अहमदाबाद/नई दिल्ली: इस साल महात्मा गांधी की कांग्रेस अध्यक्षता के 100 साल पूरे हो रहे हैं और देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल की 150वीं जयंती भी है। इसलिए कांग्रेस ने अपने इस ऐतिहासिक अधिवेशन के आयोजन की योजना गुजरात में करने की बनाई। यह मोदी-शाह का गुजरात नहीं, यह गांधी और पटेल का गुजरात है। दोनों महानायक हमारे देश के आइकॉन हैं। यह कहना था, कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा का। वहीं कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने अधिवेशन के बारे में मीडिया में जानकारी देते हुए कहा कि आगामी 8 और 9 अप्रैल को गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट पर होने वाले इस सत्र की टैग लाइन रखी गई है - 'न्याय पथ... संकल्प, समर्पण व संघर्ष'। वेणुगोपाल ने यह जानकारी शुक्रवार की शाम कांग्रेस के जिलाध्यक्षों की बैठक के तीसरे चरण के संपन्न होने के बाद दी। दूसरेदिन कांग्रेस का अधिवेशन 8 अप्रैल को सरदार वल्लभ भाई पटेल मेमोरियल में कांग्रेस की सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई सीडब्ल्यूसी की विस्तारित बैठक होगी। इसमें सीडब्ल्यूसी के स्थायी सदस्य, स्पेशल इनवाइटी, सभी राज्यों के सीएम व डिप्टी सीएम, प्रदेशाध्यक्ष, पूर्व सीएम शामिल हाेंगे। इनमें भाग लेने वालों की कुल तादाद 169 रहेगी, जबकि अगले दिन कांग्रेस अधिवेशन होगा, जहां कांग्रेस के सभी पदाधिकारी, फ्रंटल संगठन के अहम अधिकारी, सभी विभागों के प्रमुख व 1727 एआईसीसी मेंबर शामिल होंगे। कांग्रेस ने अधिवेशन की तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए कई कमेटियों का गठन किया है। जिलाध्यक्षाें की मीटिंग का तीसरा चरण संगठन को जमीन पर मजबूत बनाने के लिए कांग्रेस ने जिलाध्यक्षों को सशक्त बनाने की जो कवायद शुरू की है, उसी सिलसिले में हो रही जिलाध्यक्षों की कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक का शुक्रवार का तीसरा चरण था।तीन मीटिंगों में कुल 862 जिलाध्यक्षों ने भाग लिया। पहले चरण में 255, दूसरे में 305 व तीसरे में 302 जिलाध्यक्षों ने हिस्सेदारी की। शुक्रवार को असम, वेस्ट बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर और लद्दाख के जिला अध्यक्षों ने भाग लिया। रोचक है कि हरियाणा व ओडिशा जैसे राज्य इसमें भाग नहीं ले पाए, क्योंकि वहां जिलाध्यक्षों की नियुक्ति अभी तक नहीं हो पाई है। हालांकि ओडिशा में तो आम चुनाव व असेंबली चुनाव के बाद प्रदेश इकाई भंग कर दी गई, जो अभी नहीं बन पाई है, लेकिन हरियाणा अपने आप में ऐसा अद्भुत केस है, जहां पिछले 13 सालों से जिलाध्यक्षों की नियुक्त नहीं हुई। पार्टी संगठन से जुड़े एक सूत्र का कहना था कि जब इन दोनों राज्यों जिलाध्यक्षों की नियुक्त हो जाएगी तो वहां बैठक होगी। बैठक में रखा जाएगा निचोड़ वेणुगोपाल का कहना था कि तीन चरणों में हुई जिलाध्यक्षों की बैठक काफी अर्थवान और महत्वपूर्ण रही। ऐन अधिवेशन से पहले हुई बैठक का निचोड़ अधिवेशन में रखा जाएगा।वहीं पवन खेड़ा का कहना था कि इस दौरान कुल 14-15 घंटे की चर्चा हुई। तीसरी बैठक में जिला अध्यक्षों के अलावा इस मीटिंग में संबंधित राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी भी शामिल थे। बैठक में जिला अध्यक्षों को बताया गया कि अपने मुद्दों को लेकर कैसे मीडिया और सोशल मीडिया पर कैंपेन चलानी है। इसके अलावा इन्हें देश भर में कांग्रेस संपत्तियों प्रबंधन व फंड प्रबंधन के बारे में भी बताया गया। 20 साल बाद हुई ऐसी कवायद वेणुगोपाल ने कहा कि बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने न सिर्फ अपनी बात रखी, बल्कि जिला अध्यक्षों में से कुछ चुने हुए प्रतिनिधियों के भी विचार सुने, जहां उन्होंने संगठन व फ्रंटल संगठन के बारे में अपनी राय रखने के साथ-साथ यह भी बताने की कोशिश की कि वे आने वाले समय में किस तरह के बदलाव पार्टी में चाहते हैं। दूसरी ओर के सी वेणुगोपाल का कहना था कि पार्टी में लगभग 20 सालों बाद ऐसी कवायद हुई है, जहां जिलाध्यक्षों से संवाद किया गया हो। हालांकि उन्होंने जाेर दिया कि आने वाले समय में हम पार्टी में एक ऐसा सिस्टम तैयार करेंगे, जहां नियमित तौर पर इन जिला अध्यक्षों से केंद्रीय नेतृत्व का संवाद रहेगा। इस कवायद का मकसद जमीन पर हमें अपनी पार्टी की स्थिति का सही-सही पता चल सकेगा। इसका मकसद जमीन पर कांग्रेस संगठन को मजबूत बनाना है, जिसमें कांग्रेस संगठन की संरचना और कार्य प्रणाली दोनों पर जोर दिया गया है।
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