लखनऊ, 10 अगस्त . उत्तर प्रदेश विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर विधानमंडल के सत्र को संक्षिप्त करने और लोकतंत्र की हत्या करने के गंभीर आरोप लगाए.
उन्होंने कहा कि सरकार केवल तीन दिन के सत्र आयोजित करती है, जबकि नियमावली के अनुसार, साल में कम से कम 90 दिन सत्र चलना चाहिए. पहले एक-एक महीने के सत्र होते थे, लेकिन अब नौ-दस दिन में पूरे साल का सत्र समाप्त कर दिया जाता है. पता नहीं भाजपा की क्या मजबूरियां हैं. सरकार जनता की समस्याओं को सुनना नहीं चाहती और विपक्ष को अपनी बात रखने से रोकती है. सत्र को केवल अनुपूरक बजट पास करने तक सीमित रखा जाता है. इसके बाद सरकार भाग जाती है.
उन्होंने सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग करते हुए कहा कि सदन को सुबह से शाम 7 बजे तक चलना चाहिए, ताकि सभी मुद्दों पर चर्चा हो सके. सरकार को यह साबित करना चाहिए कि प्रदेश में ऐसी कौन सी आपात स्थिति है, जो सत्र को केवल तीन दिन तक सीमित रखा जाता है. गरीब, किसान, मजदूर और पिछड़े वर्ग को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है. संविधान में शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा मौलिक अधिकार हैं. फिर सरकार इन पर खर्च करने से क्यों हिचक रही है?
वहीं, सर्वदलीय बैठक में यूपी विधानसभा में विपक्ष के नेता माता प्रसाद पांडे ने कहा कि विपक्ष सत्र के दौरान महंगाई, बेरोजगारी और बिजली की समस्या जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेगा. उन्होंने कहा, “सरकार कुछ विधेयक पेश कर रही है, लेकिन हम जनता से जुड़े जरूरी मुद्दों को उठाएंगे.”
यादव ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जिक्र करते हुए सरकार की उदासीनता पर सवाल उठाया. उन्होंने बलिया, गाजीपुर और वाराणसी का उदाहरण देते हुए कहा कि बाढ़ ने जनजीवन को तबाह कर दिया, लेकिन सरकार ने पानी की मात्रा नियंत्रित करने में लापरवाही बरती. यह सरकार जनता के प्रति जवाबदेह नहीं है.
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एकेएस/एबीएम
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