नई दिल्ली: देश के सरकारी यानी पीएसयू बैंक शेयरों ने इस साल कमाल कर दिया है। सिर्फ दो महीनों में इनकी मार्केट कैप में 2.3 लाख करोड़ रुपये का भारी इजाफा हुआ है। इस जोरदार तेजी ने   शेयर बाजार में एक नई बहस छेड़ दी है कि क्या यह सिर्फ एक छोटी अवधि का दांव है या सरकारी बैंकों के लिए एक नए बुल मार्केट (तेजी का दौर) की शुरुआत है?   
   
Nifty PSU Bank Index अगस्त से अब तक करीब 20% चढ़ चुका है। इसने 52 हफ्ते का नया उच्चतम स्तर छुआ है और मार्च के निचले स्तरों से तो यह 46% तक उछल चुका है। इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार सभी सरकारी बैंकों की कुल मार्केट कैप अब करीब 18 लाख करोड़ रुपये हो गई है। यह दिखाता है कि इन बैंकों की फंडामेंटल्स सुधर रही है, सरकार की नीतियां इनके पक्ष में हैं और विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी भी बढ़ रही है।
      
कौन बैंक रहा सबसे आगे?इस तेजी में सबसे आगे इंडियन बैंक रहा है, जिसने सिर्फ दो महीनों में 26% का शानदार रिटर्न दिया है। बैंक ऑफ इंडिया और केनरा बैंक भी 20% से ज्यादा चढ़े हैं। वहीं SBI, PNB और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे बड़े बैंक 14 से 16% तक बढ़े हैं। यह सब तब हुआ है जब बाकी शेयर बाजार में थोड़ी नरमी बनी हुई है। इस तरह पीएसयू बैंकों ने साल 2025 ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है।
   
तो भर जाएगा बैंकों का खजानाएक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर सरकार विदेशी संस्थागत निवेश (FII) की सीमा को मौजूदा 20% से बढ़ाकर 49% कर देती है तो भारत के सरकारी बैंकों को 4 अरब डॉलर तक का पैसिव इनफ्लो (निवेश का एक तरीका) मिल सकता है। नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (Nuvama Institutional Equities) नाम की ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि अगर इस खबर में कोई सच्चाई है तो ऐसे भारी निवेश की उम्मीद में पीएसयू बैंक आसानी से 20 से 30% तक बढ़ सकते हैं।
     
नुवामा के विश्लेषण से पता चलता है कि अगर यह सीमा बढ़ाई जाती है, तो MSCI इंडेक्स से जुड़े करीब 4 अरब डॉलर का निवेश छह बड़े सरकारी बैंकों में आ सकता है। इन बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक (PNB), केनरा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन बैंक शामिल हैं।
   
   
किस बैंकों को मिलेगा कितना पैसा?नुवामा के अनुमान के अनुसार अगर FII की सीमा 49% तक बढ़ाई जाती है, तो SBI को करीब 2,203 मिलियन डॉलर का पैसिव फ्लो मिल सकता है। इसके बाद इंडियन बैंक को 459 मिलियन डॉलर, बैंक ऑफ बड़ौदा को 362 मिलियन डॉलर, PNB को 355 मिलियन डॉलर, केनरा बैंक को 305 मिलियन डॉलर और यूनियन बैंक को 294 मिलियन डॉलर का निवेश मिल सकता है।
   
क्या है सरकार का प्लान?रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार सरकारी बैंकों में सीधे विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा 20% से दोगुना से भी ज्यादा, यानी 49% तक करने की योजना बना रही है। वित्त मंत्रालय पिछले कुछ महीनों से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के साथ इस मामले पर चर्चा कर रहा है, हालांकि यह प्रस्ताव अभी अंतिम रूप से तय नहीं हुआ है। सरकार की योजना है कि सरकारी बैंकों में अपनी कम से कम 51% हिस्सेदारी बनाए रखी जाए। शेयर बाजारों के आंकड़ों के मुताबिक, 30 सितंबर तक सरकारी बैंकों में विदेशी हिस्सेदारी 12% (केनरा बैंक में सबसे ज्यादा) से लेकर लगभग शून्य (UCO बैंक में) तक है।
  
