नीमच, 25 अप्रैल . अगर हौसले बुलंद हों और मेहनत में कमी न हो, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं है. ऐसा ही एक प्रेरणादायक उदाहरण है मध्य प्रदेश के नीमच जिले के नयागांव नगर परिषद के स्टेशन रोड पर स्थित श्री देव वेल्डिंग वर्क्स के संचालक राजमल गायरी का.
कभी दूसरों की फैक्ट्री में वेल्डिंग का काम करने वाले राजमल ने अपनी लगन, मेहनत और प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के सहयोग से न केवल अपनी जिंदगी को नई दिशा दी, बल्कि देशभर में अपनी पहचान बनाई. आज उनका कारखाना नयागांव में एक ऐसी जगह बन चुका है, जहां देशभर के किसान और व्यवसायी अपने लिए अत्याधुनिक कृषि संयंत्र बनवाने आते हैं.
केंद्र सरकार 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लेकर चल रही है. युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई योजनाएं चल रही हैं, जिनमें से एक है पीएमईजीपी योजना. साल 2008 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना के माध्यम से स्वरोजगार के अवसर पैदा करना है. इसके तहत विनिर्माण क्षेत्र में 10 लाख रुपए और व्यवसाय/सेवा क्षेत्र में पांच लाख रुपए से अधिक की लागत वाली परियोजनाओं के लिए कम से कम आठवीं कक्षा उत्तीर्ण लाभार्थियों को 35 प्रतिशत तक की सब्सिडी के साथ ऋण उपलब्ध कराया जाता है.
राजमल गायरी ने इस योजना का लाभ उठाकर 10 लाख रुपए का ऋण प्राप्त किया और अपनी छोटी सी वेल्डिंग दुकान को एक बड़े कारखाने में तब्दील कर दिया. आज उनका कारखाना नयागांव में एक जाना-माना नाम है. श्री देव वेल्डिंग वर्क्स 10-12 लोगों को रोजगार देता है, जो राजमल के साथ मिलकर अत्याधुनिक तकनीक से लैस कृषि यंत्र बनाते हैं. ये यंत्र छोटे और मझोले किसानों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं, जो ट्रैक्टर जैसी महंगी मशीनें नहीं खरीद सकते.
राजमल ने खेती को आसान बनाने के लिए कई तरह के यंत्र विकसित किए हैं, जैसे कृषि दवाइयों के स्प्रे यंत्र, कल्टीवेटर, खरपतवार नाशक यंत्र और फेरीवालों के लिए पुरानी बाइकों पर ट्रॉलियां. इसके अलावा, लॉरी और अन्य संयंत्र भी उनके कारखाने में बनाए जाते हैं. उनकी कारीगरी की ख्याति इतनी बढ़ गई है कि देशभर से ग्राहक उनके पास आते हैं, जिससे उनकी रोजाना हजारों रुपए की कमाई हो रही है.
राजमल के इस सफर में उनके साथी मदन माली का भी महत्वपूर्ण योगदान है, जो हर कदम पर उनका सहयोग करते हैं. राजमल का कहना है कि यह सब केंद्र सरकार की पीएमईजीपी योजना के बिना संभव नहीं था. उन्होंने बताया, “हमारी दुकान पर हम छोटे किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखकर यंत्र बनाते हैं. जो किसान ट्रैक्टर नहीं खरीद सकते, उनके लिए हमने कई तरह के यंत्र बनाए हैं. फेरीवालों के लिए पुरानी बाइकों पर ट्रॉलियां और खेती के लिए स्प्रे यंत्र, कल्टीवेटर जैसे उपकरण बनाते हैं. ये सभी यंत्र छोटे और मझोले किसानों के लिए किफायती और उपयोगी हैं, जो ट्रैक्टर जैसी महंगी मशीनें नहीं खरीद सकते.”
उन्होंने कहा, “यह सब पीएमईजीपी योजना के तहत मिले 10 लाख रुपए के ऋण और 35 प्रतिशत सब्सिडी की वजह से संभव हुआ. इस योजना की वजह से आज हम इस मुकाम पर हैं. इसके लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तहेदिल से धन्यवाद करता हूं. यह योजना हमारे लिए बहुत सार्थक है. इससे हमारा परिवार चल रहा है और हम दूसरों के लिए भी रोजगार सृजित कर रहे हैं.”
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एकेएस/एकेजे
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