उत्तर प्रदेश में ट्रैफिक चालान से बचने के लिए लोग कई तरीके अपनाते हैं, लेकिन अब नियमों का उल्लंघन करने पर बचने का कोई उपाय नहीं होगा। राज्य के 15 जिलों में ट्रैफिक नियमों को और सख्त किया जाएगा। सड़क दुर्घटनाओं को कम करने और ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए यहां 'तीसरी आंख' के माध्यम से वाहनों की निगरानी की जाएगी। पहले यह व्यवस्था बड़े शहरों में थी, लेकिन अब छोटे शहरों में भी इसे लागू किया जाएगा।
ITMS का कार्यान्वयन
इन 15 जिलों में इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ITMS) की शुरुआत की जाएगी: हरदोई, बांदा, बस्ती, गोंडा, सिद्धार्थनगर, रायबरेली, सीतापुर, बाराबंकी, प्रतापगढ़, गाजियाबाद, सुलतानपुर, कानपुर देहात, उन्नाव और एटा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2021 में निर्देश दिए थे कि 57 शहरों और सभी नगर निगमों में ITMS को लागू किया जाए।
पहले से लागू जिलों की जानकारी
वर्तमान में उत्तर प्रदेश के 17 जिलों में ITMS कार्यरत है। लखनऊ, कानपुर, नोएडा, वाराणसी, और आगरा में इसकी शुरुआत हुई थी। इसके बाद गोरखपुर, मेरठ, बरेली, शाहजहांपुर, सहारनपुर, मुरादाबाद, प्रयागराज, झांसी, अलीगढ़, फिरोजाबाद, मथुरा और अयोध्या में भी यह सिस्टम लागू किया गया है।
ITMS के लाभ
ITMS के कार्यान्वयन से शहरों के प्रमुख चौराहों पर ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली स्थापित की जाएगी। इसका लाभ यह होगा कि सीसीटीवी कैमरों से वाहनों की नंबर प्लेट को ट्रैक किया जा सकेगा और ई-चालान सीधे वाहन मालिक के पते पर भेजा जाएगा। इसके अलावा, ट्रैफिक जाम की समस्या से भी राहत मिलेगी। किसी भी विरोध प्रदर्शन या अन्य कारणों से जाम लगने पर ट्रैफिक को डायवर्ट किया जा सकेगा। मेडिकल इमरजेंसी के दौरान भी ऑटोमेटिक साउंड सिस्टम से मार्ग को ग्रीन कॉरिडोर में बदला जा सकेगा।
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