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World Stroke Day: ब्रेन हेल्थ के लिए बढ़िया है ये तेल, डॉ. श्रद्धा ने माना-तेजी से बढ़ाता है सोचने-समझने की क्षमता

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ऐसा ही एक एक बेहद खास और पावरफुल कंपाउंड है विटामिन ई, जिसे अल्फा-टोकोट्राइनॉल (α-Tocotrienol) कहा जाता है। यह मुख्य रूप से पाम ऑयल में पाया जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह ब्रेन सेल्स को नुकसान से बचाने, याददाश्त बेहतर करने और दिमाग के कामकाज को लंबे समय तक स्वस्थ बनाए रखने में बड़ा रोल निभा सकता है। यही वजह है कि α-टोकोट्राइनॉल दिमाग से जुड़ी रिसर्च में एक नए और संभावित गेम-चेंजर तत्व के रूप में उभर रहा है।

आने वाले समय में यह पोषक तत्व स्ट्रोक, अल्जाइमर जैसी बीमारियों में भी मददगार साबित हो सकता है। यही वजह है कि डॉक्टर और न्यूट्रिशन एक्सपर्ट इसे ब्रेन हेल्थ का एक जरूरी हिस्सा मानते हैं। श्रद्धा माहेश्वरी, कंसल्टेंट न्यूरोसर्जन, एसएल रहेजा अस्पताल (फोर्टिस एसोसिएट) आपको इस वर्ल्ड स्ट्रोक डे पर बता रही हैं कि पाम ऑयल किस तरह आपकी मेंटल हेल्थ के लिए बेहतर साबित हो सकता है।

दिमाग की सुरक्षा में कारगर है पाम ऑयल में मिलने वाला टोकोट्राइनॉल्स

वैज्ञानिकों ने पाया है कि टोकोट्राइनॉल्स पाम ऑयल में भरपूर मात्रा में मिलता है। यह ब्रेन हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। यह तत्व दिमाग में सूजन कम करने, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस घटाने और नर्व सेल्स को होने वाले नुकसान से बचाने में मदद कर सकता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह शरीर की ब्लड-ब्रेन बैरियर यानी वह परत, जो दिमाग को बाहरी नुकसानदायक चीजों से बचाती है, उसे पार करके सीधे दिमाग तक पहुंच सकता है। वहां जाकर यह दिमाग की कोशिकाओं को मजबूत करता है और उनकी रक्षा करने वाले खास तरीके से काम करता है। रिसर्च में पाया गया है कि यह कंपाउंड याददाश्त को बेहतर रखने, दिमागी कामकाज को मजबूत बनाने और अल्जाइमर व पार्किंसन जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव डिजीज को रोकने में भी अहम रोल निभा सकता है। इसी वजह से टोकोट्राइनॉल्स को दिमाग की सेहत और भविष्य में होने वाली दिमागी बीमारियों की रोकथाम के लिए एक बेहतरीन पोषक तत्व माना जा रहा है।

टोकोट्राइनॉल्स- ब्रेन हेल्थ के लिए एक पावरफुल विटामिन ई
टोकोट्राइनॉल्स विटामिन E का एक अलग और खास प्रकार है, जो आमतौर पर मिलने वाले टोकोफेरॉल्स से अलग होता है। टोकोफेरॉल्स तो कई तरह के वनस्पति तेलों में मिल जाते हैं, लेकिन टोकोट्राइनॉल्स इतने आसानी से नहीं मिलते। रिसर्च में यह पाया गया है कि टोकोट्राइनॉल्स दिल की सेहत को बेहतर बनाने, कैंसर और डायबिटीज के खतरे को कम करने के साथ-साथ दिमाग को भी मजबूत बनाए रखने में बड़ा रोल निभाते हैं। खासतौर पर पाम ऑयल में अल्फा-टोकोट्राइनॉल बहुत अधिक मात्रा में मिलता है, जो दिमाग की नसों की सूजन कम करने, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को घटाने और नर्व सेल्स की मृत्यु को रोकने में बेहद पावरफुल माना जाता है। इसलिए इसे ऐसा पोषक तत्व माना जा रहा है जो दिमाग को कई तरह की बीमारियों से बचाने की क्षमता रखता है और उम्र बढ़ने के साथ मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रख सकता है।

