पुणे: पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए संतोष जगदाले का गुरुवार को अंतिम संस्कार किया गया। उनकी 26 साल की बेटी असावरी जगदाले ने पिता को मुखाग्नि दी। उन्होंने वही खून से सने कपड़े पहने थे जो उन्होंने हमले के दौरान पहने थे। जब आतंकियों ने संतोष को गोली मारी तो उनकी बेटी लिपट गई थी। संतोष जगदाले और उनके बचपन के दोस्त कौस्तुभ गुंबोटे कश्मीर में छुट्टियां मनाने गए थे। आतंकवादियों ने इन दोनों को निशाना बनाया। असावरी ने अपने पिता का अंतिम संस्कार करने के बाद कहा कि वह हमेशा इस दर्द को अपने साथ रखेंगी, लेकिन वह अपने पिता की ताकत को भी अपने साथ रखेंगी। पिता की हत्या के बाद मां को संभालापुणे के करवेनगर के रहने वाले संतोष जगदाले और कौस्तुभ गुं बोटे उन पर्यटकों में शामिल थे, जिन्हें बैसरन में बंदूकधारियों ने निशाना बनाया था। असावरी ने बताया कि जब वे फोटो क्लिक कर रहे थे, तभी उन्होंने गोलियों की आवाज सुनी। चीख-पुकार मची हुई थी। वे टेंट के पीछे छिप गए। फिर उन्होंने देखा कि उनके पिता और उनके दोस्त को गोली मार दी गई। हमले के बाद असावरी शांत रहीं। उन्होंने अपने पिता की बॉडी के साथ अपनी मां को संभाला। विपरीत हालात में असावरी ने सभी कागजी काम पूरे किए। पुणे और श्रीनगर में अधिकारियों के साथ संपर्क बनाए रखा। असावरी ने कहा कि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा है कि उन्होंने अपने पिता का अंतिम संस्कार किया। वह सिर्फ 26 साल की हैं, लेकिन उन्हें अपने परिवार के लिए मजबूत बनना पड़ा। वह टूट नहीं सकतीं। पुणे में फरसान की दुकान चलाते थे संतोषसंतोष जगदाले एक इंटीरियर डेकोरेटर के साथ बीमा एजेंट भी थे। शिवने में उनकी फरसान की एक दुकान के मालिक थे। वह कई काम एक साथ करने के लिए जाने जाते थे। उनके बड़े भाई अजय ने बताया कि उन्होंने कभी भी परिवार का कोई कार्यक्रम नहीं छोड़ा। वह कितने भी व्यस्त क्यों न हों, सभी के लिए समय निकालते थे। संतोष जगदाले तीन मंजिला पारिवारिक बंगले के ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे। वह रविवर पेठ में पले-बढ़े और अपनी मां माणिकबाई से फरसान बनाना सीखा। उनके एक करीबी पारिवारिक मित्र रवींद्र पाटने ने बताया कि वह बचपन में अपनी मां के बनाए स्नैक्स बेचते थे। परछाई था दोस्त, वह भी साथ मारा गया कौस्तुभ गुं बोटे को संतोष जगदाले की परछाई के रूप में याद किया जाता है। वे आजीवन दोस्त थे और उन्होंने उनके साथ अनगिनत यात्राएं की थीं। उनके परिवार अक्सर साथ में छुट्टियां मनाते थे। दोनों का अंतिम संस्कार एक ही दिन हुआ। असावरी ने कहा कि पिछले 48 घंटे एक बुरे सपने की तरह थे। हमले के बाद एक ड्राइवर और एक आर्मी ऑफिसर उन्हें इस मुश्किल समय से निकलने में मदद की। उन्होंने एक मिनट के लिए भी उनका साथ नहीं छोड़ा। वह इसे कभी नहीं भूलेंगी। अब असावरी अब न्याय चाहती हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी इस तरह मरने का हकदार नहीं है। उन्होंने उन्हें अपनी आंखों के सामने गिरते हुए देखा।
You may also like
जम्मू कश्मीर आतंकी हमला: पाकिस्तान ने हवाई क्षेत्र बंद किया, राजकोट में रुका
Ather Rizta's Success Pushes Brand to 15% Market Share in Q4 FY2025 Ahead of IPO Launch
पहलगाम आतंकी हमला भाई को भाई से लड़ाने की साजिश, एकजुट होकर आतंकियों की नापाक कोशिश करें विफलः राहुल गांधी
केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन को दी मंजूरी, DA बकाया राशि पर स्पष्टता
दुष्कर्म के आरोपित सिपाही की कुर्क होगी सम्पत्ति, कराई गई मुनादी