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महाराष्ट्र: महिला डॉक्टर की आत्महत्या पर रेजिडेंट डॉक्टरों का प्रदर्शन, काम के लिए मांगा सुरक्षित माहौल

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Mumbai , 25 अक्टूबर . Maharashtra के सतारा में 26 वर्षीय महिला डॉक्टर के रेप और आत्महत्या के मामले से नाराज डॉक्टरों ने Saturday को Mumbai के केईएम अस्पताल में प्रदर्शन किया. Maharashtra एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (एमएआरडी) के बैनर तले रेजिडेंट डॉक्टरों ने बांह पर काली पट्टी बांधकर घटना पर दुख जताया.

आरोप है कि एक Police अधिकारी ने डॉक्टर से बार-बार रेप किया और एक सांसद ने जेल में बंद आरोपियों की मेडिकल रिपोर्ट में हेराफेरी करने का दबाव डॉक्टर पर डाला था. इस घटना के बाद साथी डॉक्टरों के बीच आक्रोश देखने को मिल रहा है.

राज्यभर के 8,000 से अधिक रेजिडेंट डॉक्टरों ने इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया और न्याय की मांग की. उन्होंने मामले की गहन जांच के लिए सीआईडी या विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की मांग भी की.

केईएम अस्पताल की कई महिला डॉक्टरों ने भय और असुरक्षा जाहिर करते हुए कहा कि अगर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो ऐसी घटनाएं दोबारा हो सकती हैं.

से बातचीत में रेजिडेंट डॉ. समीर वारगे ने कहा, “इस घटना के बाद हमने काली पट्टियां बांधकर काम करते हुए विरोध दर्ज किया है. ओपीडी और आपातकालीन सेवाएं बंद नहीं की गई, लेकिन अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं, तो हम आंदोलन को तेज करेंगे. हम आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी और पीओएसएच समिति के सुचारू संचालन की मांग कर रहे हैं, ताकि जवाबदेही और सुरक्षा की भावना बनी रहे. फिलहाल हम काम जारी रख रहे हैं, लेकिन अगर हालात ऐसे ही रहे, तो हमें काम बंद करने पर मजबूर होना पड़ेगा.”

एक अन्य प्रदर्शनकारी डॉक्टर ने कहा, “सबसे दुखद बात यह है कि बार-बार शिकायत करने के बावजूद किसी ने उनकी बात नहीं सुनी और न ही कोई कार्रवाई की गई. आखिरकार, उन्होंने आत्महत्या कर ली. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. इस मामले में सख्त कार्रवाई और पारदर्शी जांच सीबीआई या किसी अन्य जांच एजेंसी की तरफ से होनी चाहिए. महिलाओं की शिकायतों को गंभीरता से सुना जाना चाहिए और पॉश अधिनियम का सही तरीके से पालन होना चाहिए.”

रेजिडेंट डॉ. भूमिका ने कहा, “यह हमारा मौन विरोध है. हम इस घटना की निंदा करने के लिए अपनी बाहों पर काले रिबन बांध रहे हैं. हमने चिकित्सा सेवाएं बंद नहीं की हैं. हम पारदर्शी और समयबद्ध जांच के साथ जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी की मांग करते हैं. डॉक्टरों पर पड़ने वाले कार्यस्थलीय दबाव की निगरानी के लिए भी एक समिति बनाई जानी चाहिए. पॉश कानून को प्रभावी ढंग से लागू किया जाना जरूरी है, ताकि डॉक्टर खासकर महिलाएं सुरक्षित महसूस कर सकें.”

एक अन्य रेजिडेंट डॉक्टर सीनम ने कहा, “यह एक बहुत ही दुखद और चिंताजनक घटना है. हम चाहते हैं कि हमारी सभी मांगें पूरी हों. अगर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो हमें काम बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. डॉक्टर होने के नाते हम समाज की सेवा के लिए यहां हैं, लेकिन, हमें भी एक सुरक्षित और सम्मानजनक कार्यस्थल का अधिकार है.”

Maharashtra के सतारा जिले में एक महिला डॉक्टर ने आत्महत्या कर ली. उन्होंने अपनी हथेली पर स्याही से लिखे नोट और चार पन्नों के एक विस्तृत सुसाइड नोट में बताया कि एक Police अधिकारी ने उनके साथ चार बार दुष्कर्म किया और उन पर फर्जी फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने का दबाव डाला.

नोट में यह भी खुलासा हुआ कि वह न केवल Police अधिकारियों, बल्कि एक सांसद और उनके निजी सहायकों के दबाव में भी थी.

वह सतारा के फलटण उप-जिला अस्पताल में चिकित्सा अधिकारी के रूप में काम करती थीं. बीड जिले की रहने वाली इस डॉक्टर को 23 महीने हो चुके थे और उनकी बॉन्ड अवधि पूरी होने में सिर्फ एक महीना बाकी था.

सुसाइड नोट के अनुसार, Police अधिकारियों ने उन पर आरोपियों के लिए फर्जी फिटनेस सर्टिफिकेट बनाने का दबाव डाला, जिनमें से कई की मेडिकल जांच भी नहीं हुई थी. जब उन्होंने ऐसा करने से मना किया तो सब-इंस्पेक्टर गोपाल और अन्य लोगों ने उन्हें परेशान किया.

उन्होंने लिखा, “मेरी मौत का कारण सब-इंस्पेक्टर गोपाल बदने और प्रशांत बनकर हैं, जिन्होंने मेरे साथ दुष्कर्म किया और मुझे पांच महीने तक मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया.”

एसएचके/वीसी

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