सीधे दिमाग तक पहुंचने की अनोखी क्षमता
दिमाग को सुरक्षित रखना मुश्किल इसलिए होता है क्योंकि अधिकतर पोषक तत्व दिमाग तक पहुंच ही नहीं पाते। दिमाग के चारों ओर एक सुरक्षा दीवार होती है जिसे ब्लड-ब्रेन बैरियर कहते हैं, जो खराब चीजों को अंदर जाने से रोकती है। लेकिन विटामिन ई की बाकी किस्मों के मुकाबले टोकोट्राइनॉल्स आसानी से इस बैरियर को पार कर लेते हैं और दिमाग की नसों तक पहुंच जाते हैं। वहां यह जमा होकर न्यूरॉन्स यानी दिमाग की कोशिकाओं को नुकसान से बचाते हैं, खासकर उन नुकसानों से जो अल्जाइमर और पार्किंसन जैसी दिमाग की बीमारियों में होते हैं। एक स्टडी में, जिसमें 121 लोग शामिल थे, यह देखा गया कि टोकोट्राइनॉल्स ने डिमेंशिया से जुड़े दिमागी नुकसान को बढ़ने से रोकने में मदद की। इससे पता चलता है कि टोकोट्राइनॉल्स दिमाग की सुरक्षा के लिए एक प्राकृतिक और असरदार पोषक तत्व हो सकता है।

टोकोट्राइनॉल्स दिमाग की सुरक्षा कैसे करते हैं?
टोकोट्राइनॉल्स दिमाग की सुरक्षा में बहुत मदद करते हैं। ये फ्री रेडिकल्स नाम के हानिकारक कणों को खत्म करके दिमाग की कोशिकाओं को बचाते हैं। इससे कोशिकाओं की बाहरी परत खराब नहीं होती, जिसे लिपिड पेरॉक्सिडेशन कहते हैं। यह काम टोकोफेरॉल (विटामिन E का दूसरा रूप) से भी ज्यादा असरदार तरीके से होता है। इसके अलावा, टोकोट्राइनॉल्स दिमाग में होने वाली सूजन को भी कम करते हैं। दिमाग में ज्यादा सूजन होने पर याददाश्त कमजोर होना, सोचने में दिक्कत और अल्जाइमर व पार्किंसन जैसी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन टोकोट्राइनॉल्स इस सूजन को रोक कर दिमाग को स्वस्थ रखते हैं और मानसिक क्षमता को मजबूत बनाते हैं।

स्ट्रोक से बचाव और रिकवरी में टोकोट्राइनॉल्स की भूमिका
न्यूरोसर्जरी के नजरिए से देखा जाए तो स्ट्रोक से बचाव और स्ट्रोक के बाद रिकवरी में टोकोट्राइनॉल्स पर हो रहा रिसर्च बहुत महत्वपूर्ण है। आम एंटीऑक्सीडेंट्स सिर्फ फ्री रेडिकल्स को खत्म करने का काम करते हैं, लेकिन टोकोट्राइनॉल्स इसके आगे बढ़कर दिमाग की कोशिकाओं को कई तरह से सुरक्षा देते हैं। ये दिमाग में सूजन को कंट्रोल करते हैं और उन एंजाइम को रोकते हैं जो स्ट्रोक के बाद न्यूरॉन्स की मौत का कारण बनते हैं। क्लिनिकल रिसर्च में पाया गया है कि जब पाम ऑयल से मिलने वाला अल्फा-टोकोट्राइनॉल सप्लीमेंट के रूप में लिया जाता है, तो यह दिमाग तक पहुंचकर इतनी मात्रा में जमा हो जाता है कि स्ट्रोक के कारण होने वाले न्यूरोलॉजिकल नुकसान को काफी हद तक कम कर सकता है। यही वजह है कि वैज्ञानिक इसे दिमाग को सुरक्षित रखने और रिकवरी बेहतर करने का एक प्राकृतिक और प्रभावी उपाय मान रहे हैं।

