बीजिंग: पाकिस्तान और अमेरिका ने सितंबर महीने में ऐतिहासिक रेयर अर्थ समझौते पर हस्ताक्षर किए है। इस समझौते के तहत मिसौरी स्थित कंपनी यूएस स्ट्रैटेजिक मेटल्स (यूएसएसएम) पाकिस्तान में रेयर अर्थ और महत्वपूर्ण खनिजों की खोज और शोधन के लिए 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करेगी। यह समझौता पाकिस्तान के करीब 6 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के अप्रयुक्त भंडार के लिए है। यह खनिज खासतौर से अशांत बलूचिस्तान प्रांत से निकाले जाने हैं। हालांकि चीन की चुनौती इस समझौते को मुश्किल में डाल सकती है। चीन का इस क्षेत्र में दबदबा और एकाधिकार इस पूरे समझौते के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
यूरेशियन टाइम्स के मुताबिक, इस समझौते के बाद यूएसएसएम को पाकिस्तान से भेजी गई रेयर अर्थ की पहली खेप मिल गई है। इसने पाकिस्तान में उत्साह पैदा किया है। साथ ही आर्मी चीफ असीम मुनीर की छवि को भी मजबूत किया है। कई पाकिस्तानी टिप्पणीकारों ने इसे पाकिस्तान की सभी आर्थिक समस्याओं का समाधान तक कहा है।
पाकिस्तान की मुश्किलपाकिस्तानी भले ही अमेरिका से समझौते पर उत्साह में हैं लेकिन उसके भंडार अभी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अधीन हैं। इन भंडारों की गुणवत्ता के बारे में कोई विश्वसनीय आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। अगर भंडारों में रेयर अर्थ तत्वों की सांद्रता पर्याप्त नहीं है तो फिर पूरी खनन प्रक्रिया आर्थिक रूप से अव्यावहारिक हो जाती है। यानी अभी पाकिस्तान की खनिज संपदा पर कई सवाल हैं।
पाकिस्तान और अमरिका के समझौते के सामने बड़ा मुद्दा विश्व बाजार में चीन से मुकाबला है। चीन का दुर्लभ खनिजों के खनन और प्रोसेसिंग पर बड़े पैमाने पर नियंत्रण है। वह अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इनकी कीमतें नियंत्रित करता है। चीन यह इस तरह करता है, जिसका मुकाबला कम से कम पाकिस्तान जैसे देश के लिए तकरीबन असंभव है, जो सुरक्षा आर्थिक चुनौतियों से घिरा है।
चीन का रेयर अर्थ में दबदबाचीन बीते चार दशकों से रेयर अर्थ खनिजों के खनन और प्रसंस्करण के क्षेत्र में सक्रिय है। चीन इस क्षेत्र में शुरुआती दौर से ही सक्रिय रहा है और उसने रेयर अर्थ खनिजों के खनन और प्रसंस्करण के लिए आवश्यक उन्नत तकनीकों में भारी निवेश शुरू किया है। चीन वर्तमान में रेयर अर्थ खनिजों के खनन का 70%, वैश्विक प्रसंस्करण का 90% और वैश्विक रेयर अर्थ चुंबक उत्पादन का 98% नियंत्रित करता है। वहीं पाकिस्तान के पास कोई अनुभव नहीं है।
सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (सीएसआईएस) के अनुसार, चीन वैश्विक बाजारों में जानबूझकर हेरफेर करते हुए दूसरे देशों की खदानों को घाटे में लाने का काम करता रहा है। इसने दूसरे देशों के लिए वर्तमान बाजार परिस्थितियों में चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल बना दिया है। ऐसे में पाकिस्तान रेयर अर्थ खनिजों के क्षेत्र में चीन के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकता है। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इस सबके लिए काफी कमजोर है।
पाकिस्तान में सुरक्षा स्थितिपाकिस्तान के दुर्लभ मृदा भंडार बलूचिस्तान और खैबर-पख्तूनख्वा प्रांतों में हैं। इन दोनों प्रांतों में उग्रवाद की समस्या है। अमेरिकी कंपनी के लिए यहां काम करना आसान नहीं होगा, जबकि कई क्षेत्र तो पाकिस्तान सेना के नियंत्रण तक में नहीं हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि पाकिस्तान अकेला देश नहीं है, जिसके साथ अमेरिका ने रेयर अर्थ समझौता किया है। 2025 में ही अमेरिका ने कई देशों के साथ ऐसे आधा दर्जन समझौते किए हैं। ऐसे में पाकिस्तान को बहुत खुश नहीं होना चाहिए।
