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भारतीय क्रिकेट के 'टाइगर', जिन्होंने टीम इंडिया को दिलाई नई पहचान

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New Delhi, 21 सितंबर . भारतीय क्रिकेट इतिहास के महान बल्लेबाज और कप्तान नवाब मंसूर अली खान पटौदी महज 21 वर्ष और 77 दिन की उम्र में India के सबसे युवा कप्तान बने. एक दुर्घटना में अपनी दाहिनी आंख की दृष्टि खोने के बावजूद नवाब पटौदी बेखौफ होकर गेंदबाजों पर हावी नजर आते थे.

नवाब पटौदी का फुटवर्क और टाइमिंग लाजवाब थी. वह स्पिन के खिलाफ निपुण बल्लेबाज थे. अपने शानदार कवर ड्राइव पर पटौदी फैंस की वाहवाही बटोरते थे. जब टीम संकट में होती, तो वह साहस और आत्मविश्वास के साथ रन बनाकर मैच को संभालते. उनकी साहसी बल्लेबाजी और नेतृत्व ने टीम इंडिया को नई पहचान दिलाई.

5 जनवरी 1941 को Bhopal में जन्मे टाइगर पटौदी अपने पिता इफ्तिखार अली खान पटौदी के नक्शेकदम पर चलते हुए एक क्रिकेटर बने. इफ्तिखार अली साल 1932 से 1946 तक टेस्ट फॉर्मेट खेल चुके थे.

टाइगर पटौदी ने साल 1957 में फर्स्ट क्लास करियर की शुरुआत की, जिसमें उनका प्रदर्शन लाजवाब रहा. इसके बाद दिसंबर 1961 में उन्हें India की ओर से डेब्यू करने का मौका मिला. अगले ही साल उन्हें टीम की कमान सौंपी गई. उन्होंने जिन 40 टेस्ट मैचों में कप्तानी की, उसमें टीम इंडिया ने 9 मुकाबले जीते.

टाइगर पटौदी की कप्तानी में India ने साल 1967 में न्यूजीलैंड के खिलाफ अपनी पहली विदेशी टेस्ट जीत हासिल की. पटौदी को उस वर्ष ‘विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर’ चुना गया.

4 स्पिनर के साथ आक्रमण में विश्वास रखने वाले पटौदी का मानना था कि India को अपनी ताकत के अनुसार खेलने की जरूरत है. उनकी इसी सोच ने टीम इंडिया के जीत प्रतिशत में सुधार लाने का काम किया.

मंसूर अली खान पटौदी ने अपने टेस्ट करियर में 46 मुकाबले खेले, जिसमें 34.91 की औसत के साथ 2,793 रन बनाए. इस दौरान उनके बल्ले से 6 शतक और 16 अर्धशतक निकले.

310 फर्स्ट क्लास मुकाबलों में उन्होंने 33.67 की औसत के साथ 15,425 रन बनाए. इस दौरान पटौदी ने 33 शतक और 75 अर्धशतक जमाए.

रिटायरमेंट के बाद पटौदी मैच रेफरी रहे. वह सुनील गावस्कर और रवि शास्त्री के साथ 2007 से आईपीएल गवर्निंग काउंसिल का भी हिस्सा थे.

साल 1964 में टाइगर पटौदी को ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया, जबकि साल 1967 में उन्हें ‘पद्म श्री’ से नवाजा गया. 22 सितंबर 2011 को 70 वर्ष की आयु में नवाब पटौदी ने दुनिया को अलविदा कह दिया.

आरएसजी

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