Next Story
Newszop

महाराष्ट्र: मराठा आंदोलन पर बॉम्बे हाईकोर्ट में स्पेशल सुनवाई, वकील ने राजनीतिक हस्तक्षेप पर जताई चिंता

Send Push

Mumbai , 1 सितंबर . मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में Monday को सुनवाई हुई. इस मामले में वकील गुणरत्न सदावर्ते ने आरोप लगाया कि आंदोलन में राजनीतिक हस्तक्षेप साफ नजर आ रहा है.

उन्होंने कहा कि शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट और एनसीपी के शरद पवार गुट के नेता प्रदर्शनकारियों को खाना-पानी ट्रक के जरिए पहुंचा रहे हैं. सदावर्ते ने बताया कि हाल ही में सुप्रिया सुले पर भी पानी की बोतल फेंकी गई और महिला रिपोर्टरों को भी परेशान किया गया.

उन्होंने कहा कि इसमें राजनीतिक मजबूरियां भी शामिल हैं. वे राजनीति और जाति को बीच में नहीं लाना चाहते, लेकिन कई विधायक और सांसद इस बात पर जोर दे रहे हैं कि प्रदर्शनकारियों को ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण दिया जाना चाहिए.

इसी दौरान मराठा समुदाय की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वकील आनंद काठे ने सदावर्ते की बातों पर कड़ी आपत्ति जताई.

कोर्ट ने काठे को समझाया कि इस मामले में उनका कोई अधिकार नहीं है और उन्हें बीच में बोलने की अनुमति नहीं है. कोर्ट ने कहा कि 2024 के सरकारी नियम के अनुसार मराठा समुदाय को आरक्षण दिया गया है और अब सवाल यह है कि क्या उन्हें यह आरक्षण चाहिए या कोई अलग व्यवस्था चाहिए.

उच्च न्यायालय ने कहा कि आंदोलन शांतिपूर्ण है लेकिन Mumbai के लोगों को परेशानी हो रही है.

कोर्ट ने कहा कि 5,000 से ज्यादा लोगों के एकत्रित होने की अनुमति नहीं है और अगर इससे ज्यादा लोग आ रहे हैं तो पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए. हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्या Mumbai के लोगों की यह परेशानी तब तक चलेगी जब तक आंदोलनकारियों की मांगें पूरी नहीं होतीं.

वकील गुणरत्न सदावर्ते ने आंदोलन को Chief Minister के मराठा न होने से जोड़ा और कहा कि बीड हिंसा और आजाद मैदान पर पुलिस केस दर्ज न किए जाने पर भी सवाल खड़े होते हैं. उन्होंने बताया कि कोर्ट के आसपास भी प्रदर्शनकारियों ने घेरा बनाया हुआ है.

कोर्ट ने मराठा समुदाय के वकीलों से पूछा कि क्या ये सब शांतिपूर्ण तरीके से हो रहा है? जिस पर वकीलों ने माना कि कुछ और लोग भी शामिल हैं, जिन पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.

कोर्ट ने यह भी कहा कि जो लोग अनशन पर हैं उनकी सेहत को लेकर भी चिंता है और उन्हें उचित मेडिकल सहायता मिलनी चाहिए.

मराठा आरक्षण के मुद्दे पर बॉम्बे हाईकोर्ट में ‘एएमवाई’ फाउंडेशन की याचिका पर चल रही सुनवाई में विशेष बेंच ने कहा था कि आंदोलन का अधिकार है लेकिन शहर का माहौल बिगड़ना नहीं चाहिए.

इसके बाद पुलिस प्रशासन ने आंदोलन को एक दिन के लिए आजाद मैदान तक सीमित किया था, लेकिन आंदोलन को चार दिन हो गए हैं.

याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को पत्र लिखकर Mumbai की हालत को देखते हुए ‘स्पेशल हॉलीडे कोर्ट’ बुलाने की मांग की. Monday को जस्टिस गौतम अंखाड और रवींद्र घूगे की बेंच ने सुनवाई शुरू की. सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल बीरेंद्र शराफ पेश हुए.

‘एएमवाई’ फाउंडेशन ने कहा कि पुलिस और प्रशासन ने कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन किया है, खासकर मनोज जरांगे पाटिल और उनके लोगों ने. कोर्ट ने पूछा कि क्या मनोज जरांगे पाटिल को नोटिस दिया गया है और क्या आंदोलन केवल आजाद मैदान तक सीमित है?

सरकार ने स्वीकार किया कि Saturday-Sunday को आंदोलन की इजाजत नहीं थी, लेकिन फिर भी लोग सड़कों पर घूम रहे हैं.

26 अगस्त के आदेश का उल्लंघन होने पर कोर्ट ने सरकार को कड़ा निर्देश दिया है कि शहर में शांति और व्यवस्था बहाल की जाए, खासकर गणपति उत्सव के समय. कोर्ट ने कहा कि आजाद मैदान को छोड़कर बाकी जगहों से प्रदर्शनकारियों को शाम 4 बजे तक हट जाना होगा.

अगर कोई नए प्रदर्शनकारी शहर में घुसने की कोशिश करेंगे, तो उन्हें रोकने का जिम्मा सरकार का होगा. कोर्ट ने मराठा समुदाय के वकीलों से कहा कि वे स्वीकार करें कि आंदोलन पर उनका नियंत्रण नहीं है.

सरकार को दो दिन का समय दिया गया है कि वह स्थिति पर काबू पाए. मराठा पक्ष के वकील पिंगले ने फूड ट्रक को आंदोलन स्थल पर आने की अनुमति देने की अपील की, जबकि कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शनकारी आजाद मैदान से बाहर न जाएं.

आरक्षण की मांग को लेकर आजाद मैदान पहुंचे आंदोलनकारी ने से कहा, “हम लोग यहां आरक्षण लेने के लिए आए हैं. जब तक आरक्षण नहीं मिलेगा, तब तक हम लोग यहां से नहीं जाएंगे.”

एक अन्य आंदोलनकारी ने कहा, “जरांगे का समर्थन करने के लिए और उनका मनोबल बढ़ाने के लिए पूरे मराठा बंधु आ गए हैं. वो आरक्षण लेकर ही Mumbai छोड़ेंगे.”

दूसरे आंदोलनकारी ने कहा, “मराठा और कुणबी एक ही हैं हमें हमारा आरक्षण चाहिए.”

वीकेयू/केआर

Loving Newspoint? Download the app now