दोस्तो शराब पीना आज की लाइफस्टाइल का अहम हिस्सा बन गया हैं, किसी भी प्रकार के कार्यक्रम में इसका सेवन आम बात हो गई हैं, खासकर युवाओं में जो इसे अपनी स्टाइल स्टेटमेंट मानते हैं, शराब के साथ स्नैक्स का सेवन एक आम बात हैं, जो कुछ भी तीखा हो सकता हैं, लेकिन अक्सर मन में सवाल उठता हैं कि शराब के साथ चखना खाना कब से प्रथा शुरु हुई हैं, तो आइए जानते हैं-

प्राचीन भारत में उत्पत्ति
शराब के साथ स्नैक्स खाने की परंपरा प्राचीन भारत में शुरू हुई, जहाँ स्थानीय शराब संस्कृति पहले से ही प्रचलित थी। उस ज़माने में, लोग अक्सर भुने हुए चने, मखाने, मूंगफली, या यहाँ तक कि नमक के साथ नींबू जैसे साधारण, आसानी से उपलब्ध खाद्य पदार्थों का सेवन करते थे।
मुगल काल का प्रभाव
मुगल काल के दौरान, शराब पीने की संस्कृति और भी विकसित हुई। शाही दावतों में अक्सर मादक पेय पदार्थों के साथ कबाब, सूखे मेवे और ताज़े फल जैसे कई तरह के शानदार व्यंजन परोसे जाते थे।
ब्रिटिश और औपनिवेशिक प्रभाव

अंग्रेजों के आगमन के साथ, भारत में पब और क्लब संस्कृति का आगमन हुआ। इस काल में "बार स्नैक्स" की अवधारणा लोकप्रिय हुई, जहाँ शराब आमतौर पर चिप्स, भुने हुए मेवे और तले हुए व्यंजनों के साथ परोसी जाती थी।
इस प्रथा के पीछे वैज्ञानिक कारण
परंपरा के अलावा, इस आदत के पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है। प्रोटीन और वसा से भरपूर स्नैक्स—जैसे चिकन, पनीर या मेवे—शरीर में अल्कोहल के अवशोषण की दर को कम करने में मदद करते हैं। इसका मतलब है कि ये अल्कोहल के दुष्प्रभावों को कम कर सकते हैं
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