मुंबई, 24 मई . भारतीय शेयर बाजार ने इस सप्ताह का समापन सुस्ती के साथ किया, क्योंकि निवेशक वैश्विक अनिश्चितताओं से जूझ रहे थे और प्रमुख घरेलू घटनाक्रमों पर नजर बनाए हुए थे.
भारतीय बेंचमार्क सूचकांकों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला, सेंसेक्स और निफ्टी मामूली गिरावट के साथ बंद होने से पहले एक सीमित दायरे में रहे.
निफ्टी 24,853.15 और सेंसेक्स 81,721.08 पर बंद हुआ, जो निवेशकों की सतर्क भावना को दर्शाता है.
बाजार पर नजर रखने वालों के अनुसार, सुस्त प्रदर्शन वैश्विक और घरेलू कारकों के संयोजन की वजह से दर्ज किया गया.
रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (रिसर्च) अजीत मिश्रा ने कहा, “ग्लोबल फ्रंट पर, अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि और अमेरिका के बढ़ते कर्ज के बोझ को लेकर चिंताओं ने विदेशी पोर्टफोलियो से निकासी को बढ़ावा दिया, जिससे भारत सहित उभरते बाजारों पर दबाव बढ़ा.”
इसके अलावा, अमेरिका-चीन व्यापार सौदे में अनुकूल घटनाक्रमों के बारे में अटकलों ने भारतीय बाजारों में संभावित पूंजी निकासी या कम प्रवाह के बारे में चिंताएं बढ़ा दीं, जिससे सेंटीमेंट और भी खराब हो गया.
उन्होंने कहा कि डोमेस्टिक फ्रंट पर, मिश्रित कॉर्पोरेट आय और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने में देरी ने अनिश्चितता को बढ़ा दिया, जिससे बाजार सहभागियों के बीच मुनाफावसूली और सतर्क रुख को बढ़ावा मिला.
इस सप्ताह सेक्टोरल परफॉर्मेंस भी मिलाजुला रहा. रियलिटी और मेटल लगातार दूसरे सप्ताह शीर्ष प्रदर्शन करने वाले सेक्टर बने रहे. जबकि, ऑटो, आईटी और एफएमसीजी सेक्टर में गिरावट दर्ज की गई.
ब्रॉडर सूचकांकों में, स्मॉलकैप सेगमेंट में लगभग आधे प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई, जबकि मिडकैप मामूली गिरावट के साथ बंद हुआ.
थीमैटिक फ्रंट पर, डिफेंस सेक्टर के चुनिंदा शेयरों में खरीदारी को लेकर दिलचस्पी बनी रही.
विश्लेषकों के अनुसार, सामान्य मानसून की उम्मीद, जो कृषि उत्पादकता के लिए अनुकूल है और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण मुद्रास्फीति का दबाव कम रहने की संभावना है.
आने वाले सप्ताह में आरबीआई की ओर से सरकार को 2.7 लाख करोड़ रुपए का रिकॉर्ड लाभांश हस्तांतरण किया जाएगा. राजकोषीय नीति पर इसके प्रभाव को लेकर बाजार प्रतिभागी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगे.
इसके अतिरिक्त, विशेषज्ञों ने कहा कि अप्रैल के लिए भारत के औद्योगिक और विनिर्माण उत्पादन के आंकड़ों की रिलीज 28 मई के लिए शेड्यूल की गई है. साथ ही पहली तिमाही के जीडीपी की वृद्धि के आंकड़ों से आर्थिक सुधार की दिशा को लेकर जानकारी मिलेगी.
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एसकेटी/एबीएम
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