सासाराम: रोहतास जिले के कोचस में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रस्तावित दौरे को लेकर शनिवार को निरीक्षण करने पहुंची जिले के डीएम उदिता सिंह का एक संवेदनशील चेहरा सामने आया है। निरीक्षण के दौरान उन्होंने सड़क किनारे एक छोटी बच्ची को बर्तन धोते देखा। फिर डीएम तुरंत बच्ची के पास पहुंचीं और बड़े अपनत्व से बातचीत की। बच्ची की परेशानी सुनने के बाद उन्होंने आश्वासन दिया कि उसका नामांकन विद्यालय में कराया जाएगा ताकि उसका भविष्य संवर सके और उसे पढ़ाई का पूरा अवसर मिले।
बर्तन धो रही बच्ची के पास पहुंचीं डीएमयही नहीं, डीएम उदिता सिंह ने मौके पर ही जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) को निर्देश दिया कि सोमवार तक बच्ची का नामांकन हर हाल में सुनिश्चित कर रिपोर्ट दें। आमतौर पर देखने को मिलता है कि अधिकारी आम लोगों से दूरी बनाकर चलते हैं। मगर, रोहतास की डीएम उदिता सिंह अपनी सहजता और संवेदनशीलता के लिए अलग पहचान रखती हैं। जनता से सीधे संवाद करने और उनकी समस्याओं को गंभीरता से समझने की उनकी ये कार्यशैली उन्हें खास बनाती है।
स्कूल के मेनगेट के पास ही झोपड़ीदरअसल, बच्ची के माता-पिता जिस झोपड़ी में रहते हैं वो पीएम श्री+2 उच्च विद्यालय कोचस (रोहतास) के मेनगेट के सामने हैं। दिन भर वहां बच्चों और टीचर का आना-जाना लगा रहता है। 8-10 साल की बच्ची रोजाना की तरह झोपड़ी से बाहर खुले जगह पर घर की बर्तन साफ कर रही थी। उसी रास्ते से डीएम उदिता सिंह गुजर रहीं थीं। स्कूल के सामने उन्होंने बच्ची को बर्तन धोते देखा तो काफिले को रुकवाया।
डीएम ने बच्ची के एडमिशन का दिया निर्देशजब तक बाकी अधिकारी माजरे को समझते तबतक वो सीधे बच्ची के पास आ गईं। बच्ची की मां झोपड़ी के भीतर से सबकुछ देख रही थी। उदिता सिंह ने बच्ची से पढ़ाई-लिखाई के बारे में पूछा। एक साथ उसके पास इतने सारे लोग आ गए कि बच्ची ने सिर झुकाए हुए ही सारे सवालों का जवाब दिया। इसके बाद उन्होंने डीईओ को निर्देश दिया कि हर हाल में बच्ची का एडमिशन होना चाहिए और उसे ड्रेस से लेकर किताब तक मुहैया होनी चाहिए।
बर्तन धो रही बच्ची के पास पहुंचीं डीएमयही नहीं, डीएम उदिता सिंह ने मौके पर ही जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) को निर्देश दिया कि सोमवार तक बच्ची का नामांकन हर हाल में सुनिश्चित कर रिपोर्ट दें। आमतौर पर देखने को मिलता है कि अधिकारी आम लोगों से दूरी बनाकर चलते हैं। मगर, रोहतास की डीएम उदिता सिंह अपनी सहजता और संवेदनशीलता के लिए अलग पहचान रखती हैं। जनता से सीधे संवाद करने और उनकी समस्याओं को गंभीरता से समझने की उनकी ये कार्यशैली उन्हें खास बनाती है।
स्कूल के मेनगेट के पास ही झोपड़ीदरअसल, बच्ची के माता-पिता जिस झोपड़ी में रहते हैं वो पीएम श्री+2 उच्च विद्यालय कोचस (रोहतास) के मेनगेट के सामने हैं। दिन भर वहां बच्चों और टीचर का आना-जाना लगा रहता है। 8-10 साल की बच्ची रोजाना की तरह झोपड़ी से बाहर खुले जगह पर घर की बर्तन साफ कर रही थी। उसी रास्ते से डीएम उदिता सिंह गुजर रहीं थीं। स्कूल के सामने उन्होंने बच्ची को बर्तन धोते देखा तो काफिले को रुकवाया।
डीएम ने बच्ची के एडमिशन का दिया निर्देशजब तक बाकी अधिकारी माजरे को समझते तबतक वो सीधे बच्ची के पास आ गईं। बच्ची की मां झोपड़ी के भीतर से सबकुछ देख रही थी। उदिता सिंह ने बच्ची से पढ़ाई-लिखाई के बारे में पूछा। एक साथ उसके पास इतने सारे लोग आ गए कि बच्ची ने सिर झुकाए हुए ही सारे सवालों का जवाब दिया। इसके बाद उन्होंने डीईओ को निर्देश दिया कि हर हाल में बच्ची का एडमिशन होना चाहिए और उसे ड्रेस से लेकर किताब तक मुहैया होनी चाहिए।
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