5/50 शांतिपथ चाण्क्यपुरी: अफगान एंबेसी के बाहर रविवार 12 अक्तूबर को दोपहर एक बजे से ही पत्रकारों की मौजूदगी धीरे-धीरे दिखने लगी थी। तालिबान की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस की सूचना इस बार महिला पत्रकारों को भी दी गई थी। दूसरी तीन महिला पत्रकारों के साथ मैं भी एंबेसी के गेट तक पहुंची। दो दिन पहले ही चार साल बाद इस एंबेसी में कोई हरकत दिखी थी। उस दिन 16 पुरुष पत्रकारों ने तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिरकत की थी। लेकिन किसी महिला पत्रकार को इस प्रेस वार्ता में शामिल होने के लिए बुलावा नहीं दिया गया।
महिला पत्रकारों को न्योता रविवार को बीट कवर कर रही महिला पत्रकारों को न्योता दिया गया। एंबेसी के दरवाजे से गुजर कर उस ब्रीफिंग रूम तक जाने में पुरानी सरकार के नुमाइंदे, तालिबान के प्रतिनिधियों की परिसर में मौजूदगी से असहज दिखे। अफगानिस्तान रिपब्लिक के झंडे को हटाने और तालिबान सरकार के सफेद झंडे को लगाए जाने को लेकर दोनों ओर के प्रतिनिधियों में कुछ तनातनी हुई थी, ऐसा साफ महसूस हुआ।
पहली कतार में महिला पत्रकारहम महिला पत्रकार आज पहली कतार में थे। विदेश मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले उनके साथ एक प्रतिनिधि आए, बोले आप लोग शांति से मिलिएगा, आपके सारे सवालों के जवाब मिलेंगे। जाहिर था कि जिस तरह महिला पत्रकारों को पिछली प्रेस वार्ता में शामिल नहीं किया गया, उससे उपजे गुस्से को लेकर असहजता की आंच तालिबान को महसूस हो रही थी। थोड़ी देर में हॉल भर गया। फॉरेन पॉलिसी कवर करने वाले राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारों का जमावड़ा लग गया और सीटें कम पड़ गईं, कुछ लोग खड़े ही रहे।
सवालों का सिलसिला और अफगान मंत्री के जवाब
इस बीच, मुत्ताकी आए और महिला-पुरुष पत्रकारों से रूबरू होने के लिए सामने बैठ गए। उन्होंने पहले द्विपक्षीय बातचीत के बारे में जानकारी दी। उसके बाद सवालों का सिलसिला शुरू हुआ। कई सवाल हुए, महिला पत्रकारों को प्रेस वार्ता में ना बुलाए जाने का भी सवाल उठा। द्विपक्षीय संबंधों से लेकर कई दूसरे सवाल भी मुत्ताकी के सामने रखे गए। उन्होंने कभी पश्तो में जवाब दिए, तो कभी हिंदी-ऊर्दू में। महिलाओं की शिक्षा, रोजगार और अधिकारों को लेकर पत्रकारों ने कई सवाल मुत्ताकी के सामने रखे। लेकिन उनका उन्होंने संक्षिप्त ही जवाब दिया। जाहिर है घूम घूम कर सवाल आए और महिला पत्रकारों ने साझे तौर पर कई बार अनुरोध किया कि वो महिलाओं के हक के सवाल पर विस्तार से जवाब दें, लेकिन उन्होंने वो सवाल छोड़ कर दूसरे सवालों का जवाब दिया।
सवालों को करते रहे नजरअंदाजयानी सवालों को उन्होंने नजरअंदाज ही किया। इस पत्रकार वार्ता में 90 फीसदी सवाल महिला पत्रकारों ने पूछे। लेकिन उन्होंने एक दो और सवाल लिए और चले गए। एंबेसी से निकलते वक्त भी पत्रकारों ने उनसे सवाल पूछने की कोशिश की लेकिन मुत्ताकी मौन रहे, और इस तरह ये एतिहासिक प्रेस वार्ता खत्म हुई। बाहर हमारे सामने अफगानिस्तान रिपब्लिक का झंडा लहरा रहा था, भीतर तालिबान सरकार का झंडा। बहुत अनिश्चितता हवा में तैर रही थी। मौजूदा वक्त में जिओ पॉलिटिक्स की धुंधली तस्वीर की ही तरह यहां भी बहुत कुछ है, जो साफ नहीं था।
महिला पत्रकारों को न्योता रविवार को बीट कवर कर रही महिला पत्रकारों को न्योता दिया गया। एंबेसी के दरवाजे से गुजर कर उस ब्रीफिंग रूम तक जाने में पुरानी सरकार के नुमाइंदे, तालिबान के प्रतिनिधियों की परिसर में मौजूदगी से असहज दिखे। अफगानिस्तान रिपब्लिक के झंडे को हटाने और तालिबान सरकार के सफेद झंडे को लगाए जाने को लेकर दोनों ओर के प्रतिनिधियों में कुछ तनातनी हुई थी, ऐसा साफ महसूस हुआ।

सवालों का सिलसिला और अफगान मंत्री के जवाब
इस बीच, मुत्ताकी आए और महिला-पुरुष पत्रकारों से रूबरू होने के लिए सामने बैठ गए। उन्होंने पहले द्विपक्षीय बातचीत के बारे में जानकारी दी। उसके बाद सवालों का सिलसिला शुरू हुआ। कई सवाल हुए, महिला पत्रकारों को प्रेस वार्ता में ना बुलाए जाने का भी सवाल उठा। द्विपक्षीय संबंधों से लेकर कई दूसरे सवाल भी मुत्ताकी के सामने रखे गए। उन्होंने कभी पश्तो में जवाब दिए, तो कभी हिंदी-ऊर्दू में। महिलाओं की शिक्षा, रोजगार और अधिकारों को लेकर पत्रकारों ने कई सवाल मुत्ताकी के सामने रखे। लेकिन उनका उन्होंने संक्षिप्त ही जवाब दिया। जाहिर है घूम घूम कर सवाल आए और महिला पत्रकारों ने साझे तौर पर कई बार अनुरोध किया कि वो महिलाओं के हक के सवाल पर विस्तार से जवाब दें, लेकिन उन्होंने वो सवाल छोड़ कर दूसरे सवालों का जवाब दिया।

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