नई दिल्ली: एड गुरु बनने से पहले पीयूष पांडे सेंट स्टीफंस कॉलेज और दिल्ली यूनिवर्सिटी की क्रिकेट टीमों से खेलकर खूब नाम कमा चुके थे। वे चुस्त विकेट कीपर और ठोस बल्लेबाज थे। पीयूष ने बड़े स्तर पर क्रिकेट खेलने के इरादे से ही सेंट स्टीफंस कॉलेज में 1973 में दाखिला लिया था। वे अपने शहर जयपुर में एक उभरते क्रिकेटर के रूप में स्कूली जीवन में स्थापित हो चुके थे। वे मजाक में कहते थे कि उनका सेंट स्टीफंस कॉलेज में दाखिला स्पोर्ट्स कोटे के दम पर हुआ। सेंट स्टीफंस कॉलेज से क्रिकेट खेलने के लिए उन्होंने अपने गणित और विज्ञान जैसे प्रिय विषयों के स्थान पर हिस्ट्री ऑनर्स की। उन्होंने ग्रेजुएशन के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन किया।
अरुण लाल की कप्तानी में खेले पीयूष पांडे ने कॉलेज की तरफ से इंटर कॉलेज क्रिकेट चैंपियनशिप में लगातार शानदार प्रदर्शन किया। उस दौर में सेंट स्टीफंस कॉलेज की टीम के कप्तान अरुण लाल थे, जो आगे चलकर भारत की तरफ से टेस्ट मैचों में भी खेले। सेंट स्टीफंस कॉलेज और दिल्ली यूनिवर्सिटी की क्रिकेट टीम में उनके साथी रहे प्रवीण कश्यप को जब पीयूष पांडे की मृत्यु का समाचार मिला, तो वे अवाक रह गए। पहले दिल्ली और फिर रेलवे की टीमों से रणजी ट्रॉफी खेले प्रवीण कश्यप बताते हैं कि वे मस्त मौला खिलाड़ी थे। उनके ठहाके गजब हुआ करते थे। उनकी उस जमाने में मूछों की भी खूब चर्चा हुआ करती थीं। वे अपनी मूंछों पर ताव देते रहते थे। जब पीयूष पांडे सेंट स्टीफंस कॉलेज की टीम में थे, तब रामचंद्र गुहा (अब इतिहासकार) प्रवीण ओबराय, राजेन्द्र अमरनाथ, अमृत माथुर (लेखक और रेलवे स्पोर्ट्स बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष) वगैरह भी उनके साथी थे।
कहां रहते थेः पीयूष पांडे सेंट स्टीफंस कॉलेज के सैम्युल स्कॉट साउथ रेजिडेंट में रहा करते थे। सेंट स्टीफेंस कॉलेज में हॉस्टल को रेजिडेंट कहते हैं। कॉलेज की स्थापना करने वाली संस्था दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी के अध्यक्ष ब्रदर सोलोमन जॉर्ज बताते हैं कि सेंट स्टीफंस कॉलेज में 6 रेजिडेंस हैं। इनके नाम यहां के तीन दिग्गज प्रिंसिपल सर सैम्युल स्कॉट, सुशील कुमार रुद्रा और सत्यानंद मुखर्जी के नामों पर हैं। ये है एलनट साउथ और नॉर्थ, रुद्रा नॉर्थ-साउथ और मुखर्जी ईस्ट और वेस्ट। सैम्युल स्कॉट सेंट स्टीफंस कॉलेज के पहले प्रिंसिपल थे।
पीयूष पांडे क्रिकेट के साथ-साथ अपनी पढ़ाई पर भी पूरा फोकस रखते थे। हालांकि वे मूलरूप से साइंस के स्टूडेंट थे। उन्होंने ग्रेजुएशन में कॉलेज में टॉप किया था। वे प्रिंसिपल प्रो. डब्ल्यू.एस. राजपाल और हिस्ट्री विभाग के प्रो. मोहम्मद अमीन, डॉ. डेविड बेकर और डॉ. वेदज्ञ आर्य (हिन्दी) के प्रिय विद्यार्थियों में से रहे। दरअसल पीयूष पांडे की सारी शख्यिसत बहुआयामी थी। वे कॉलेज की गांधी सोसायटी के कार्यक्रमों में भी भाग लेते थे।
