New Delhi, 15 अक्टूबर . रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने बेहतरीन तकनीक व क्षमता से लैस मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम विकसित किया है. यह मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम 32,000 फीट की ऊंचाई पर भी कामयाब रहा. इस कॉम्बैट पैराशूट से 32,000 फीट की ऊंचाई पर सफल कॉम्बैट फ्री-फॉल जंप परीक्षण किया गया. इस परीक्षण के साथ ही डीआरडीओ ने एक नया कीर्तिमान भी स्थापित किया है.
यह छलांग भारतीय वायु सेना के टेस्ट जम्पर्स द्वारा पूरी की गई, जिसने इस स्वदेशी प्रणाली की विश्वसनीयता, कार्यकुशलता और उन्नत डिजाइन को प्रमाणित किया.
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस उपलब्धि के साथ मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम वर्तमान में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा उपयोग में आने वाला एकमात्र ऐसा पैराशूट सिस्टम बन गया है, जिसे 25,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर भी तैनात किया जा सकता है. स्वदेशी तकनीक पर आधारित इस मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम में कई विशिष्ट विशेषताएं हैं. यह प्रणाली डीआरडीओ की दो प्रयोगशालाओं, एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट आगरा तथा डिफेंस बायोइंजीनियरिंग एंड इलेक्ट्रोमेडिकल लेबोरेटरी Bengaluru द्वारा संयुक्त रूप से विकसित की गई है.
डीआरडीओ का कहना है कि मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम में कई उन्नत सामरिक विशेषताएं भी शामिल हैं, जैसे कि इसकी कम अवतरण दर, जिससे सैनिक अधिक सुरक्षित रूप से उतर सकते हैं, इसकी श्रेष्ठ संचालन क्षमता जिससे पैराट्रूपर सटीक दिशा-नियंत्रण कर सकते हैं. पूर्व-निर्धारित ऊंचाई पर सुरक्षित पैराशूट तैनाती व निर्धारित लैंडिंग जोन पर सटीक अवतरण.
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि यह प्रणाली नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन के साथ संगत है, जिससे India को पूर्ण स्वायत्तता प्राप्त होती है. यह किसी भी बाहरी हस्तक्षेप या सेवा के अवरोध से अप्रभावित रहती है. रक्षा मंत्रालय इसे आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम मानता है. मंत्रालय के अनुसार मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम के सफल परीक्षण ने स्वदेशी पैराशूट प्रणालियों के व्यापक उपयोग का मार्ग प्रशस्त किया है. यह प्रणाली न केवल कम रखरखाव समय और लागत के कारण आयातित उपकरणों की तुलना में अधिक उपयोगी सिद्ध होगी, बल्कि संघर्ष या युद्ध की स्थिति में विदेशी निर्भरता को भी कम करेगी.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि पर डीआरडीओ, सशस्त्र बलों और भारतीय उद्योग जगत को बधाई दी. उन्होंने कहा कि यह India की स्वदेशी रक्षा क्षमता में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है. वहीं, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के चेयरमैन डॉ. समीर वी. कामत ने इस परीक्षण से जुड़ी डीआरडीओ टीम को सराहा और कहा कि यह एरियल डिलीवरी सिस्टम्स में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह सफलता India की तकनीकी उत्कृष्टता, स्वदेशी नवाचार और आत्मनिर्भर रक्षा क्षमता का प्रतीक है, जो सशस्त्र बलों की परिचालन दक्षता को नए आयाम प्रदान करेगी.
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जीसीबी/डीकेपी
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