नरसिंह जयंती रविवार, 11 मई को मनाई जाएगी। इस दिन व्रत भी रखा जाता है और विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु का नरसिंह अवतार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हुआ था। भगवान विष्णु का नरसिंह अवतार बहुत ही विशेष है। उन्होंने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए यह रूप धारण किया था। प्रह्लाद का जीवन उसके पिता हिरण्यकश्यप से खतरे में था। भगवान विष्णु ने यह अवतार हिरण्यकशिपु को मारने के लिए लिया था। इस अवतार में भगवान का स्वरूप आधा सिंह और आधा मानव था। इसलिए इस दिन को नरसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है। आइए जानते हैं नरसिंह जयंती का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।
नरसिंह जयंती शुभ मुहूर्तपंचांग के अनुसार चतुर्दशी तिथि शनिवार 10 मई को शाम 5 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर रविवार 11 मई को रात 8 बजकर 2 मिनट तक रहेगी। भगवान नरसिंह का अवतार शाम को हुआ था, इसलिए यह पर्व रविवार 11 मई को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 4 बजकर 21 मिनट से शाम 7 बजकर 3 मिनट तक है। भक्तों को पूजा के लिए 2 घंटे 42 मिनट का समय मिलेगा।
नरसिंह जयंती पूजा विधि
पूजा शुरू करने से पहले देवता की मूर्ति को साफ करें। गंगाजल छिड़क कर इसे शुद्ध करें। कलश को लकड़ी के स्टैण्ड पर रखें। कलश पर एक कटोरी चावल रखें। भगवान नरसिंह और देवी लक्ष्मी की मूर्तियां स्थापित करें। मूर्तियों को फूलों की माला पहनाएं। भगवान नरसिंह की तस्वीर के पास घी का दीपक जलाएं। अबीर, गुलाल, रोली जैसी चीजें अर्पित करें। नीचे दिए गए मंत्र का जाप करते हुए भगवान को प्रसाद अर्पित करें। इसके बाद आरती करें। इन मंत्रों का जाप करें “नैवेद्यं सकारं चापि भक्ष्यभोज्यसमन्वितम्। ददामि ते रमाकान्त सर्वपापक्षयं कुरु।”
भगवान नरसिंह की कथा सुनना भी महत्वपूर्ण है। अगले दिन, सोमवार, 12 मई को उपवास तोड़ें। इस प्रकार पूजा करने से भगवान नरसिंह प्रसन्न होते हैं। भक्तों के जीवन में सुख और शांति आती है। यह पूजा भक्तों के लिए बहुत फलदायी है। वे निडर और खुशहाल जीवन जीते हैं।
नरसिंह जयंती का महत्वहिंदू धर्म में नरसिंह जयंती का महत्व बहुत ही विशेष और शक्तिशाली माना जाता है। यह पर्व धर्म की विजय, भक्त की रक्षा और अधर्म के विनाश का प्रतीक है। भगवान विष्णु ने अपने चौथे अवतार में मानव और सिंह के रूपों को मिलाकर नरसिंह का रूप धारण किया। भगवान नरसिंह ने यह सिद्ध कर दिया कि जिनका ईश्वर पर अटूट विश्वास है, उन्हें कोई हानि नहीं पहुंचा सकता। भक्त प्रह्लाद की दृढ़ भक्ति और विश्वास को देखकर भगवान ने उसकी रक्षा की, चाहे खतरा कितना भी बड़ा क्यों न हो। भगवान ने यह अवतार विशेष रूप से इसलिए लिया था क्योंकि हिरण्यकशिपु को वरदान प्राप्त था कि वह किसी भी मनुष्य, पशु, दिन या रात, अंदर या बाहर, हथियार या किसी अन्य माध्यम से नहीं मरेगा। इस वरदान को अक्षुण्ण रखते हुए भगवान ने सिंह रूप धारण कर शाम के समय दरवाजे की चौखट में कील ठोककर उसका वध कर दिया।
नरसिंह जयंती पर दान करें
नरसिंह जयंती पर गरीबों और जरूरतमंदों को दान देने का विशेष महत्व है। गर्मियों के दौरान लोगों को आराम देने के लिए छाछ और सिरप जैसी ठंडक देने वाली चीजें दान करें। कृपया यह दान जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाएं। इसके अलावा सूती कपड़े दान करना भी अच्छा माना जाता है।
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