इस्लामाबाद, 8 अगस्त . पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसी) ने बलूचिस्तान में इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बंद किए जाने को लेकर पाकिस्तान सरकार की तीखी आलोचना की है. आयोग ने इसे “मौलिक मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन” बताया है.
एचआरसी पाकिस्तान द्वारा जारी बयान में कहा गया, “बलूचिस्तान सरकार द्वारा 6 अगस्त से पूरे प्रांत में 3जी और 4जी मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करना एक क्रूर और असंगत कदम है, जिससे लाखों निर्दोष नागरिक प्रभावित हो रहे हैं. यह निर्णय संचार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मूल अधिकारों को रौंदता है.”
आयोग ने सवाल किया कि क्या पूरे प्रांत की आवाज़ दबा देना और शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और संचार व्यवस्था को काट देना कोई वैध रणनीति है?
बयान में कहा गया, “इंटरनेट बंद करने से आतंकवादियों को नहीं बल्कि आम नागरिकों को नुकसान होता है. यह सामूहिक दंड की खतरनाक प्रवृत्ति है जो आतंकवाद से लड़ने के बजाय आम जनता के भरोसे को कमजोर करती है.”
एचआरसी ने संयुक्त राष्ट्र सहित कई अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों का हवाला देते हुए कहा कि इंटरनेट तक पहुंच एक मौलिक मानव अधिकार है. “एक्सेस नाऊ” संस्था के मुताबिक, “अनुचित इंटरनेट बंदी गैरकानूनी और असंगत होती है”, जबकि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा, “यह बंदी न केवल सूचना का गला घोंटती है, बल्कि लोकतंत्र की नींव को भी हिला देती है.” मानवाधिकार संगठन “ह्यूमन राइट्स वॉच” ने भी चेताया कि “सुरक्षा के नाम पर पूरे नागरिक समाज को दंडित करना एक खतरनाक मिसाल कायम करता है.”
मानवाधिकार आयोग ने मांग की है कि बलूचिस्तान में इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं तुरंत बहाल की जाएं और सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए आधुनिक और लक्षित उपायों को अपनाया जाए, न कि पूरे समाज को दंडित किया जाए.
साथ ही आयोग ने पाकिस्तान की Supreme court और बलूचिस्तान हाईकोर्ट से आग्रह किया है कि वे इस मामले का तुरंत संज्ञान लें और बलूचिस्तान के लोगों को वही नागरिक और संवैधानिक अधिकार दिलाएं जो देश के अन्य हिस्सों में नागरिकों को प्राप्त हैं.
गौरतलब है कि बलूचिस्तान में लंबे समय से आज़ादी की मांग को लेकर आंदोलन जारी है. विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने समय-समय पर बलूच नेताओं और आम नागरिकों पर पाकिस्तानी बलों द्वारा की जा रही ज्यादतियों पर चिंता जताई है.
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डीएससी/
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