इजरायल को कृषि के क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक के लिए जाना जाता है, जहां रेगिस्तान में ओस से सिंचाई की जाती है और दीवारों पर फसलें उगाई जाती हैं। राजस्थान के एक किसान ने इसी तकनीक को अपनाकर खेती में सफलता हासिल की है।
जयपुर जिले के गुड़ा कुमावतान गांव के खेमाराम चौधरी (45 वर्ष) ने इजरायल की खेती की तकनीक को अपने खेतों में लागू किया है। चार साल पहले उन्होंने संरक्षित खेती (पॉली हाउस) शुरू की थी, और अब उनका सालाना टर्नओवर एक करोड़ रुपये है।
सरकार से मिली इजरायल यात्रा का लाभ सरकार की तरफ से इजरायल जाने का मिला मौका
खेमाराम को इजरायल जाने का अवसर मिला, जहां उन्होंने कृषि की नई तकनीकें देखीं। लौटने के बाद, उन्होंने अपने खेतों में इन तकनीकों को लागू करने का निर्णय लिया।
सरकारी सब्सिडी से पहला पॉली हाउस स्थापित किया
उन्होंने चार हजार वर्ग मीटर में पहला पॉली हाउस सरकारी सब्सिडी से स्थापित किया। खेमाराम ने बताया कि इस पॉली हाउस की लागत 33 लाख रुपये थी, जिसमें से नौ लाख रुपये उन्होंने बैंक से लोन लेकर चुकाए।
मिनी इजरायल के रूप में पहचान
मिनी इजरायल के नाम से मशहूर है क्षेत्र
खेमाराम चौधरी ने इजरायल के मॉडल को अपनाने वाले पहले किसान बनकर अपने गांव को मिनी इजरायल के रूप में पहचान दिलाई। उनके पास अब सात पॉली हाउस, दो तालाब और 40 किलोवाट का सोलर पैनल है।
इस क्षेत्र में अब लगभग 200 पॉली हाउस बन चुके हैं, और किसान संरक्षित खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
खेती में बदलाव और मुनाफा
मुनाफे का सौदा है खेती

खेमाराम ने बताया कि पहले उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी, लेकिन इजरायल से लौटने के बाद उन्होंने खेती में बदलाव लाकर अपनी आय को बढ़ाया।
ड्रिप इरीगेशन और मल्च पद्धति का उपयोग करके उन्होंने लागत कम की और फसल की पैदावार बढ़ाई।
सौर ऊर्जा और जल संरक्षण
सौर्य ऊर्जा से बिजली कटौती को दे रहे मात
खेमाराम ने अपने खेत में सौर पैनल लगाकर बिजली की कमी को दूर किया है। उनका मानना है कि किसानों को नई तकनीकों को अपनाना चाहिए ताकि उनकी आय में वृद्धि हो सके।
किसानों का बढ़ता उत्साह
रोजाना इनके मिनी इजरायल को देखने आते हैं किसान
राजस्थान के इस मिनी इजरायल की चर्चा न केवल राज्य में, बल्कि अन्य प्रदेशों और विदेशों में भी हो रही है। खेमाराम के प्रयासों से अन्य किसान भी खेती के नए तरीकों को अपनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
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