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Covid19 In India: आईआईटी प्रोफेसर डॉ. मणींद्र अग्रवाल ने बताया कितने दिन चलेगी कोरोना की मौजूदा लहर, बीएचयू के जीन वैज्ञानिक ने कोविड-19 के बारे में कही ये अहम बात

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कानपुर/वाराणसी। कोविड-19 का वायरस यानी कोरोना के मरीज एक बार फिर बढ़ रहे हैं। सबसे ज्यादा कोरोना मरीज केरल और महाराष्ट्र में हैं। गुजरात, राजस्थान, दिल्ली और यूपी में भी कोरोना मरीज मिले हैं। ऐसे में लोग डर रहे हैं कि कोरोना एक बार फिर हाहाकार न मचा दे। कोरोना से बचाव के लिए दिल्ली सरकार ने एडवाइजरी भी जारी की है। इन सबके बीच कानपुर आईआईटी के प्रोफेसर डॉ. मणींद्र अग्रवाल ने बताया है कि कोरोना की ये चौथी लहर कब तक रहेगी। वहीं, बीएचयू के जीन वैज्ञानिक प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने कहा है कि कोरोना से डरने की जरूरत नहीं है।

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल पहले भी कोरोना की लहर के बारे में सटीक भविष्यवाणी करते रहे हैं।

अखबार दैनिक भास्कर से आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर डॉ. मणींद्र अग्रवाल ने कहा है कि कोरोना की ये चौथी लहर है। उन्होंने कहा कि कोरोना की ये लहर 21 से 28 दिन तक ही चलेगी। डॉ. मणींद्र अग्रवाल पहले भी अपने वैज्ञानिक मॉडल से कोरोना की लहर के बारे में सटीक भविष्यवाणी करते रहे हैं। आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर डॉ. मणींद्र अग्रवाल का वैज्ञानिक मॉडल इस आधार पर लहर के खत्म होने की भविष्यवाणी करता है कि हर दिन किस राज्य में कितने मरीज कोरोना से ग्रस्त हो रहे हैं। वहीं, वाराणसी स्थित बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी यानी बीएचयू के जीन वैज्ञानिक प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने अखबार से बातचीत में कहा है कि कोरोना अब सामान्य फ्लू यानी आमतौर पर होने वाले सर्दी जुकाम जैसा है। यानी इससे डरने की जरूरत नहीं है।

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इस बार कोरोना का प्रसार ओमिक्रॉन वैरिएंट के वायरस के ही सब वैरिएंट NB.1.8.1 और LF.7 के कारण हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने NB.1.8.1 को वैरिएंट ऑफ मॉनिटरिंग माना है। पहले डब्ल्यूएचओ ने इसे वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट के तौर पर रखा था। वहीं, कोरोना वायरस के JN.1 वैरिएंट के मरीज पिछले कुछ साल में ज्यादा थे। JN.1 वैरिएंट में ही म्यूटेशन के बाद दो नए सब वैरिएंट NB.1.8.1 और LF.7 आए। JN.1 वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में कुछ म्यूटेशन यानी बदलाव देखे गए हैं। इसकी वजह से कोरोना वायरस के अन्य वैरिएंट्स की तुलना में NB.1.8.1 और LF.7 सब वैरिएंट अधिक संक्रामक हैं। ये दोनों सब वैरिएंट शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को पार कर लेते हैं। जिसकी वजह से वैक्सीन लगवाने वालों को भी कोरोना हो रहा है।

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