टोकोट्राइनॉल्स दिमाग को देते हैं मजबूत सुरक्षा
पशु अध्ययनों ने भी टोकोट्राइनॉल्स के दिमाग को बचाने वाले गुणों की पुष्टि की है। पाम ऑयल से मिलने वाले टोकोट्राइनॉल्स से किए गए रिसर्च में पाया गया है कि यह स्वस्थ मॉडलों में मानसिक क्षमता को बढ़ाते हैं। वहीं डायबिटीज और अल्जाइमर जैसे रोगों वाले मॉडलों में यह दिमाग में सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करते हैं। अल्जाइमर रोग के ट्रांसजेनिक मॉडलों में, पाम ऑयल से प्राप्त टोकोट्राइनॉल-रिच फ्रैक्शन्स (TRF) ने दिमाग में बनने वाले एमाइलॉइड-β (Amyloid-β) प्लाक को थोड़ा कम करने की क्षमता दिखाई है। यह वही प्रोटीन जमाव है, जो अल्जाइमर का बड़ा कारण माना जाता है। इसके अलावा, लैब अध्ययनों में यह भी साबित हुआ है कि अल्फा-टोकोट्राइनॉल न सिर्फ दिमाग की कोशिकाओं को भविष्य के नुकसान से बचाता है, बल्कि पहले से हुए नुकसान की रिकवरी में भी मदद करता है। दिमाग की सुरक्षा में यह विटामिन ई के अन्य रूपों जैसे टोकोफेरॉल्स की तुलना में ज्यादा प्रभावी पाया गया है।

फॉस्फोलिपिड्स उम्र बढ़ने पर दिमाग को बचाने में मददगार
अब नए शोध यह भी दिखा रहे हैं कि पाम ऑयल में पाए जाने वाले कुछ खास फॉस्फोलिपिड्स भी दिमाग के लिए बहुत फायदेमंद हो सकते हैं। यह ऐसे लिपिड्स ब्रेन सेल्स की मजबूती और उनके बीच बेहतर संचार बनाए रखने में मदद करते हैं। रिसर्च में माना जा रहा है कि ये तनाव से होने वाली मानसिक कमजोरी को कम करने में सहायक हैं और उम्र बढ़ने के साथ याददाश्त कमजोर होने की प्रक्रिया को धीमा कर सकते हैं। हालांकि इनके सटीक कार्य और प्रभावों पर अभी और शोध चल रहे हैं, लेकिन वैज्ञानिकों की रुचि लगातार बढ़ रही है, क्योंकि शुरुआती अध्ययनों में यह देखा गया है कि फॉस्फोलिपिड्स दिमाग की कॉग्निटिव हेल्थ यानी सोचने-समझने की क्षमता को उम्र से जुड़ी समस्याओं से बचाने में समर्थ हो सकते हैं।

सिर्फ दिमाग ही नहीं, पूरी सेहत के लिए फायदेमंद
पाम ऑयल के फायदे केवल दिमाग तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह पूरे शरीर की सेहत को बेहतर बनाने में भी मदद करता है। पाम ऑयल में पाए जाने वाले टोकोट्राइनॉल्स और बीटा-कैरोटीन दिल की सेहत सुधारने, कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखने और शरीर को मजबूत बनाने में सहायक माने जाते हैं। हालांकि पाम ऑयल में सैचुरेटेड फैट भी होता है, लेकिन रिसर्च बताती है कि इसके विशेष तत्व जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स और टोकोट्राइनॉल्स शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। यानी यदि इसे सीमित मात्रा में और संतुलित डाइट के साथ शामिल किया जाए, तो यह एक हेल्दी विकल्प साबित हो सकता है।

दिमाग की सुरक्षा में पाम ऑयल का बढ़ता महत्व
वैज्ञानिक शोध लगातार यह साबित कर रहे हैं कि पाम ऑयल से मिलने वाला α-टोकोट्राइनॉल दिमाग के लिए बेहद फायदेमंद है। इसकी खासियत यह है कि यह आसानी से दिमाग तक पहुंचकर ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करता है, नसों को नुकसान से बचाता है और दिमाग की कोशिकाओं को मजबूत बनाता है। इसकी मदद से याददाश्त कमजोर होना, अल्जाइमर और पार्किंसन जैसी न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का जोखिम कम किया जा सकता है। इसके लाभों पर लगातार नई स्टडी सामने आ रही हैं, जिससे यह बात और मजबूत होती जा रही है कि पाम ऑयल दिमाग की सेहत बनाए रखने और संपूर्ण ऊर्जा (वाइटैलिटी) बढ़ाने में एक उपयोगी आहार तत्व हो सकता है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है।
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