नई दिल्ली. जिसने शेयर बाजार में मिड और स्मॉल कैप में गिरावट की सटीक भविष्यवाणी की थी और निवेशकों को बाजार से दूर रहने के लिए कहा था, उसी एक्सपर्ट ने अब सोना और चांदी को लेकर लोगों को चेतावनी दी है. ICICI प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजिस्ट एस. नरेन का कहना है कि अगर लोग हाल ही में आई सोना-चांदी की तेजी देखकर निवेश कर रहे हैं, तो यह उनके लिए लंबे समय में खतरे की घंटी हो सकता है.
नरेन ने समझाया कि निवेश का सबसे बड़ा नियम है- सही समय पर सही एसेट चुनना. लेकिन ज्यादातर लोग तब किसी एसेट में पैसा लगाते हैं जब वह पहले से अच्छा प्रदर्शन कर चुका होता है. शुरुआत में यह सही लगता है, क्योंकि कीमतें ऊपर जा रही होती हैं और रिटर्न अच्छे दिखते हैं. लेकिन लंबे समय में यही तरीका निवेशक को नुकसान पहुंचा देता है. उन्होंने इसे “एंटी-एसेट अलोकेशन” कहा, यानी गलत समय पर निवेश करने की आदत.
अभी सतर्क हो जाने का सही समय
उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में सोना और चांदी ने शेयर बाजार से बेहतर प्रदर्शन किया है, इसलिए लोग इन्हें खरीदने की दौड़ में लग गए हैं. लेकिन यही समय है जब सबसे ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है. क्योंकि पिछला प्रदर्शन कभी गारंटी नहीं देता कि आगे भी यही रफ्तार जारी रहेगी.
नरेन ने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर दो-ढाई साल पहले किसी ने चांदी खरीदी होती, तो वह समझदारी का फैसला होता क्योंकि उस समय इसकी कीमतें काफी नीचे थीं. लेकिन आज जब चांदी की कीमतें पहले से ही बहुत ऊपर हैं, तब खरीदना खतरनाक हो सकता है. सोना-चांदी को लेकर उन्होंने कहा कि यह न तो डिविडेंड देते हैं, न ब्याज कमाते हैं, और न ही इन्हें किसी फाइनेंशियल मेट्रिक जैसे P/E रेशियो से आंका जा सकता है.
उन्होंने साफ कहा कि लोग सोने से इसलिए प्रभावित हो रहे हैं क्योंकि इसने शेयर बाजार से ज्यादा रिटर्न दिया है. लेकिन यही कारण सबसे बड़ा खतरा है. जब कोई एसेट अपने चरम पर होता है, तब उसमें निवेश करना ज्यादा रिस्क बढ़ा देता है.
तो निवेशकों को क्या करना चाहिए?
नरेन का सुझाव है कि अगर सोना-चांदी में निवेश करना है तो इसे अकेले पोर्टफोलियो का बड़ा हिस्सा न बनाएं. इसे मल्टी-एसेट स्ट्रैटेजी के हिस्से के रूप में ही रखें, ताकि आपका निवेश संतुलित रहे. इस तरह आप एक ही थीम में ज्यादा पैसा लगाने के खतरे से बचेंगे और अपने पोर्टफोलियो को सुरक्षित रखेंगे.
आखिर में उन्होंने कहा कि निवेश सिर्फ गणित नहीं है, यह आपके व्यवहार पर निर्भर करता है. सही निवेशक वही है जो तब खरीदता है जब कीमतें नीचे हों और तब बेचता है जब कीमतें ऊंची हों. लेकिन आमतौर पर लोग इसके उलट करते हैं. वे कीमतें चढ़ने पर खरीदते हैं और गिरने पर घबराकर बेच देते हैं. यही सबसे बड़ी गलती है जो उन्हें लंबे समय में घाटे में डाल देती है.
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