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Hanuman Jayanti: आखिर मेहंदीपुर बालाजी जाने वालों को क्यों नहीं लाना चाहिए प्रसाद? क्यों महिलाओं को रखना चाहिए दुपट्टा?

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आज हनुमान जयंती है और इस मौके पर हम आपको देश के उस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो बाकी मंदिरों से अलग है, जहां आपको विचित्र नजारे देखने को मिलेंगे, यहां की आवाजें रोंगटे खड़ी कर देती है। जी हां यहां राजस्थान के मेहंदीपुर बालाजी के बारे में बात कर रहे हैं, जहां देश और दुनिया से लोग ऊपरी चक्कर, भूत- प्रेत का साया भगाने के लिए आते हैं।

बता दें, मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है। ये मंदिर हनुमान जी को समर्पित है। मान्यता है कि यहां आने से भूत-प्रेत की बाधाओं और नकारात्मक बुराइयों से हमेशा के लिए छुटकारा मिलता है। वहीं अगर आप भूत-प्रेतों में विश्वास नहीं करते हैं, तो मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में आने के बाद आप ऐसा करने लगेंगे। ऐसे में आइए जानते हैं, इस मंदिर के बारे में। (photos credit: devasthan.rajasthan.gov.in and wikimedia commons)
जान लें मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के बारे में image

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान राज्य के दौसा जिले में स्थित एक हिंदू मंदिर है, जो भगवान हनुमान को समर्पित है। हिंदुओं हनुमान भगवान को बालाजी के नाम से भी जाना जाता है, इसलिए मंदिर का नाम बालाजी पड़ा। कई भक्तों का मानना है कि इस स्थान पर जादुई शक्तियां हैं और इसलिए यह तीर्थ स्थल हर दिन हजारों भक्तों का गवाह है जो काले जादू, भूत प्रेत , ऊपरी चक्कर से मुक्ति पाने के लिए यहां आते हैं।


मंदिर में होती है तीन देवताओं की पूजा image

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में तीन देवता हैं जिनकी मुख्य रूप से पूजा की जाती है। पहले भगवान हनुमान, जिन्हें बालाजी के नाम से भी जाना जाता है, दूसरे प्रेत राज और तीसरे भैरव बाबा। इस मंदिर से जुड़ी कई कहानियां भी प्रचलित है। ऐसा माना जाता है कि यहां जिस मूर्ति की पूजा की जाती है वह अपने आप प्रकट हुई थी।

यही नहीं कहानियों में दिव्य शक्ति के बारे में भी बताया गया है, जो मंदिर की परिक्रमा करती है। ऐसा माना जाता है कि इस शक्ति में बुरी आत्माओं से प्रभावित लोगों को ठीक करने और उन्हें काले जादू के चंगुल से मुक्त करने की क्षमता है।


मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का रहस्य image

भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है। बताया जाता है, मंदिर के तीनों देवता लगभग 1000 साल पुराने हैं। मान्यता के अनुसार, भगवान हनुमान की मूर्ति अरावली की पहाड़ियों के बीच स्वयं प्रकट हुई थी और इसे किसी कलाकार ने नहीं बनाया है। जिस जगह पर आज मंदिर है, वह पहले एक घना जंगल था, जहां श्री महंत जी के पूर्वजों ने बालाजी की पूजा शुरू की थी।


मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के नियम image

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में हर रात 2 बजे भूत-प्रेत की बाधाओं को दूर करने लिए यहां कीर्तन होता है, जिसमें हजारों की संख्या में भक्त शामिल होते हैं। वहीं मेहंदीपुर बालाजी से प्रसाद घर लाने की मनाही होती है।

जैसा कि हमने आपको बताया ये मंदिर भूत-प्रेत जैसी चीजों से मुक्ति पाने के लिए प्रसिद्ध है, इसलिए अगर यहां का प्रसाद कोई खा लें या अपने साथ लेकर आए तो इसका मतलब ये है कि वह अपने साथ नकारात्मक शक्तियों को लेकर आ रहा है। आइए जानते हैं मंदिर के कुछ जरूरी नियम, जो इस प्रकार है:-

  • मेहंदीपुर बालाजी मंदिर आने वाले सभी भक्तों को एक सप्ताह तक अंडा, मांस, शराब, लहसुन और प्याज खाने की मनाही होती है, ये नियम यहां के सभी भक्तों के लिए है।
  • इसी के साथ मंदिर से बाहर निकलने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए, और मुख्य मंदिर के पुजारी के अलावा किसी से भी प्रसाद या अन्य चीजें स्वीकार करने से बचना चाहिए।
  • मंदिर के अनोखे वातावरण और वहां किए जाने वाले अनुष्ठानों के प्रति सचेत रहें, जिनमें भूत-प्रेत भगाने की प्रथाएं भी शामिल हैं, इन्हें देखकर किसी भी तरह का शोर- शराबा न करें और नहीं की वीडियो बनाएं।
  • मंदिर में प्रवेश करने से पहले महिलाओं को अपना सिर ढकने के लिए दुपट्टा या सिर पर स्कार्फ का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। क्योंकि यहां भूत-प्रेत उतरवाने के लिए लोग आते हैं, ऐसे में महिलाओं को इससे दूर रखा जाता है।
  • मंदिर परिसर के अंदर अजनबियों को न छुएं और न ही उनसे बातचीत करें, क्योंकि उन पर भूत-प्रेत का साया हो सकता है।
  • मंदिर के अंदर पुजारी या किसी अन्य को पैसा देने से बचें, क्योंकि वे झूठे बहाने से आपसे पैसा मांग सकते हैं।

कैसे पहुंचे मेहंदीपुर बालाजी मंदिर image

रेल मार्ग: अगर आफ ट्रेन से आ रहे हैं, तो दौसा रेलवे स्टेशन मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। इसके अलावा बांदीकुई जंक्शन एक और रेलवे स्टेशन है जो दौसा जिले से 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।हवाई मार्ग से: अगर आप फ्लाइट से आ रहे हैं, तो जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से टैक्सी या बस लेकर से दौसा पहुंच सकते हैं जो लगभग 62 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके बाद आप मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के लिए टैक्सी या बस ले सकते हैं। बता दें, यहां आपको उबर और ओला का ऑप्शन नहीं मिलेग।सड़क मार्ग से: दौसा जयपुर से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और सड़क मार्ग से अच्छे से कनेक्टेड है। यदि आप सड़क मार्ग से आना चाहते हैं, तो सबसे बढ़िया ऑप्शन राजस्थान स्टेट ट्रांसपोर्ट की बसों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसी के साथ आप दिल्ली, आगरा और अन्य आस-पास के शहरों से आराम से आ सकते हैं, क्योंकि दौसा के लिए नियमित रूप से बसें चलती हैं।

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