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जब पिता नहीं, घर की 'माँ' और 'दादी' के लिए किया जाता है श्राद्ध, जानिए क्या है ये खास दिन

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हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि'माता का कर्ज'एक ऐसा कर्ज है,जिसे हम कई जन्मों तक नहीं चुका सकते। हम अपने पूर्वजों को याद करने के लिए पितृ पक्ष में16दिनों तक श्राद्ध,तर्पण और पिंड दान करते हैं,लेकिन इन16दिनों में एक दिन ऐसा भी आता है जो पूरी तरह से घर की महिलाओं,हमारी माँ,दादी,और परिवार की दूसरी सौभाग्यशाली स्त्रियों को समर्पित होता है।इस बेहद खास और भावुक दिन को'मातृ नवमी' (Matru Navami)के नाम से जाना जाता है।आखिर क्यों इतना ज़रूरी है मातृ नवमी का श्राद्ध?पितृ पक्ष की नवमी तिथि यानी नौवें दिन का श्राद्ध सिर्फ परिवार की उन दिवंगत महिलाओं के लिए किया जाता है,जिनकी मृत्यु एक'सुहागिन'के रूप में हुई हो। यह दिन माँ,दादी,नानी या परिवार की किसी भी ऐसी महिला को धन्यवाद कहने का दिन है,जिन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी परिवार को बनाने और संवारने में लगा दी।माना जाता है कि अगर किसी की माँ की मृत्यु इस नवमी तिथि को हुई हो,तो उनके लिए यह श्राद्ध करना अनिवार्य है। लेकिन अगर आपको अपने परिवार की किसी महिला पूर्वज की मृत्यु की सही तारीख याद नहीं है,तो भी आप मातृ नवमी के दिन पूरी श्रद्धा के साथ उनका श्राद्ध कर सकते हैं। ऐसा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे अपने परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। इसे'मातृ ऋण'से मुक्ति पाने का सबसे बड़ा दिन भी माना जाता है।मातृ नवमी2025:सही तारीख और शुभ मुहूर्तइस साल पितृ पक्ष में मातृ नवमी का श्राद्धशुक्रवार, 12सितंबर2025को किया जाएगा।श्राद्ध करने के लिए दोपहर का समय सबसे उत्तम माना जाता है। इस दिन के शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार हैं:कुतुप मुहूर्त:सुबह11:58बजे से दोपहर12:47बजे तकरौहिण मुहूर्त:दोपहर12:47बजे से दोपहर01:36बजे तकअपराह्न काल (दोपहर का समय):दोपहर01:36बजे से शाम 04:03बजे तकइस दिन कैसे किया जाता है श्राद्ध?मातृ नवमी पर श्राद्ध करने की विधि थोड़ी अलग और बहुत खास होती है:इस दिन का श्राद्ध किसी ब्राह्मण पंडित के बजायसुहागिन महिलाओंको भोजन कराकर पूरा किया जाता है। आप चाहें तो अपनी बहू,बेटी या किसी भी शादीशुदा महिला को घर पर सम्मानपूर्वक बुलाकर भोजन करा सकते हैं।सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनकर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके अपने घर की दिवंगत महिला सदस्यों को याद करते हुए जल से तर्पण करें।भोजन में उन्हें उनकी पसंद की चीज़ें बनाकर खिलाएं। भोजन कराने के बाद उन्हें सम्मान के साथ विदा करें और अपनी श्रद्धानुसार सुहाग की सामग्री (जैसे बिंदी,चूड़ियां,सिंदूर) और कपड़े भेंट करें।श्राद्ध का कुछ अंश कौवे,गाय और कुत्ते के लिए भी ज़रूर निकालना चाहिए।यह दिन सिर्फ एक पूजा या कर्मकांड नहीं है,बल्कि यह घर की उन नींव की पत्थरों को याद करने का दिन है,जिनकी वजह से आज हमारा परिवार है। इस दिन सच्ची श्रद्धा से किया गया एक छोटा सा काम भी हमारे पूर्वजों तक पहुँचता है और उनका आशीर्वाद हम पर हमेशा बना रहता है।
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