Sarva Pitru Amavasya ke Upay: पूरे साल हम अपनी ज़िंदगी में भाग-दौड़ करते रहते हैं. लेकिन साल में एक ऐसा समय आता है जब हमें थोड़ा रुककर अपनी जड़ों को याद करने का मौक़ा मिलता है. ये समय है पितृ पक्ष का,जब हम अपने उन बुज़ुर्गों को दिल से याद करते हैं,जो आज हमारे साथ नहीं हैं.सर्वपितृ अमावस्या इसी पितृ पक्ष का आख़िरी दिन होता है. इसे पितरों को विदा करने और उनका आशीर्वाद लेने का सबसे बड़ा दिन माना जाता है. ख़ास बात ये है कि अगर आप किसी वजह से अपने किसी पितृ को उनकी पुण्यतिथि पर याद नहीं कर पाए या श्राद्ध नहीं कर पाए,तो यह दिन उन सभी गलतियों को सुधारने का एक मौक़ा देता है. इसीलिए इसे'सर्वपितृ'यानी'सभी पितरों'की अमावस्या कहते हैं.इस दिन ऐसा क्या करें कि पितरों का आशीर्वाद मिले?ये कोई बड़े कर्मकांड नहीं हैं,बल्कि अपनी भावनाएं जताने का एक सरल तरीक़ा है.दिल से करें तर्पण:सबसे पहले सुबह नहा-धोकर साफ़ कपड़े पहन लें. फिर एक तांबे के लोटे में पानी भरें. उसमें थोड़े काले तिल,जौ और गंगाजल मिला लें. अब घर में किसी खुली जगह या छत पर दक्षिण दिशा की तरफ़ मुंह करके खड़े हो जाएं,क्योंकि पितरों की दिशा दक्षिण मानी गई है. अपने हाथ में कुश (एक तरह की घास) लेकर धीरे-धीरे उस जल को नीचे गिराएं और मन-ही-मन अपने सभी पूर्वजों को याद करें. उनसे प्रार्थना करें कि वे इस जल को स्वीकार करें और हम पर अपना आशीर्वाद बनाए रखें.भोजन कराएं:अपनी श्रद्धा के अनुसार,किसी ब्राह्मण को घर बुलाकर भोजन कराएं. अगर ऐसा मुमकिन न हो,तो किसी भी ज़रूरतमंद या ग़रीब को खाना खिला सकते हैं. कोशिश करें कि खाने में खीर-पूड़ी और ऐसी चीज़ें हों जो आपके बुज़ुर्गों को पसंद थीं. ये इस बात का प्रतीक है कि हम आज भी उनकी पसंद-नापसंद का ख़याल रखते हैं.सिर्फ़ अपने लिए नहीं,हर जीव के लिए:श्राद्ध के दिन बने भोजन का पहला हिस्सा कौए,गाय और कुत्ते के लिए ज़रूर निकालना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि हमारे पितर इन रूपों में भी भोजन ग्रहण करने आते हैं. ये हमें सिखाता है कि हमें सिर्फ़ इंसानों का ही नहीं,बल्कि हर जीव का पेट भरने की कोशिश करनी चाहिए.पिंडदान करें:अगर आप कर सकते हैं,तो आटे या चावल का एक गोला बनाकर,उस पर घी और शहद लगाकर पितरों को अर्पित करें. यह उन्हें ऊर्जा और शांति देने का एक तरीक़ा माना जाता है.इस दिन क्या नहीं करना चाहिए?श्राद्ध के काम में लोहे के बर्तन का इस्तेमाल करने से बचें.घर में शांति का माहौल रखें और किसी का अपमान न करें.इस दिन मांस-मछली या किसी भी तरह के तामसिक भोजन से दूर रहें.यह दिन सिर्फ़ एक पूजा-पाठ का दिन नहीं है,बल्कि यह मौक़ा है अपने परिवार की नींव यानी अपने पूर्वजों को धन्यवाद कहने का. जब हम उन्हें सच्चे मन से याद करते हैं,तो उनका आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ रहता है,जिससे ज़िंदगी में सुख,शांति और तरक्की आती है.
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