Haryana Update : आपने शायद सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए कई बैंक खाते खोले होंगे। सेविंग अकाउंट के लिए कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना आवश्यक है। यदि आप इन नियमों का उल्लंघन करते हैं, तो आपको आयकर विभाग की जांच या नोटिस का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं सेविंग अकाउंट से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें।
लेन-देन की सीमा जानें लेन-देन की सीमा जानें
यह सुनिश्चित करें कि आपका सेविंग अकाउंट पैन और आधार से लिंक है। इससे आपके बैंकिंग लेन-देन में कोई समस्या नहीं आएगी और आपके लेन-देन वैध रहेंगे। यदि आप एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये से अधिक नकद जमा या निकासी करते हैं, तो आप आयकर विभाग की नजर में आ सकते हैं।
टीडीएस और लेन-देन पर ध्यान दें लेन-देन और टीडीएस पर ध्यान दें
यदि आप चेक या ऑनलाइन माध्यम से लेन-देन कर रहे हैं और एक वित्तीय वर्ष में कुल 50 लाख रुपये या उससे अधिक का लेन-देन करते हैं, तो इसकी जानकारी आयकर विभाग को देनी आवश्यक है। इसके अलावा, सेविंग अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज पर टीडीएस नहीं लगता, लेकिन यदि ब्याज की राशि 10,000 रुपये से अधिक हो, तो इसे आयकर रिटर्न में दिखाना जरूरी है।
बड़े लेन-देन की जानकारी दें बड़े लेन-देन की जानकारी दें
यदि आप बैंक में लॉकर लेते हैं या 1 लाख रुपये या उससे अधिक का निवेश करते हैं, तो सुनिश्चित करें कि यह धन वैध रूप से इस खर्च का समर्थन कर रहा हो। एक से अधिक बचत खातों का उपयोग केवल व्यक्तिगत और कानूनी कार्यों के लिए करें। अनावश्यक लेन-देन से बचें।
बेनामी लेन-देन से बचें बेनामी लेन-देन से बचें
यदि आपकी आय आयकर के दायरे में आती है, तो समय पर आयकर रिटर्न दाखिल करें। साथ ही, बचत खाते से होने वाली ब्याज आय को इसमें शामिल करें। ध्यान रखें कि अपना अकाउंट किसी अन्य व्यक्ति की नकदी या संदिग्ध लेन-देन के लिए न उपयोग करें, क्योंकि यह बेनामी लेन-देन के अंतर्गत आता है और आयकर विभाग से नोटिस मिल सकता है।
नकद लेन-देन की सीमा नकद लेन-देन की सीमा
आयकर कानून के अनुसार, एक व्यक्ति एक दिन में 2 लाख रुपये से अधिक की नकद लेन-देन नहीं कर सकता है। यदि ऐसा किया जाता है, तो आयकर विभाग से नोटिस मिल सकता है। इसलिए, अपनी बैंकिंग लेन-देन का सही रिकॉर्ड रखें ताकि किसी भी पूछताछ के समय समस्या न हो।
नियमों का पालन करें नियमों का पालन करें
इन नियमों का पालन करके आप अपने अकाउंट को वैध और पारदर्शी रख सकते हैं, और आयकर विभाग की जांच या नोटिस से बच सकते हैं।
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