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Raghunathpur Voting 2025: शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब को मिलेगी जीत या एनडीए का रास्ता साफ, रघुनाथपुर में 61.45 प्रतिशत मतदान

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सिवानः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 मे सिवान जिले की रघुनाथपुर विधानसभा सीट इस बार सबसे हाई-प्रोफाइल और संवेदनशील मुकाबलों में से एक बन गई है। रघुनाथपुर विधानसभा सीट के लिए 61.45 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।

इस सीट बिहार के लोगों की नहीं, बल्कि पूरे देश की नजर है। रघुनाथपुर सीट इस बार बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब के चुनावी मैदान में उतरने के कारण चर्चा का केंद्र बन गई है। रघुनाथपुर विधानसभा सीट के लिए सुबह सात बजे मतदान शुरू होने के पहले ही कई मतदान केंद्रों पर वोटरों की लंबी कतारें लग चुकी थी। मतदान को लेकर महिला मतदाताओं में भी खासा उत्साह देखा गया।

आरजेडी का गढ़, अब नई चुनौती
रघुनाथपुर सीट पर पिछले दो बार से राजद (आरजेडी) का कब्जा रहा है, जहां हरिशंकर यादव ने 2020 में लोजपा के उम्मीदवार को बड़े अंतर से हराया था। इस बार आरजेडी ने निवर्तमान विधायक हरिशंकर यादव की जगह शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब को टिकट देकर एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला है।


जेडीयू,आरजेडी और जन सुराज के बीच मुख्य मुकाबला
मुख्य मुकाबला एनडीए (जेडीयू), महागठबंधन (आरजेडी) और जन सुराज के बीच त्रिकोणीय होने की संभावना है। ओसामा शहाब (दिवंगत शहाबुद्दीन के पुत्र हैं। वहीं जेडीयू ने विकास कुमार सिंह उर्फ 'जीशु सिंह' को उम्मीदवार बनाया गया है। जबकि जन सुराज को राहुल कीर्ति सिंह को मैदान में उतारा है।

एनडीए ने इस मुकाबले को 'जंगलराज' बनाम 'विकास' के रूप में पेश किया है, जहां भाजपा के स्टार प्रचारकों (जैसे असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा) ने शहाबुद्दीन की विरासत को मुखर रूप से निशाना बनाया है।

मुस्लिम मतदाता निर्णायक वोट
रघुनाथपुर सीट पर मुस्लिम मतदाता (23 प्रतिशत से अधिक), यादव (12 प्रतिशत), और राजपूत (10 प्रतिशत) मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं, जबकि ब्राह्मण, दलित और अतिपिछड़ी जातियाँ भी महत्वपूर्ण हैं। ओसामा शहाब को पारंपरिक 'माई' समीकरण (मुस्लिम-यादव) के साथ सहानुभूति वोटों का सहारा है।

एनडीए शहाबुद्दीन के खिलाफ मुखर विरोध और उच्च जाति, पिछड़ी एवं अतिपिछड़ी जातियों के वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रहा है। यह चुनाव केवल विधानसभा सीट के लिए नहीं, बल्कि सीवान की राजनीति में शहाबुद्दीन परिवार के भविष्य और आरजेडी के 'माई' समीकरण की एकजुटता की परीक्षा है।
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