Newsindia live,Digital Desk: spiritual journey : जब भी भगवान कृष्ण के मंदिरों की बात होती है तो अक्सर मथुरा और वृंदावन का ध्यान आता है। लेकिन भारत में एक ऐसा कृष्ण मंदिर भी है जो हिमालय की गोद में किन्नौर जिले में स्थित है और इसे दुनिया का सबसे ऊंचा कृष्ण मंदिर होने का गौरव प्राप्त है। यह मंदिर युल्ला कांडा के नाम से प्रसिद्ध है और देवभूमि हिमाचल प्रदेश के सबसे पवित्र और आध्यात्मिक स्थानों में से एक माना जाता है।यह अद्भुत मंदिर एक पवित्र झील के बीच में बना हुआ है जो बर्फ से ढकी चोटियों से घिरा है। यहां का शांत और दिव्य वातावरण प्रकृति और आस्था का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है।मान्यता है कि इस पवित्र झील का निर्माण पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान किया था और झील बनाने के बाद उन्होंने इसके किनारे भगवान कृष्ण को समर्पित एक मंदिर की स्थापना की थी।इस मंदिर तक पहुँचना एक अविस्मरणीय अनुभव है। यहां तक पहुँचने के लिए किन्नौर के युल्ला खास गाँव से एक ट्रेक करना पड़ता है जो घने जंगलों, सुंदर झरनों और हरे-भरे घास के मैदानों से होकर गुजरता है। यह यात्रा शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकती है, लेकिन मंदिर तक पहुँचने पर जो आध्यात्मिक शांति और हिमालय के मनोरम दृश्य का अनुभव होता है, वह सारी थकान मिटा देता है।युल्ला कांडा में जन्माष्टमी का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस परंपरा की शुरुआत बुशहर रियासत के राजा केहरी सिंह ने की थी इस अवसर पर शिमला, किन्नौर और आसपास की घाटियों से भक्तजन यहाँ इकट्ठा होते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और झील की परिक्रमा करते हैं ताकि उनके पापों का नाश हो सके।इस स्थान से एक अनूठी परंपरा भी जुड़ी है, जिसे 'फ्लोटिंग कैप' अनुष्ठान कहा जाता है भक्त अपनी पारंपरिक किन्नौरी टोपी को झील के पानी में उल्टा करके छोड़ देते हैं। ऐसी मान्यता है कि यदि टोपी बिना डूबे दूसरे किनारे तक पहुँच जाती है तो आने वाला वर्ष शांति, खुशी और सौभाग्य से भरा होगा। लेकिन अगर टोपी डूब जाए तो इसे भविष्य के लिए एक चेतावनी माना जाता है।यह मंदिर सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं है, बल्कि भाईचारे और एकता का प्रतीक भी है, जहाँ किसी भी धर्म या जाति के लोग आकर प्रार्थना कर सकते हैं।
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