंह आगे कहा, "उस रात जब छात्रा ने शिकायत की कि उसके पैर में दर्द हो रहा है, तभी उसकी मां को पता चला कि उसे बाहर बैठाकर परीक्षा देने के लिए कहा गया था."

हालांकि अगले दिन सभी की कक्षाएं थीं, फिर भी उन्होंने अपनी बेटी को स्कूल नहीं भेजा.

उन्होंने कहा, "9 अप्रैल को जब छात्रा उसी जगह पर बैठकर परीक्षा दे रही थी, तो छात्रा की मां वहां आई और उसने इसका वीडियो बना लिया."

छात्रा के पिता ने स्कूल प्रशासन की टिप्पणियों का खंडन करते हुए बीबीसी तमिल को बताया कि उन्होंने अपनी बेटी की उम्र का हवाला देते हुए पूछा था कि क्या उसे परीक्षा देनी होगी और चूंकि उसे बताया गया था कि उसे परीक्षा देनी होगी, इसलिए उन्होंने स्कूल प्रिंसिपल से उसे अकेले बैठने और परीक्षा देने की अनुमति देने के लिए कहा था.

उनका कहना है, "यह सच है कि हमने अलग से बैठाकर परीक्षा दिलाने को कहा था. लेकिन हमने पूछा था कि क्या वे एक अलग कक्षा या किसी हॉल में अलग डेस्क देंगे और बैठकर लिखने की अनुमति देंगे."

सहायक पुलिस अधीक्षक सृष्टि सिंह ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में स्कूल प्रशासन से स्पष्टीकरण मांगा है.

उन्होंने यह भी कहा कि वह इस बात की भी जांच करेंगी कि क्या इस स्कूल में पहले भी ऐसी कोई घटना हुई थी.

उनका कहना है, "प्रिंसिपल के दफ़्तर में बहुत सारी मेजें और कुर्सियाँ हैं. आप वहां लिखवा सकते हैं. सवाल यह है कि उन्होंने छात्रा को बाहर बैठाकर लिखने को क्यों कहा?"

इस संबंध में छात्रा के पिता की शिकायत के आधार पर नेगामम पुलिस स्टेशन में स्कूल की सहायक प्रिंसिपल और प्रिंसिपल आनंदी, कार्यालय सहायक शांति और प्रिंसिपल थंगावेल पांडियन के ख़िलाफ़ एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(1) (आर) और 3(1) (जेडए) (डी) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

स्कूल प्रिंसिपल पर कार्रवाई

इस घटना में, कई लोग सोशल मीडिया पर छात्रा के माता-पिता की आलोचना कर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने स्कूल प्रशासन से छात्रा की उम्र का हवाला देते हुए उसे अलग से परीक्षा देने की अनुमति मांगी थी.

बीबीसी तमिल से बात करते हुए डेमोक्रेटिक विमेंस एसोसिएशन की राज्य महासचिव राधिका ने कहा, "यह नहीं कहा जा सकता कि अभिभावकों का छात्रा को अलग से परीक्षा देने का अनुरोध सही है. लेकिन, शिक्षकों का यह कर्तव्य है कि वे अपने बच्चों को अन्य छात्रों के साथ परीक्षा देने के लिए कहकर जागरूकता बढ़ाएं."

जिस समय पुलिस अधिकारी स्कूल की जांच कर रहे थे, उसी समय तमिलनाडु स्कूल शिक्षा विभाग ने एक घोषणा की, जिसमें कहा गया, "सभी स्कूलों को एक सूचना भेजी जाएगी, जिसमें कहा जाएगा कि ऐसी छात्राओं को अकेले बैठकर परीक्षा नहीं लिखवाई जानी चाहिए."

इसके बाद तमिलनाडु के स्कूल शिक्षा मंत्री अंबिल महेश ने पर लिखा, "निजी स्कूल पर विभागीय जांच की गई. स्कूल प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया गया है. बच्चों पर किसी भी रूप में अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. प्रिय छात्र, अकेले मत बैठो! हम यहाँ हैं. "

शिक्षा विभाग की जांच image Getty Images

स्कूल में की गई जांच के बारे में पत्रकारों से बात करते हुए कोयंबटूर जिला शिक्षा अधिकारी (अंतरिम) गोमती ने कहा, "हमने स्कूल में जांच की है. अभी तक मेरी छात्रा के माता-पिता से बात नहीं हुई है. पहले कदम के तौर पर स्कूल की प्रिंसिपल आनंदी को निलंबित कर दिया गया है.

उन्होंने कहा, "इस मामले में आगे की कार्रवाई वरिष्ठ शिक्षा अधिकारियों द्वारा की जाएगी."

जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि जांच रिपोर्ट मुख्य शिक्षा अधिकारी को सौंपी जाएगी, जिसके बाद अंतिम कार्रवाई की जाएगी.

उनका कहना है, "स्कूलों को एक सर्कुलर जारी कर उनसे पीरियड्स के दौरान छात्राओं के स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी उपाय करने को कहा गया है. यह भी सलाह दी गई है कि वहां नैपकिन मशीन और उसे डिस्पोज़ करने के लिए जगह होनी चाहिए."

जिला शिक्षा अधिकारी गोमती ने कहा, "अब से इसे अतिरिक्त सावधानी के साथ लागू करने के लिए कदम उठाए जाएंगे."

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