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वास्तु शास्त्र में भोजन से जुड़ी अहम बातें: बेड पर खाने से क्यों आती है दरिद्रता और अशांति

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वास्तु शास्त्र में भोजन से जुड़ी अहम बातें: बेड पर खाने से क्यों आती है दरिद्रता और अशांति

वास्तु शास्त्र न केवल घर की बनावट और दिशाओं को महत्व देता है, बल्कि जीवनशैली से जुड़ी छोटी-छोटी आदतों पर भी गहरा प्रभाव डालता है। इसमें सोने, उठने, खाने-पीने और रहन-सहन से संबंधित विशेष नियम बताए गए हैं। इन नियमों का पालन करने से जहां सुख-समृद्धि बनी रहती है, वहीं इनके उल्लंघन से घर में नकारात्मक ऊर्जा, अशांति और आर्थिक परेशानियां बढ़ सकती हैं।

बेड पर बैठकर भोजन करना क्यों वर्जित है?

वास्तु शास्त्र के अनुसार बिस्तर पर बैठकर भोजन करना अशुभ माना जाता है। यह आदत न केवल सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डालती है, बल्कि इससे घर का वास्तु भी बिगड़ जाता है। ऐसी स्थिति में मां लक्ष्मी की कृपा घर से दूर हो जाती है और दरिद्रता प्रवेश करने लगती है। यह आदत घर के सदस्यों पर कर्ज का बोझ बढ़ा सकती है और मानसिक अशांति, अनिंद्रा, तथा स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

घर में किस तरह की समस्याएं हो सकती हैं?
  • आर्थिक तंगी और आय में गिरावट

  • मां लक्ष्मी की कृपा में कमी

  • पारिवारिक सदस्यों में तनाव और कलह

  • बार-बार बीमारियों का आना

  • मानसिक अस्थिरता और अनिद्रा

इन सबके पीछे बिस्तर पर भोजन करने की आदत को एक महत्वपूर्ण कारण माना गया है।

वास्तु के अनुसार भोजन करने के नियम
  • भूमि पर बैठकर भोजन करें: पारंपरिक रूप से जमीन पर बैठकर भोजन करना सबसे शुभ माना गया है। इससे शरीर भी संतुलित रहता है और ऊर्जा का प्रवाह सही बना रहता है।

  • डाइनिंग टेबल पर सलीके से बैठें: यदि जमीन पर बैठना संभव न हो, तो टेबल पर सीधे और व्यवस्थित ढंग से बैठकर खाएं। ध्यान रखें कि थाली बैठने की ऊंचाई से नीचे न हो।

  • पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करें: भोजन करते समय मुख पूर्व या उत्तर की ओर रखना शुभ माना जाता है। इससे पाचन अच्छा होता है और मानसिक शांति बनी रहती है।

  • किचन में जूठे बर्तन न छोड़ें: खाना खाने के बाद किचन को साफ रखना और जूठे बर्तन तुरंत धोना जरूरी है। जूठे बर्तनों को放किचन में छोड़ना मां अन्नपूर्णा का अपमान माना जाता है, जिससे धनहानि हो सकती है।

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