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राजपूत और कुशवाहा वोटरों पर PM मोदी ने चलाए सियासी 'तीर', शाहाबाद में NDA को 2020 में मिली करारी हार से उबारने की कवायद

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पटना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज औरंगाबाद की जनसभा में आजादी के सिपाही और मुख्यमंत्री रहे श्रीकृष्ण सिंह के नंबर टू मंत्री अनुग्रह नारायण सिंह के साथ साथ कुशवाहा नेता जगदेव प्रसाद को यूं ही नहीं याद किया। अब इसे डैमेज कंट्रोल कह लें या फिर गत लोकसभा और विधानसभा चुनाव में की गई रणनीतिक चूक से मिली सिख। यह ऐसी चूक थी जिसके कारण शाहाबाद क्षेत्र के चारों लोकसभा में हार का सामना करना पड़ा और विधानसभा की 22 सीटों में से मात्र दो सीट आरा और बड़हरा विधानसभा में जीत से संतुष्ट होने पड़ा। आखिर ऐसा क्या हुआ कि अचानक से पी एम नरेंद्र मोदी को इन नेताओं की याद आई। समझते है....।


औरंगाबाद ने दिलाई याद

दरअसल, औरंगाबाद एनडीए के लिए सबसे कठिन सीट है जहां महागठबंधन के जातीय समीकरण का एनडीए के पास जवाब नहीं है। यही वजह भी है कि वर्ष 2020 के विधानसभा में औरंगाबाद के छह में से छह विधानसभा सीटों पर एनडीए के उम्मीदवारों को जबरदस्त हार मिली थी। वर्ष 2020 में गोह विधानसभा से राजद के भीम यादव,ओबरा विधानसभा से राजद के ऋषि कुमार ,नवीनगर विधानसभा सेक्स राजद के विजय कुमार सिंह ,कुटुंबा विधानसभा से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार,औरंगाबाद विधानसभा से कांग्रेस के आनंद शंकर सिंह और रफीगंज विधानसभा से राजद के मो नेहालुद्दीन ने एनडीए के प्रत्याशियों को हराया था।


हार की वजह ?
इस हार की एक वजह यह भी बनी की शाहाबाद में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कुशवाहा जाति पर भरोसा किया। राजपूत जाति के वोट जगदानंद सिंह के साथ अन्य राजपूत नेता के जरिए राजद कुछ न कुछ हासिल करता रहा है। इस समीकरण की सबसे बड़ी जीत लोकसभा के दो ऐसी सीटों पर हुई जो गत क्यों वर्षों से एनडीए के पक्ष में जाती रही। बिहार का चित्तौड़गढ़ कहे जाने वाले औरंगाबाद को राजद सुप्रीमो लालू यादव ने एक साधारण नेता कुशवाहा नेता से कई बार के जीते भाजपा के पूर्व सांसद सुशील सिंह को पटखनी दे दी। राजद सुप्रीमो ने कुशवाहा के साथ एम वाई समीकरण बनाया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छत्रछाया में जदयू की राजनीति करने वाले अभय कुशवाहा को पहले राजद में शामिल कराया और चित्तौड़गढ़ से राजपूत के दबदबे को समाप्त किया। बक्सर लोकसभा जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह को खड़ा कर मंत्री रहे अश्वनी चौबे को हरा डाला।


लालू यादव का प्रयोग
हालांकि, राजद सुप्रीमो लालू यादव ने महागठबंधन के प्लेटफार्म पर कुशवाहा जाति का प्रयोग वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में ही किया था। तब एनडीए को ऐसा लगता था कि नीतीश कुमार के रहते कुर्मी और कुशवाहा की एकता इस हद तक टूटेगी कि शाहाबाद के 22 विधानसभा सीटों में से मात्र दो सीटें एनडीए ने जीती। तब बिहार विधानसभा 2020 में महागठबंधन ने कुल 15 कुशवाहा को विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ाया था। राजद ने सात सीटों पर,कांग्रेस ने एक सीटों पर,माले ने 5 पर और सीपीएम ने दो यानी कुल 15 विधानसभा में कुशवाहा जाति के उम्मीदवार को टिकट देकर प्रयोग किया और 15 में से 9 विधायक सदन में गए। एनडीए ने 16 कुशवाहा को टिकट दिया। इनमें जदयू ने 16, भाजपा ने तीन। पर जीते मात्र 7। यही से कुशवाहा का झुकाव महागठबंधन की तरफ हुआ और लोकसभा 2025 में एन डी ए को शून्य पर आउट कर दिया।


कुशवाहा को साधने का प्रयोग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार विधानसभा 2025 को ध्यान में रख कर औरंगाबाद की धरती से स्व अनुग्रह नारायण सिंह और शहीद जगदेव प्रसाद का नाम ले कर एनडीए की मजबूती को आवाज दिया है। जाहिर है राजपूत नेताओं में अनुग्रह नारायण सिंह से और कुशवाहा में शहीद जगदेव प्रसाद से बड़ा और प्रभावी कोई नेता है। यही वजह भी है कि बीजेपी ने कुशवाहा जाति से इस बार तीन के बदले छह विधानसभा सीटों पर कुशवाहा जाति के उम्मीदवार को उतारा है और राजपूत जाति से 20 उम्मीदवारों को उतार कर अपनी निष्ठा प्रकट की है। अब देखना होगा कि पी एम नरेंद्र मोदी का यह उद्बोधन शाहाबाद की धरती पर 20 बनाम 2 की जंग को एनडीए के लिए बेहतर बना पाता है या नहीं।
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