रायपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 79वें स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से कर रहे हैं। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत में कहा कि यह महापर्व 140 करोड़ भारतीयों का पर्व है। यह सामूहिक उपलब्धियों और गर्व का पल है। देश एकता की भावना से मजबूत हो रहा है। 'हर घर तिरंगा' अभियान पूरे देश में गूंज रहा है। भारत का संविधान हमें रास्ता दिखा रहा है। उन्होंने संविधान निर्माण में डॉ. राजेंद्र प्रसाद, बाबा साहेब आंबेडकर, पंडित नेहरू, सरदार पटेल, राधाकृष्णन और कत्यानी जैसी महिलाओं के योगदान को भी याद किया।
माओवाद का भी किया जिक्र
पीएम मोदी ने नक्सलवाद पर सरकार की सफलता का जिक्र करते हुए कहा कि कभी 125 जिलों में नक्सलवाद फैला हुआ था। अब यह घटकर 20 जिलों तक सीमित हो गया है। उन्होंने बस्तर का उदाहरण दिया, जो कभी माओवाद से प्रभावित था। अब वहां युवा ओलंपिक में भाग ले रहे हैं। जो क्षेत्र कभी रेड कॉरिडोर थे, वे अब विकास के ग्रीन कॉरिडोर बन रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि सरकार ने उन क्षेत्रों में संविधान, कानून और विकास का तिरंगा फहराया है, जिन्हें नक्सलवादियों ने लाल रंग से रंग दिया था।
किस रेड कॉरिडोर की बात कर रहे पीएम?
कभी माओवादी उग्रवाद के उदय का पर्याय रहे बस्तर और कोंडागांव को हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की सूची से हटा दिया है। इसे छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ अभियान में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है। माओवादी महासचिव बसवराजू की 27 अन्य माओवादियों के साथ गोली मारकर हत्या के कुछ समय बाद ही यह कदम उठाया गया है। बस्तर कम से कम 25 वर्षों से वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की सूची में था।
कैसे बना यह ग्रीन कॉरिडोर?
बस्तर और कोंडागांव कभी माओवादी उग्रवाद के गढ़ माने जाते थे, लेकिन हाल के वर्षों में हिंसा की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है। लगभग पांच वर्षों में कोंडागांव में एकमात्र मुठभेड़ 16 अप्रैल को हुई थी, जब दो वरिष्ठ माओवादी कमांडरों को मार गिराया गया था। 2023 के विधानसभा चुनावों में भी दोनों जिलों में अच्छा मतदान हुआ - बस्तर में 84.6% और कोंडागांव में 81.7%। हाल के महीनों में प्रभावी नक्सल-विरोधी अभियानों के कारण वामपंथी उग्रवाद में उल्लेखनीय सकारात्मक परिणाम देखे हैं। सरकार लगातार यहां अब विकास कार्यों को बढ़ावा दे रही है। सरकारी योजनाओं से जो अब तक वंचित थे, उन्हें मुख्य धारा में लाने की कोशिश लगातार जारी है।
माओवाद का भी किया जिक्र
पीएम मोदी ने नक्सलवाद पर सरकार की सफलता का जिक्र करते हुए कहा कि कभी 125 जिलों में नक्सलवाद फैला हुआ था। अब यह घटकर 20 जिलों तक सीमित हो गया है। उन्होंने बस्तर का उदाहरण दिया, जो कभी माओवाद से प्रभावित था। अब वहां युवा ओलंपिक में भाग ले रहे हैं। जो क्षेत्र कभी रेड कॉरिडोर थे, वे अब विकास के ग्रीन कॉरिडोर बन रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि सरकार ने उन क्षेत्रों में संविधान, कानून और विकास का तिरंगा फहराया है, जिन्हें नक्सलवादियों ने लाल रंग से रंग दिया था।
किस रेड कॉरिडोर की बात कर रहे पीएम?
कभी माओवादी उग्रवाद के उदय का पर्याय रहे बस्तर और कोंडागांव को हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की सूची से हटा दिया है। इसे छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ अभियान में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है। माओवादी महासचिव बसवराजू की 27 अन्य माओवादियों के साथ गोली मारकर हत्या के कुछ समय बाद ही यह कदम उठाया गया है। बस्तर कम से कम 25 वर्षों से वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की सूची में था।
कैसे बना यह ग्रीन कॉरिडोर?
बस्तर और कोंडागांव कभी माओवादी उग्रवाद के गढ़ माने जाते थे, लेकिन हाल के वर्षों में हिंसा की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है। लगभग पांच वर्षों में कोंडागांव में एकमात्र मुठभेड़ 16 अप्रैल को हुई थी, जब दो वरिष्ठ माओवादी कमांडरों को मार गिराया गया था। 2023 के विधानसभा चुनावों में भी दोनों जिलों में अच्छा मतदान हुआ - बस्तर में 84.6% और कोंडागांव में 81.7%। हाल के महीनों में प्रभावी नक्सल-विरोधी अभियानों के कारण वामपंथी उग्रवाद में उल्लेखनीय सकारात्मक परिणाम देखे हैं। सरकार लगातार यहां अब विकास कार्यों को बढ़ावा दे रही है। सरकारी योजनाओं से जो अब तक वंचित थे, उन्हें मुख्य धारा में लाने की कोशिश लगातार जारी है।
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