Chinese Students in US: अमेरिका में विदेशी छात्रों को ग्लोबल टैलेंट, आर्थिक ग्रोथ का इंजन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है। भले ही विदेशी छात्रों को अमेरिका में सपोर्ट मिलता है, लेकिन कुछ देशों के स्टूडेंट्स को लेकर कुछ संशय भी रहता है। प्यू रिसर्च सेंटर के सर्वे के नए आंकड़ों से मालूम चलता है कि ज्यादातर अमेरिकी विदेशी छात्रों को सामान्य रूप से काफी महत्व देते हैं, लेकिन आधे से ज्यादा लोग चीन से आने वाले छात्रों पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैं।
Video
अमेरिका में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों में सबसे बड़ा ग्रुप भारतीयों और चीन से आने वाले छात्रों का है। यहां 3.31 लाख से ज्यादा भारतीय पढ़ाई कर रहे हैं, जबकि चीनी छात्रों की संख्या 2.77 लाख के आसपास है। ये दिखाता है कि दोनों ही देशों के छात्र यहां की यूनिवर्सिटीज में छाए हुए हैं। ज्यादातर स्टूडेंट्स यहां पर साइंस और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। इसके बाद भी चीनी छात्रों को अमेरिका में शक की नजर से देखा जाता है। भारत की तुलना में चीनी छात्रों पर प्रतिबंध लगाने की ज्यादा बात हो रही है।
सर्वे में क्या सामने आया?
भारत और चीन के छात्र अमेरिकी यूनिवर्सिटीज को नया आकार भी दे रहे हैं, लेकिन अमेरिकी लोग उन्हें एक अलग नजरिये से देख रहे हैं। प्यू रिसर्च ने सितंबर 2025 में 8,750 अमेरिकी लोगों को लेकर एक सर्वे किया। इसमें सामने आया कि 50% अमेरिकी चीन के छात्रों की संख्या को सीमित करने का समर्थन करते हैं, जबकि 44% भारतीय छात्रों को सीमित करने का समर्थन कर रहे हैं। इस बीच भारत के पक्ष में विरोध अधिक गहरा है।
ज्यादातर अमेरिकी (53%) भारतीय छात्रों पर प्रतिबंध का विरोध करते हैं, जबकि चीनी छात्रों के बारे में ऐसा कहने वाले लोगों की संख्या 47% है। कहीं न कहीं ये सर्वे के नतीजे दिखाते हैं कि अमेरिका में विदेशी छात्रों के प्रति विरोध के स्वर उठ रहे हैं। फिलहाल भारतीय छात्रों को अमेरिका जाने से बचना भी चाहिए, क्योंकि उनके लिए यहां रहकर जॉब करना बेहद मुश्किल हो जाएगा। H-1B वीजा के लिए एक लाख डॉलर की फीस लगा दी गई है।
Video
अमेरिका में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों में सबसे बड़ा ग्रुप भारतीयों और चीन से आने वाले छात्रों का है। यहां 3.31 लाख से ज्यादा भारतीय पढ़ाई कर रहे हैं, जबकि चीनी छात्रों की संख्या 2.77 लाख के आसपास है। ये दिखाता है कि दोनों ही देशों के छात्र यहां की यूनिवर्सिटीज में छाए हुए हैं। ज्यादातर स्टूडेंट्स यहां पर साइंस और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। इसके बाद भी चीनी छात्रों को अमेरिका में शक की नजर से देखा जाता है। भारत की तुलना में चीनी छात्रों पर प्रतिबंध लगाने की ज्यादा बात हो रही है।
सर्वे में क्या सामने आया?
भारत और चीन के छात्र अमेरिकी यूनिवर्सिटीज को नया आकार भी दे रहे हैं, लेकिन अमेरिकी लोग उन्हें एक अलग नजरिये से देख रहे हैं। प्यू रिसर्च ने सितंबर 2025 में 8,750 अमेरिकी लोगों को लेकर एक सर्वे किया। इसमें सामने आया कि 50% अमेरिकी चीन के छात्रों की संख्या को सीमित करने का समर्थन करते हैं, जबकि 44% भारतीय छात्रों को सीमित करने का समर्थन कर रहे हैं। इस बीच भारत के पक्ष में विरोध अधिक गहरा है।
ज्यादातर अमेरिकी (53%) भारतीय छात्रों पर प्रतिबंध का विरोध करते हैं, जबकि चीनी छात्रों के बारे में ऐसा कहने वाले लोगों की संख्या 47% है। कहीं न कहीं ये सर्वे के नतीजे दिखाते हैं कि अमेरिका में विदेशी छात्रों के प्रति विरोध के स्वर उठ रहे हैं। फिलहाल भारतीय छात्रों को अमेरिका जाने से बचना भी चाहिए, क्योंकि उनके लिए यहां रहकर जॉब करना बेहद मुश्किल हो जाएगा। H-1B वीजा के लिए एक लाख डॉलर की फीस लगा दी गई है।
You may also like
Skin Care Tips- क्या स्किन को खूबसूरत बनाना चाहते है, तो इस जूस का करें सेवन
Afghanistan Currency- अफगानिस्तान की करेंसी कितनी मजबूत हैं डॉलर के मुकाबले, जानिए पूरी डिटेल्स
काले और जहरीले सांप के बराबर` होते हैं ऐसे व्यक्ति, इनसे दूर रहेंगे तो होगा फायदा ही फायदा
General Knowledge- भारत ने मुगलों द्वारा बनाई गई सबसे महंगी चीज क्या हैं, आइए जानें
Stocks in News 22 September 2025: YES Bank का 16000 करोड़ का विदेशी दांव, IT कंपनियों पर दबाव, GRSE, Lupin और Redington भी खबरों में