पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार भी जातिगत पॉलिटिक्स हावी है। पर बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की राय में देश में जातिवाद नहीं बल्कि राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि देश में हिन्दू विभाजित है। वो क्षेत्र, भाषावाद और जातिवाद के नाम पर बंटा हुआ है। लेकिन उन्हें देश में कास्टवाद नहीं बल्कि राष्ट्रवाद चाहिए। उन्होंने कहा कि वह एकता के लिए सनातन हिंदू एकता पदयात्रा निकालेंगे। बिहार चुनाव पर उन्होंने कहा कि वह लोगों से देश के लिए वोट करने का आह्वान करेंगे।
राष्ट्रीय जनता दल और लालू प्रसाद
राष्ट्रीय जनता दल का आधार मुस्लिम और यादव पर टिका हुआ है। यह पार्टी खुल कर एमवाई समीकरण को सोशल इंजीनियरिंग का मजबूत आधार बनाया और लगभग बिहार की सत्ता पर 15 वर्षों तक शासन किया। इस दौरान राजद सुप्रीमो कई बार मुख्यमंत्री बने। उनकी पत्नी राबड़ी देवी भी मुख्यमंत्री बनी। लालू यादव के दोनों बेटे नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में उप मुख्यमंत्री और मंत्री बने। राबड़ी देवी के भाई साधु और सुभाष यादव सदन के सदस्य बन कर देश की राजनीति की। लालू यादव की बेटी मिसा भारती को सांसद बनाया। आज की तारीख में भी राजद एमवाई को आधार बना कर माय-बाप की पार्टी बना कर विपक्ष की राजनीति करते मुख्यमंत्री के सबसे प्रबल उम्मीदवार बने हुए हैं।
जदयू और नीतीश कुमार
राज्य की राजनीति में नीतीश कुमार जब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से अलग हटकर राजनीति की रह ढूंढी तो उनका आधार कुर्मी और कुशवाहा का ही आधार वोट रहा। गांधी मैदान में आयोजित कुर्मी रैली के बाद ही नीतीश कुमार की राजनीति को राह मिली। कुर्मी और कुशवाहा का नया समीकरण बनाकर नीतीश कुमार ने समता पार्टी से जदयू की सफर को तय किया। हकीकत यही है कि कुर्मी-कुशवाहा की पार्टी जदयू ने सवर्ण और वैश्य आधारित बीजेपी के साथ मिल कर वर्ष 2005 से 2025 तक सत्ता का स्वाद लिया।
रामविलास पासवान से चिराग पासवान का सफर
राजनीति में एक कहावत बहुत प्रचलित है कि दलितों के नेता रामविलास पासवान सत्ता की चाबी लेकर राजनीतिक गलियारों में घूमते हैं। उसका आधार भी 6 प्रतिशत पासवान का वोट है। इसी आधार पर रामविलास पासवान कहते भी थे जिधर लोक जनशक्ति पार्टी रहेगी सरकार भी उसी की बनेंगी। उनकी इस छह प्रतिशत राजनीति की ताकत देखें तो केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिरा दी। अब उनके पुत्र चिराग पासवान भी छह प्रतिशत की राजनीति कर आज सांसद में पांच सांसदों को भेजने में सफल रहे हैं। वर्तमान चुनाव की बात कर ले उनके 29 उम्मीदवार बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के चुनावी जंग में उत्तर चुके हैं।
राष्ट्रीय जनता दल और लालू प्रसाद
राष्ट्रीय जनता दल का आधार मुस्लिम और यादव पर टिका हुआ है। यह पार्टी खुल कर एमवाई समीकरण को सोशल इंजीनियरिंग का मजबूत आधार बनाया और लगभग बिहार की सत्ता पर 15 वर्षों तक शासन किया। इस दौरान राजद सुप्रीमो कई बार मुख्यमंत्री बने। उनकी पत्नी राबड़ी देवी भी मुख्यमंत्री बनी। लालू यादव के दोनों बेटे नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में उप मुख्यमंत्री और मंत्री बने। राबड़ी देवी के भाई साधु और सुभाष यादव सदन के सदस्य बन कर देश की राजनीति की। लालू यादव की बेटी मिसा भारती को सांसद बनाया। आज की तारीख में भी राजद एमवाई को आधार बना कर माय-बाप की पार्टी बना कर विपक्ष की राजनीति करते मुख्यमंत्री के सबसे प्रबल उम्मीदवार बने हुए हैं।
जदयू और नीतीश कुमार
राज्य की राजनीति में नीतीश कुमार जब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से अलग हटकर राजनीति की रह ढूंढी तो उनका आधार कुर्मी और कुशवाहा का ही आधार वोट रहा। गांधी मैदान में आयोजित कुर्मी रैली के बाद ही नीतीश कुमार की राजनीति को राह मिली। कुर्मी और कुशवाहा का नया समीकरण बनाकर नीतीश कुमार ने समता पार्टी से जदयू की सफर को तय किया। हकीकत यही है कि कुर्मी-कुशवाहा की पार्टी जदयू ने सवर्ण और वैश्य आधारित बीजेपी के साथ मिल कर वर्ष 2005 से 2025 तक सत्ता का स्वाद लिया।
रामविलास पासवान से चिराग पासवान का सफर
राजनीति में एक कहावत बहुत प्रचलित है कि दलितों के नेता रामविलास पासवान सत्ता की चाबी लेकर राजनीतिक गलियारों में घूमते हैं। उसका आधार भी 6 प्रतिशत पासवान का वोट है। इसी आधार पर रामविलास पासवान कहते भी थे जिधर लोक जनशक्ति पार्टी रहेगी सरकार भी उसी की बनेंगी। उनकी इस छह प्रतिशत राजनीति की ताकत देखें तो केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिरा दी। अब उनके पुत्र चिराग पासवान भी छह प्रतिशत की राजनीति कर आज सांसद में पांच सांसदों को भेजने में सफल रहे हैं। वर्तमान चुनाव की बात कर ले उनके 29 उम्मीदवार बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के चुनावी जंग में उत्तर चुके हैं।
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