भाजपा के संगठन में हालिया बदलावों को लेकर चल रही अटकलों के बीच, केंद्रीय कृषि मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम राष्ट्र भाजपा अध्यक्ष पद की दौड़ में सक्रिय रूप से चर्चा में आ गया है। यह चर्चा तब और प्रबल हुई, जब उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत से करीब 45 मिनट तक बैठक की — इस मुलाकात को पार्टी में अगले बड़े बदलाव से जोड़कर देखा जा रहा है।
संघ बैठक — संकेत या नई शुरुआत?
झंडेवालान स्थित संघ मुख्यालय में यह मुलाकात बिना किसी औपचारिक घोषणा के हुई। चर्चा है कि यह भाजपा अध्यक्ष पद की चयन प्रक्रिया में शिवराज सिंह की सक्रिय उपस्थिति का संकेत है।
जुलाई में की गई टिप्पणियों में उन्होंने संकेत दिए थे कि “मध्यप्रदेश में मेरा कार्यकाल समाप्त हो गया है, मैं अब राष्ट्रीय जिम्मेदारी के लिए तैयार हूँ।” इससे उनके संगठनात्मक घराने में समर्थन का अनुमान लगाया जा रहा है।
पृष्ठभूमि: संगठन और भावनात्मक राजनीति का संगम
मध्यम-स्थर से जुड़ा चेहरा: शिवराज सिंह का पिछड़ों, ग्रामीण और किसानों से जुड़ा छवि भाजपा की व्यापक सामाजिक आधार को मजबूत करती है।
RSS से गहरा संबंध: संघ के साथ उनके लंबे समय से करीबी रिश्ते अध्यक्ष पद के लिए उनकी संभावनाओं को और मजबूत बनाते हैं।
शांति से उतरने का संकेत: उन्होंने स्पष्ट कहा है कि वह व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से प्रेरित नहीं, बल्कि पार्टी के आदेशानुसार काम करते हैं — “मैं जहां भी हूँ, वहीं खुश हूँ।”
अध्यक्ष पद की दौड़: क्या हैं हाल के प्रतिद्वंद्वी?
अध्यक्ष लिए दौड़ में अब तक तीन प्रमुख नाम चर्चा में हैं — धर्मेंद्र प्रधान, सुनील बंसल और शिवराज सिंह चौहान। हालांकि अभी तक किसी भी नाम पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है, देरी यह संकेत देती है कि RSS और भाजपा संगठन चर्चा और संतुलन पर ध्यान दे रहे हैं।
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