कॉलेज से निकलने के बाद वे कुछेक सालों तक राजस्थान की रणजी ट्रॉफी टीम से भी खेले। लेकिन उस दौर में क्रिकेट में सीमित अवसरों और अन्य रुचियों के कारण उन्होंने इसे अपना पेशा नहीं बनाया। उन्होंने 1982 में विज्ञापन की दुनिया में कदम रखा। उसके बाद तो वे भारत की विज्ञापन की दुनिया के शिखर पर पहुंच गए।
अरुण लाल की कप्तानी में खेले पीयूष पांडे ने कॉलेज की तरफ से इंटर कॉलेज क्रिकेट चैंपियनशिप में लगातार शानदार प्रदर्शन किया। उस दौर में सेंट स्टीफंस कॉलेज की टीम के कप्तान अरुण लाल थे, जो आगे चलकर भारत की तरफ से टेस्ट मैचों में भी खेले। सेंट स्टीफंस कॉलेज और दिल्ली यूनिवर्सिटी की क्रिकेट टीम में उनके साथी रहे प्रवीण कश्यप को जब पीयूष पांडे की मृत्यु का समाचार मिला, तो वे अवाक रह गए। पहले दिल्ली और फिर रेलवे की टीमों से रणजी ट्रॉफी खेले प्रवीण कश्यप बताते हैं कि वे मस्त मौला खिलाड़ी थे। उनके ठहाके गजब हुआ करते थे। उनकी उस जमाने में मूछों की भी खूब चर्चा हुआ करती थीं। वे अपनी मूंछों पर ताव देते रहते थे। जब पीयूष पांडे सेंट स्टीफंस कॉलेज की टीम में थे, तब रामचंद्र गुहा (अब इतिहासकार) प्रवीण ओबराय, राजेन्द्र अमरनाथ, अमृत माथुर (लेखक और रेलवे स्पोर्ट्स बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष) वगैरह भी उनके साथी थे।
कहां रहते थेः पीयूष पांडे सेंट स्टीफंस कॉलेज के सैम्युल स्कॉट साउथ रेजिडेंट में रहा करते थे। सेंट स्टीफेंस कॉलेज में हॉस्टल को रेजिडेंट कहते हैं। कॉलेज की स्थापना करने वाली संस्था दिल्ली ब्रदरहुड सोसायटी के अध्यक्ष ब्रदर सोलोमन जॉर्ज बताते हैं कि सेंट स्टीफंस कॉलेज में 6 रेजिडेंस हैं। इनके नाम यहां के तीन दिग्गज प्रिंसिपल सर सैम्युल स्कॉट, सुशील कुमार रुद्रा और सत्यानंद मुखर्जी के नामों पर हैं। ये है एलनट साउथ और नॉर्थ, रुद्रा नॉर्थ-साउथ और मुखर्जी ईस्ट और वेस्ट। सैम्युल स्कॉट सेंट स्टीफंस कॉलेज के पहले प्रिंसिपल थे।
पीयूष पांडे क्रिकेट के साथ-साथ अपनी पढ़ाई पर भी पूरा फोकस रखते थे। हालांकि वे मूलरूप से साइंस के स्टूडेंट थे। उन्होंने ग्रेजुएशन में कॉलेज में टॉप किया था। वे प्रिंसिपल प्रो. डब्ल्यू.एस. राजपाल और हिस्ट्री विभाग के प्रो. मोहम्मद अमीन, डॉ. डेविड बेकर और डॉ. वेदज्ञ आर्य (हिन्दी) के प्रिय विद्यार्थियों में से रहे। दरअसल पीयूष पांडे की सारी शख्यिसत बहुआयामी थी। वे कॉलेज की गांधी सोसायटी के कार्यक्रमों में भी भाग लेते थे।
कॉलेज से निकलने के बाद वे कुछेक सालों तक राजस्थान की रणजी ट्रॉफी टीम से भी खेले। लेकिन उस दौर में क्रिकेट में सीमित अवसरों और अन्य रुचियों के कारण उन्होंने इसे अपना पेशा नहीं बनाया। उन्होंने 1982 में विज्ञापन की दुनिया में कदम रखा। उसके बाद तो वे भारत की विज्ञापन की दुनिया के शिखर पर पहुंच गए।
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