यूरेशियन टाइम्स के मुताबिक, इस समझौते के बाद यूएसएसएम को पाकिस्तान से भेजी गई रेयर अर्थ की पहली खेप मिल गई है। इसने पाकिस्तान में उत्साह पैदा किया है। साथ ही आर्मी चीफ असीम मुनीर की छवि को भी मजबूत किया है। कई पाकिस्तानी टिप्पणीकारों ने इसे पाकिस्तान की सभी आर्थिक समस्याओं का समाधान तक कहा है।
पाकिस्तान की मुश्किलपाकिस्तानी भले ही अमेरिका से समझौते पर उत्साह में हैं लेकिन उसके भंडार अभी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अधीन हैं। इन भंडारों की गुणवत्ता के बारे में कोई विश्वसनीय आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। अगर भंडारों में रेयर अर्थ तत्वों की सांद्रता पर्याप्त नहीं है तो फिर पूरी खनन प्रक्रिया आर्थिक रूप से अव्यावहारिक हो जाती है। यानी अभी पाकिस्तान की खनिज संपदा पर कई सवाल हैं।
पाकिस्तान और अमरिका के समझौते के सामने बड़ा मुद्दा विश्व बाजार में चीन से मुकाबला है। चीन का दुर्लभ खनिजों के खनन और प्रोसेसिंग पर बड़े पैमाने पर नियंत्रण है। वह अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इनकी कीमतें नियंत्रित करता है। चीन यह इस तरह करता है, जिसका मुकाबला कम से कम पाकिस्तान जैसे देश के लिए तकरीबन असंभव है, जो सुरक्षा आर्थिक चुनौतियों से घिरा है।
चीन का रेयर अर्थ में दबदबाचीन बीते चार दशकों से रेयर अर्थ खनिजों के खनन और प्रसंस्करण के क्षेत्र में सक्रिय है। चीन इस क्षेत्र में शुरुआती दौर से ही सक्रिय रहा है और उसने रेयर अर्थ खनिजों के खनन और प्रसंस्करण के लिए आवश्यक उन्नत तकनीकों में भारी निवेश शुरू किया है। चीन वर्तमान में रेयर अर्थ खनिजों के खनन का 70%, वैश्विक प्रसंस्करण का 90% और वैश्विक रेयर अर्थ चुंबक उत्पादन का 98% नियंत्रित करता है। वहीं पाकिस्तान के पास कोई अनुभव नहीं है।
सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (सीएसआईएस) के अनुसार, चीन वैश्विक बाजारों में जानबूझकर हेरफेर करते हुए दूसरे देशों की खदानों को घाटे में लाने का काम करता रहा है। इसने दूसरे देशों के लिए वर्तमान बाजार परिस्थितियों में चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल बना दिया है। ऐसे में पाकिस्तान रेयर अर्थ खनिजों के क्षेत्र में चीन के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकता है। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इस सबके लिए काफी कमजोर है।
पाकिस्तान में सुरक्षा स्थितिपाकिस्तान के दुर्लभ मृदा भंडार बलूचिस्तान और खैबर-पख्तूनख्वा प्रांतों में हैं। इन दोनों प्रांतों में उग्रवाद की समस्या है। अमेरिकी कंपनी के लिए यहां काम करना आसान नहीं होगा, जबकि कई क्षेत्र तो पाकिस्तान सेना के नियंत्रण तक में नहीं हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि पाकिस्तान अकेला देश नहीं है, जिसके साथ अमेरिका ने रेयर अर्थ समझौता किया है। 2025 में ही अमेरिका ने कई देशों के साथ ऐसे आधा दर्जन समझौते किए हैं। ऐसे में पाकिस्तान को बहुत खुश नहीं होना चाहिए।
You may also like

टीवी डिबेट के बाद दरभंगा में तनाव: पुष्पम प्रिया के समर्थकों पर विधायक समर्थकों द्वारा हमले का आरोप

नाइजीरिया पर फिर भड़के ट्रंप, अमेरिकी युद्ध विभाग को कार्रवाई के लिए तैयार रहने को कहा

गुस्से पर काबू पाने के लिए रोजाना करें ये पांच योगासन, तनाव छूकर भी नहीं निकलेगा

युवकˈ ने पूछा सफलता का मंत्र संत ने उपाय बताने की बजाय युवक को नदी में डूबने छोड़ दिया﹒

मोकामा में शक्ति प्रदर्शन... यूपी नंबर 1 तो बिहार में जंगलराज 2 पर, अनंत सिंह की गिरफ्तारी पर क्या बोला विपक्ष?




