पारिजात का परिचय
पारिजात का वैज्ञानिक महत्व
पारिजात के 15 अद्भुत फायदे
गठिया: पारिजात के पांच पत्तों को पीसकर चटनी बनाएं और गर्म पानी में मिलाकर पीने से गठिया का दर्द ठीक होता है।
घुटनों की चिकनाई: 10-12 पत्तों को उबालकर पीने से घुटनों की चिकनाई वापस आती है।
साइटिका: पत्तों का काढ़ा बनाकर सेवन करने से साइटिका में राहत मिलती है।
गंजापन: बीज को पीसकर गंजे स्थान पर लगाने से नए बाल उगने लगते हैं।
बुखार: पत्तों का रस पीने से चिकनगुनिया, डेंगू और मलेरिया बुखार ठीक होते हैं।
बवासीर: बीज का सेवन करने से बवासीर में राहत मिलती है।
यकृत: पत्तों का रस लिवर की वृद्धि को ठीक करता है।
हृदय रोग: फूलों का सेवन हृदय के लिए लाभकारी होता है।
दाद: पत्तियों का लेप लगाने से दाद ठीक होता है।
सूखी खाँसी: पत्तियों को शहद में मिलाकर सेवन करने से सूखी खाँसी ठीक होती है।
त्वचा रोग: पत्तियों का लेप त्वचा संबंधी रोगों में मदद करता है।
दमा: छाल का चूर्ण सेवन करने से दमा में लाभ होता है।
क्रोनिक बुखार: कोंपल का सेवन स्त्री रोग में लाभकारी होता है।
खुजली: पत्तों का लेप खुजली में राहत देता है।
सावधानियाँ
हारसिंगार का पेड़ आकार में बहुत बड़ा नहीं होता, लेकिन इसके गोल बीज और सुगंधित फूल इसे खास बनाते हैं। जब हवा में इन फूलों की खुशबू फैलती है, तो मन प्रसन्न हो जाता है।
पारिजात का वैज्ञानिक महत्व
संस्कृत में इसे पारिजात और बंगाली में शिउली कहा जाता है। इसके छोटे सफेद फूलों की डंडी नारंगी रंग की होती है और ये रात में खिलते हैं। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में एक ऐसा पारिजात वृक्ष है, जो लगभग 50 फीट ऊँचा है। यह वृक्ष एक बार में केवल जून में फूलता है और इसकी आयु 1000 से 5000 वर्ष तक हो सकती है।
पारिजात के 15 अद्भुत फायदे
पारिजात या हरसिंगार के 15 चमत्कारिक फायदे :
सावधानियाँ
कृपया ध्यान रहे :
- हारसिंहार खांसी में नुकसानदायक हो सकता है। इसके दोषों को दूर करने के लिए कुटकी का उपयोग करें।
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