नई दिल्ली: पटाखों के शोर और धुएं ने दिल्ली-एनसीआर की हवा को जहरीला बना दिया है, जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन और एलर्जी जैसी समस्याएं हो रही हैं। डॉक्टरों का कहना है कि प्रेग्नेंट महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा इसकी चपेट में आ रहे हैं।
हफ्ते भर रह सकती है ये समस्या
राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टर सुभाष गिरि ने बताया कि यह स्थिति एक हफ्ते तक बनी रह सकती है, जिससे टीबी, अस्थमा, सीओपीडी और ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों की तकलीफ बढ़ जाती है। कई बार तो मरीजों को अस्पताल में भर्ती भी कराना पड़ता है।
लोगों को दी चेतावनी
यथार्थ हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. हरीश भाटिया ने चेतावनी दी है कि दिल्ली-एनसीआर का AQI खराब हो चुका है और यह फेफड़ों के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक है। उन्होंने लोगों से मास्क पहनने और घर से बाहर न निकलने की अपील की है।
लोगों को दी खास सलाह
पटाखों के कारण हवा की गुणवत्ता इतनी बिगड़ गई है कि सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और एलर्जी की शिकायतें बढ़ गई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रेग्नेंट महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग इस प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। डॉक्टरों ने सलाह दी है कि बीमार लोग घर से बाहर निकलने से पहले मास्क जरूर पहनें। बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।
मरीजों में देखने को मिल रही ये समस्याएं
राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टर सुभाष गिरि के अनुसार, इस खराब हवा के कारण लोगों को करीब एक हफ्ते तक सांस लेने में दिक्कत, आंखों में एलर्जी और त्वचा संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। डॉ. गिरि ने बताया कि हवा की खराब गुणवत्ता से टीबी के पुराने मरीज, प्रेग्नेंट महिलाएं, अस्थमा, सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) और ब्रोंकाइटिस (फेफड़ों की नलियों में सूजन) के रोगियों की समस्याएं और बढ़ जाती हैं।
इन लोगों को लिए ज्यादा हानिकारक
कई बार तो ऐसे मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आ जाती है। यह हवा खासकर गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए बहुत हानिकारक है। इसलिए, प्रेग्नेंट महिलाओं और एलर्जी से पीड़ित लोगों को भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहना चाहिए। यदि प्रदूषण का स्तर सामान्य नहीं हुआ, तो सांस संबंधी समस्याओं वाले मरीजों या लगातार खांसी वाले लोगों की सर्जरी को भी टाला जा सकता है।
पुराने मरीजों में फिर उखड़ रही बीमारी
यथार्थ हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. हरीश भाटिया ने बताया कि पटाखों की वजह से दिल्ली-एनसीआर का AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) खराब स्तर पर पहुंच गया है। यह स्थिति फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है। सुबह से ही अस्पताल में ऐसे कई मामले आ चुके हैं, जिनमें कुछ पुराने मरीज हैं और कुछ नए।
सावधानी बरतने की दी सलाह
खांसी और सांस तेज चलना जैसी शिकायतें आम हैं। कुछ शुगर के मरीजों को भी सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ा है। ऐसे में, लोगों से अपील है कि वे विशेष सावधानी बरतें, मास्क जरूर पहनें और कोशिश करें कि घर से बाहर न निकलें।
हफ्ते भर रह सकती है ये समस्या
राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टर सुभाष गिरि ने बताया कि यह स्थिति एक हफ्ते तक बनी रह सकती है, जिससे टीबी, अस्थमा, सीओपीडी और ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों की तकलीफ बढ़ जाती है। कई बार तो मरीजों को अस्पताल में भर्ती भी कराना पड़ता है।
लोगों को दी चेतावनी
यथार्थ हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. हरीश भाटिया ने चेतावनी दी है कि दिल्ली-एनसीआर का AQI खराब हो चुका है और यह फेफड़ों के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक है। उन्होंने लोगों से मास्क पहनने और घर से बाहर न निकलने की अपील की है।
लोगों को दी खास सलाह
पटाखों के कारण हवा की गुणवत्ता इतनी बिगड़ गई है कि सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और एलर्जी की शिकायतें बढ़ गई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रेग्नेंट महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग इस प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। डॉक्टरों ने सलाह दी है कि बीमार लोग घर से बाहर निकलने से पहले मास्क जरूर पहनें। बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।
मरीजों में देखने को मिल रही ये समस्याएं
राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉक्टर सुभाष गिरि के अनुसार, इस खराब हवा के कारण लोगों को करीब एक हफ्ते तक सांस लेने में दिक्कत, आंखों में एलर्जी और त्वचा संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। डॉ. गिरि ने बताया कि हवा की खराब गुणवत्ता से टीबी के पुराने मरीज, प्रेग्नेंट महिलाएं, अस्थमा, सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) और ब्रोंकाइटिस (फेफड़ों की नलियों में सूजन) के रोगियों की समस्याएं और बढ़ जाती हैं।
इन लोगों को लिए ज्यादा हानिकारक
कई बार तो ऐसे मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आ जाती है। यह हवा खासकर गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए बहुत हानिकारक है। इसलिए, प्रेग्नेंट महिलाओं और एलर्जी से पीड़ित लोगों को भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहना चाहिए। यदि प्रदूषण का स्तर सामान्य नहीं हुआ, तो सांस संबंधी समस्याओं वाले मरीजों या लगातार खांसी वाले लोगों की सर्जरी को भी टाला जा सकता है।
पुराने मरीजों में फिर उखड़ रही बीमारी
यथार्थ हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. हरीश भाटिया ने बताया कि पटाखों की वजह से दिल्ली-एनसीआर का AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) खराब स्तर पर पहुंच गया है। यह स्थिति फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है। सुबह से ही अस्पताल में ऐसे कई मामले आ चुके हैं, जिनमें कुछ पुराने मरीज हैं और कुछ नए।
सावधानी बरतने की दी सलाह
खांसी और सांस तेज चलना जैसी शिकायतें आम हैं। कुछ शुगर के मरीजों को भी सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ा है। ऐसे में, लोगों से अपील है कि वे विशेष सावधानी बरतें, मास्क जरूर पहनें और कोशिश करें कि घर से बाहर न निकलें।
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