Lucknow, 1 नवंबर . हिंदी साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई है. प्रसिद्ध कवि, लेखक और पूर्व प्रोफेसर रामदरश मिश्र का 101 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उनका अवसान गोरखपुर स्थित उनके आवास पर हुआ.
पद्म श्री से सम्मानित मिश्र जी ने आधुनिक हिंदी साहित्य को समृद्ध करने में अमूल्य योगदान दिया. उत्तर प्रदेश के Chief Minister योगी आदित्यनाथ ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए इसे हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति बताया है.
सीएमओ सूत्र के अनुसार Chief Minister ने कहा कि हिंदी साहित्य के क्षेत्र में प्रोफेसर रामदरश मिश्र का निधन अपूरणीय क्षति है. श्रीराम पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें और शोकाकुल परिजनों को दुःख सहने की शक्ति दें.
रामदरश मिश्र का जन्म 15 अगस्त 1924 को गोरखपुर जिले के डुमरी गांव में हुआ था. काशी हिंदू विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे साहित्य अकादमी और विभिन्न विश्वविद्यालयों से जुड़े. सात दशकों से अधिक समय तक सक्रिय रहते हुए उन्होंने 150 से ज्यादा पुस्तकें लिखीं, जिनमें 32 काव्य संग्रह शामिल हैं.
उनकी प्रमुख कृतियां ‘मैं तो यहां हूं’ (साहित्य अकादमी पुरस्कार), ‘बनाया है मैंने ये घर धीरे धीरे’ (सरस्वती सम्मान 2021) और ‘बिना दरवाजे का मकान’ हैं. ये रचनाएं ग्रामीण India की सादगी, किसानों की पीड़ा और आधुनिकता के द्वंद्व को बखूबी उकेरती हैं.
मिश्र जी को 2025 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया, जो उनके जीवन के अंतिम वर्षों में मिला सम्मान था. साहित्यकारों का मानना है कि उनकी कविताएं हिंदी को जन-जन तक पहुंचाने वाली सेतु बनीं.
–
एससीएच/एबीएम
You may also like

Crorepati Tips: 16 महीनों में कमा डाले 20000000 रुपये, 29 साल के युवक ने कैसे बनाई इतनी नेटवर्थ, क्या आप भी कर सकते हैं ऐसा?

मीन मासिक राशिफल नवंबर 2025 : खट्टे-मीठे रहेंगे अनुभव, धैर्य से मिलेगा लाभ

गजब हाल! पहले मातहतों पर लिखी रपट, फिर पुलिस अफसरों ने ही मांगी रिश्वत, गाजियाबाद से हैरान कर देने वाला मामला

मुसलमानों को कमजोर करने का एजेंडा...जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरी से 2 टीचर्स बर्खास्त, जानिए क्यों गरमाई सियासत

FD पर सबसे ज्यादा ब्याज देने वाले बैंक! अभी जानें कहां मिलेगा बंपर रिटर्न




