बेंगलुरू: कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार जातीय जनगणना पर खुद घिरती जा रही है। कर्नाटक के लिंगायत समुदाय ने जाति जनगणना रिपोर्ट में किए गए दावों को खारिज कर दिया है। सोमवार को अखिल भारतीय वीरशैव लिंगायत महासभा ने रिपोर्ट को खारिज कर दिया और एक नए सिरे से सर्वेक्षण कराने की मांग की। वोक्कालिगा समुदाय के संत और नेताओं ने इस रिपोर्ट का विरोध किया है। बीजेपी भी मुसलमानों को दिए जाने वाले प्रस्तावित आरक्षण सीमा को लेकर सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस में भी इस मुद्दे पर नेताओं में दो राय है। डीके शिवकुमार ने बुलाई वोक्कालिगा विधायकों की मीटिंग17 अप्रैल गुरुवार को कैबिनेट की मीटिंग में जाति जनगणना रिपोर्ट पर चर्चा होगी। बीते 10 अप्रैल को यह रिपोर्ट कैबिनेट को सौंपी गई थी। इससे पहले कांग्रेस के वोक्कालिगा और लिंगायत नेता दोनों समुदायों के धर्मगुरुओं से बातचीत कर रहे हैं। जाति जनगणना रिपोर्ट लीक होने के बाद जो तथ्य सामने आ रहे हैं, उससे कर्नाटक में प्रभावशाली वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय दोनों नाराज है। डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार ने मंगलवार शाम 6 बजे वोक्कालिगा समुदाय के कांग्रेस विधायकों की एक खास बैठक बुलाई है। लिंगायत नेता भी बिरादरी के विधायकों से कर रहे हैं रायशुमारीशिवकुमार ने कहा कि मैंने अभी तक पूरी जाति जनगणना रिपोर्ट नहीं देखी है। अभी इसका अध्ययन किया जा रहा है। मैंने अपनी पार्टी के समुदाय के विधायकों की एक बैठक बुलाई है। हम उनसे बात करेंगे और सुझाव देंगे कि कैसे सभी का सम्मान किया जाए और किसी की भावनाओं को ठेस न पहुंचे। लिंगायत नेता और वन मंत्री ईश्वर खंड्रे भी समुदाय के नेताओं से राय ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि कैबिनेट की बैठक से पहले लिंगायत नेताओं और व्यक्तियों की राय ली जाएगी। इसे पूरे घटनाक्रम पर सीएम सिद्धारमैया ने चुप्पी साध रखी है। सीएम की ओर से बयान दिया गया कि वह कैबिनेट की विशेष बैठक में इस बारे में बात करेंगे। जनगणना रिपोर्ट में अनुपात के हिसाब आरक्षण की सिफारिश लीक हुई जानकारी के अनुसार, कर्नाटक में वोक्कालिगा समुदाय की आबादी 61.6 लाख है, जो राज्य की कुल आबादी का 10.3 फीसदी है। रिपोर्ट में वोक्कालिगा को 7 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की गई है। दूसरी ओर रिपोर्ट में लिंगायत समुदाय की आबादी 66.3 लाख बताया गया है, जो कर्नाटक की आबादी का 11 फीसदी है। लिंगायतों को 8 फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव दिया गया है। इस आंकड़े से दोनों समुदाय के लोग असहमत हैं। लिंगायत धर्मगुरुओं का आरोप है कि जातीय जनगणना में उप समुदायों वीरशैव लिंगायत और पंचमासली को अलग कैटिगरी में रखा गया है। लिंगायत प्रमुख का दावा, 11 नहीं 35 फीसदी है आबादी अखिल भारतीय वीरशैव लिंगायत महासभा के प्रमुख और पूर्व डीजीपी शंकर बिदारी ने दावा किया कि लिंगायत समुदाय की आबादी लगभग 35 फीसदी है। उन्होंने कहा कि राज्य के 31 जिलों में से लगभग 15 जिलों में 10 लाख से ज्यादा लिंगायत हैं। इस बीच कांग्रेस के एसटी नेता और सहकारिता मंत्री के.एन. राजन्ना ने लिंगायत धर्मगुरुओं के दावों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने सवाल किया है कि स्वामीजी और संगठनों को यह डेटा कहां से मिलता है? पूर्व बीजेपी नेता बोले, मुसलमान नहीं ब्राह्मण हैं अल्पसंख्यक जातीय रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि कर्नाटक में मुसलमानों की आबादी 75.2 लाख है। यह राज्य की कुल आबादी का 12.6 प्रतिशत है। रिपोर्ट में आबादी के अनुपात में मुसलमानों के लिए आरक्षण को 4 फीसदी से बढ़ाकर 8 फीसदी करने का सुझाव दिया गया है। बीजेपी से निकाले गए नेता और विजयपुरा के विधायक बसनागौड़ा पाटिल यतनाल ने रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया। उन्होंने मुसलमानों को अल्पसंख्यक बताने पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि अगर मुसलमान सबसे बड़ा समुदाय हैं, तो इससे 'अल्पसंख्यक समुदाय' का दर्जा छीन लिया जाना चाहिए। अगर जनगणना रिपोर्ट को स्वीकार किया जाता है, तो 2 फीसदी वाले ब्राह्मणों को अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा दिया जाना चाहिए।
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