Nifty PSU Bank Index अगस्त से अब तक करीब 20% चढ़ चुका है। इसने 52 हफ्ते का नया उच्चतम स्तर छुआ है और मार्च के निचले स्तरों से तो यह 46% तक उछल चुका है। इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार सभी सरकारी बैंकों की कुल मार्केट कैप अब करीब 18 लाख करोड़ रुपये हो गई है। यह दिखाता है कि इन बैंकों की फंडामेंटल्स सुधर रही है, सरकार की नीतियां इनके पक्ष में हैं और विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी भी बढ़ रही है।
कौन बैंक रहा सबसे आगे?इस तेजी में सबसे आगे इंडियन बैंक रहा है, जिसने सिर्फ दो महीनों में 26% का शानदार रिटर्न दिया है। बैंक ऑफ इंडिया और केनरा बैंक भी 20% से ज्यादा चढ़े हैं। वहीं SBI, PNB और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे बड़े बैंक 14 से 16% तक बढ़े हैं। यह सब तब हुआ है जब बाकी शेयर बाजार में थोड़ी नरमी बनी हुई है। इस तरह पीएसयू बैंकों ने साल 2025 ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है।
तो भर जाएगा बैंकों का खजानाएक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर सरकार विदेशी संस्थागत निवेश (FII) की सीमा को मौजूदा 20% से बढ़ाकर 49% कर देती है तो भारत के सरकारी बैंकों को 4 अरब डॉलर तक का पैसिव इनफ्लो (निवेश का एक तरीका) मिल सकता है। नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (Nuvama Institutional Equities) नाम की ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि अगर इस खबर में कोई सच्चाई है तो ऐसे भारी निवेश की उम्मीद में पीएसयू बैंक आसानी से 20 से 30% तक बढ़ सकते हैं।
नुवामा के विश्लेषण से पता चलता है कि अगर यह सीमा बढ़ाई जाती है, तो MSCI इंडेक्स से जुड़े करीब 4 अरब डॉलर का निवेश छह बड़े सरकारी बैंकों में आ सकता है। इन बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक (PNB), केनरा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन बैंक शामिल हैं।
किस बैंकों को मिलेगा कितना पैसा?नुवामा के अनुमान के अनुसार अगर FII की सीमा 49% तक बढ़ाई जाती है, तो SBI को करीब 2,203 मिलियन डॉलर का पैसिव फ्लो मिल सकता है। इसके बाद इंडियन बैंक को 459 मिलियन डॉलर, बैंक ऑफ बड़ौदा को 362 मिलियन डॉलर, PNB को 355 मिलियन डॉलर, केनरा बैंक को 305 मिलियन डॉलर और यूनियन बैंक को 294 मिलियन डॉलर का निवेश मिल सकता है।
क्या है सरकार का प्लान?रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार सरकारी बैंकों में सीधे विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा 20% से दोगुना से भी ज्यादा, यानी 49% तक करने की योजना बना रही है। वित्त मंत्रालय पिछले कुछ महीनों से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के साथ इस मामले पर चर्चा कर रहा है, हालांकि यह प्रस्ताव अभी अंतिम रूप से तय नहीं हुआ है। सरकार की योजना है कि सरकारी बैंकों में अपनी कम से कम 51% हिस्सेदारी बनाए रखी जाए। शेयर बाजारों के आंकड़ों के मुताबिक, 30 सितंबर तक सरकारी बैंकों में विदेशी हिस्सेदारी 12% (केनरा बैंक में सबसे ज्यादा) से लेकर लगभग शून्य (UCO बैंक में) तक है।
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